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गाजियाबाद, गोरखपुर समेत 4 और जिलों में लागू हो सकता है पुलिस कमिश्नरी सिस्टम

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Published : Apr 11, 2022, 3:43 PM IST

प्रदेश में योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के शुरूआती दिनों से ही प्रदेश की कानून व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत करने में लगी है. ऐसे में अब ये खबर सामने आ रही है कि जल्दी ही प्रदेश के कई जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली (police commissioner system) लागू की जाएगी.

लखनऊ: प्रदेश में योगी सरकार पार्ट 1 में 4 जिलों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम परिणाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संतुष्टि जनक लगा है, नतीजन अब 4 और जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने के तैयारी है और माना जा रहा है कि आगामी कैबिनेट की बैठक में इस फैसले पर मोहर भी लग जायेगी. जिन जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने की बात कही जा रही है उनमें गाजियाबाद, मेरठ, गोरखपुर और प्रयागराज शामिल हैं.

गाजियाबाद समेत चार और जिलों में पुलिस कमिश्नरी लागू होने की बात पर इस लिए भी चर्चा गर्म है क्योंकि बीते दिन गाजियाबाद के एसएसपी के निलंबन के बाद अब तक वहां स्थायी कप्तान की तैनाती नही की गई है. नोएडा में भी तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्णा को हटाने के बाद एसपी की तैनाती नहीं की गई थी और 4 दिन बाद लखनऊ और नोएडा में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हो गयी थी.

गाजियाबाद एनसीआर का इकलौता प्रमुख शहर है जहां पुलिस कमिश्नरी लागू नहीं है. गाजियाबाद जिले की अधिकतर आबादी शहरी है और क्राइम रेट भी ज्यादा है. वहीं, गोरखपुर सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) का गृह व कर्म जनपद है. यहां की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस जिले को भी पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए चुना जा सकता है. वहीं, हाल में जिस तरह गोरखनाथ मंदिर में हमला (attack in gorakhnath temple) हुआ है. इसे लेकर जिले की कानून व्यवस्था को और सुद्रण अब पुलिस विभाग के लिए चुनौती है.

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सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों कानून व्यवस्था को लेकर लखनऊ मुख्यालय में हुई बैठक में बेहतर पुलिसिंग के लिए कुछ जिलों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने पर चर्चा हुई. पहले चरण में जिन जिलों में कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने की बात चल रही है उसमें मेरठ और गाजियाबाद का नाम शामिल है. दूसरे चरण में गोरखपुर और प्रयागराज में भी इसे लागू किया जाएगा. इसके लिए गृह विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है. मुख्यमंत्री की तरफ से हरी झंडी मिलते ही कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा.


क्या होती है पुलिस आयुक्त प्रणाली


अंग्रेजों के शासनकाल में देश में कमिश्नर प्रणाली लागू थी. इसे आजादी के बाद भारतीय पुलिस ने अपनाया. कमिश्नर व्यवस्था में पुलिस कमिश्नर का सर्वोच्च पद होता. अंग्रेजों के जमाने में ये सिस्टम कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में हुआ करता था. इस सिस्टम में पूरी ज्यूडिशियल पावर आईएएस की जगह कमिश्नर के पास होती है. यह व्यवस्था पुलिस प्रणाली अधिनियम, 1861 पर आधारित है.

कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकार बढ़ जाते है. किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को डीएम के फैसले के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता है. इसके साथ ही पुलिस खुद किसी भी स्थिति में फैसला लेने के लिए ज्यादा ताकतवर हो जाती है. जिले की कानून व्यवस्था से जुड़े सभी फैसलों को लेने का अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास होगा.

धरना प्रदर्शन की अनुमति देना, धारा 144 लागू करना, दंगे के दौरान लाठी चार्ज होगा या नहीं, कितना बल प्रयोग हो, यह भी पुलिस ही तय करती है. अपराधियों पर गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की कार्रवाई भी पुलिस कमिश्नर ही करता है. पुलिस कमिश्नर प्रणाली में CRPC के सारे अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं. ऐसे में कोई भी निर्णय पुलिस कमिश्नर तुरंत बिना किसी पर निर्भर रहे ले सकता है, जबकि सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था में जिलाधिकारी के पास अधिकार होता है.

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