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हिंदी दिवस विशेषः हिंदी हमारी आने वाली पीढ़ी की आशा है, वर्तमान के इस दौर में हिंदी की बदौलत हम हैं

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Published : Sep 13, 2020, 10:36 PM IST

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हिंदी दिवस विशेष 2020

हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है. साल 1953 में पहली बार हिंदी दिवस का आयोजन हुआ था, तभी से यह सिलसिला बना हुआ है. हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा की स्थिति और विकास पर मंथन को ध्यान में रखना है. देखिए हिंदी दिवस पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

राजसमंद. हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन ही देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था. साल 1953 में पहली बार हिंदी दिवस का आयोजन हुआ था, तभी से यह सिलसिला बना हुआ है. हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा की स्थिति और विकास पर मंथन को ध्यान में रखना है. देश में करीब 77 फीसदी से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं.

'हमें अपने बच्चों को संकल्प के साथ आगे बढ़ाना होगा'

हिंदी दिवस के उपलक्ष पर ईटीवी भारत ने पूर्व शिक्षा अधिकारी डॉ. राकेश तैलंग, त्रिलोकी मोहन पुरोहित (पूर्व प्रधानाचार्य) और कवि सुनील व्यास से बातचीत की. पूर्व शिक्षा अधिकारी डॉ. राकेश तैलंग ने कहा कि आजादी के बाद हमने हिंदी को राष्ट्रभाषा में स्थापित करने के लिए बहुत कोशिश की है और यह कोशिश रंग भी लेकर आई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में युवा पीढ़ी में हिंदी को स्वीकार करने के लिए जो प्रयास किए जाने थे, वे प्रयास राजकीय स्तर पर और सामाजिक स्तर पर किए जा रहे हैं.

हमें अपने बच्चों को संकल्प के साथ आगे बढ़ाना होगाः डॉ. राकेश तैलंग

तैलंग ने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी को हिंदी से जोड़ने के लिए हमें अपने बच्चों को संकल्प के साथ आगे बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि हमें संतुलित तरीके से सभी भाषाओं का मान सम्मान देना चाहिए. जब प्रश्न भारतीय संस्कृति के संरक्षण को आए तो हमें हिंदी को इन सभी दूसरी भाषाओं के ऊपर ही रखना होगा. इसलिए क्षमता के साथ और विश्वास के सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हमें समय और अवसर आने पर हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कोशिश करनी होगी.

'हिंदी को हमें प्रत्येक क्षेत्र में स्वीकार करना चाहिए'

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पूर्व शिक्षा अधिकारी डॉ. राकेश तैलंग ने कहा कि पहली कोशिश तो यह है कि परस्पर भाषाओं का प्रयोग करें. किसी माध्यम बनाने के लिए भाषा को ले. हमें आवश्यकता इस बात की है कि भारतीय होने के नाते हम हिंदी के प्रयोग के लिए अधिक से अधिक सर्जक हो. उन्होंने कहा कि हिंदी के विस्तार में हिंदी को और उदार बनाने की लिए बोलियों को बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की इतिहास को उठा कर देंखे तो समानांतर रूप में जो बोलियां हैं, उन्हें स्थानीय बोलियां की भाषाओं से समृद्ध बनी है.

हिंदी को हमें प्रत्येक क्षेत्र में स्वीकार करना चाहिएः त्रिलोकी मोहन पुरोहित

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पूर्व प्रधानाचार्य त्रिलोकी मोहन पुरोहित ने कहा कि हिंदुस्तान के अंदर कई मात्रिक भाषाएं बोली जाती हैं और मात्रिक भाषाओं के अंदर साहित्यिक श्रजन हो रहा है. उन्होंने बताया कि भारत की अनुसूची में 15 नंबर पर सिंधी को सम्मिलित किया गया है. इसी के साथ उन्होंने बताया कि हिंदी को हमें प्रत्येक क्षेत्र में स्वीकार करना चाहिए.

'वर्तमान के इस दौर में हिंदी की बदौलत हम हैं'

पुरोहित ने कहा कि यदि अंग्रेजी को देखें तो अंग्रेजी के अंदर कितने ही शब्द हैं, जो अन्य भाषाओं के है. उन भाषाओं के शब्दों को अंग्रेजी ने सम्मिलित कर लिया है. साथ ही हिंदी के अंदर भी कई भाषाओं के शब्दों को बसाने की क्षमता है. उन्होंने कहा कि हिंदी अपने मूल शब्दों के उत्पन्न को खो रही है. इसी के साथ पुरोहित ने कहा कि अगर हिंदी दिवस को सिर्फ एक दिवस के रूप में मनाया जाए तो केवल एक मात्र श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो उसे 1 दिन काफी है.

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त्रिलोकी मोहन पुरोहित ने कहा कि आपको पूरी निष्ठा के साथ समर्पित होना पड़ेगा. हिंदी अपने स्तर को कायम करने के लिए संघर्षरत है. हिंदी सिर्फ हिंदुस्तान में नहीं बल्कि बाहर के 37 देशों में भी बोली जाती है. इसी के साथ मॉरीशस की मूल भाषा भी हिंदी है.

वर्तमान के इस दौर में हिंदी की बदौलत हम हैंः सुनील व्यास

वहीं, कवि सुनील व्यास ने भी बताया कि वर्तमान के इस दौर में हिंदी की बदौलत हम हैं. उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी अभिलाषा है. हिंदी हमारी आने वाली पीढ़ी की आशा है. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में भी हिंदी हमें सदैव गतिमान रखती है. इसी के साथ सुनील व्यास ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को हिंदी के रंग रूप को समझना चाहिए. उन्होंने बताया कि हिंदी ने हमें बहुत कुछ सीखने और सिखाने का महत्व दिया है.

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