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'गीता में भी जिहाद', पाटिल के इस बयान से कांग्रेस ने झाड़ा पल्ला

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Published : Oct 21, 2022, 5:20 PM IST

Updated : Oct 21, 2022, 5:29 PM IST

कांग्रेस पार्टी ने पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल के उस बयान से किनारा कर लिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि गीता में भी जिहाद का जिक्र किया गया है. कांग्रेस ने कहा कि गीता के संदेश को किसी एक विचार या स्कूल के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है, यह जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए है. jihad in hindu scriptures.

jairam ramesh congress leader
कांग्रेस नेता जयराम रमेश

नई दिल्ली : कांग्रेस ने पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल की हिंदू पवित्र पुस्तक भगवद गीता में भगवान कृष्ण के जिहाद के बारे में बात करने के बारे में कथित टिप्पणी से खुद को दूर कर लिया है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने नेहरू का हवाला देते हुए कहा कि पाटिल की टिप्पणी अस्वीकार्य है. रमेश ने गुरुवार को कहा, मेरे वरिष्ठ सहयोगी शिवराज पाटिल ने कथित तौर पर भगवद गीता पर कुछ टिप्पणी की जो अस्वीकार्य है. इसके बाद, उन्होंने साफ किया कि कांग्रेस का रुख स्पष्ट है, भगवद गीता भारतीय सभ्यता का एक प्रमुख आधारभूत स्तंभ है. jihad in hindu scriptures.

शिवराज पाटिल गुरुवार को एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे. जहां पाटिल ने कहा था, न केवल कुरान में बल्कि महाभारत में भी गीता के हिस्से में, श्री कृष्ण अर्जुन से 'जिहाद' की बात करते हैं और यह बात सिर्फ कुरान या गीता में नहीं है, बल्कि ईसाई धर्म जैसे अन्य धर्मों में भी है.

  • My senior colleague Shivraj Patil reportedly made some comments on Bhagavad Gita that’s unacceptable. Subsequently, he clarified. @INCIndia’s stand is clear. Bhagavad Gita is a key foundational pillar of Indian civilisation. Here’s an excerpt from Nehru’s Discovery of India(p110) pic.twitter.com/rarJub7xTy

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रमेश ने अपनी पार्टी के रुख को स्पष्ट करते हुए जवाहर लाल नेहरू की किताब द डिस्कवरी ऑफ इंडिया का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा था कि गीता के संदेश को किसी एक विचार या स्कूल के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है. गीता तो जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए है। जयराम रमेश ने अपने बयान में ये भी बताया है कि गीता में तो इंसान की हर समस्या का समाधान है, समय-समय पर इसने सभी को राह दिखाने का काम किया है.

  • Incidentally, I learned Bhagavad Gita in my early teens and have had a life-long fascination with it as a cultural & philosophical text, with a profound influence on Indian society over the ages. I wrote about this in my book The Light of Asia: The Poem that defined the Buddha. https://t.co/dLV7964JPQ

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इसमें कुछ ऐसा है जो लगातार नवीनीकृत होने में सक्षम प्रतीत होता है, जो समय बीतने के साथ पुराना नहीं होता है. लिखे जाने के 2,500 वर्षों के दौरान, भारतीय मानवता बार-बार परिवर्तन और विकास और क्षय की प्रक्रियाओं से गुजरी है. अनुभव ने अनुभव में सफलता प्राप्त की है, विचार ने विचार का अनुसरण किया है, लेकिन इसने हमेशा कुछ ऐसा पाया है जो गीता में जीवित है, कुछ ऐसा जो विकासशील विचार में फिट बैठता है और मन को पीड़ित करने वाली आध्यात्मिक समस्याओं के लिए एक ताजगी और प्रयोज्यता रखता है.

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Last Updated :Oct 21, 2022, 5:29 PM IST
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