ETV Bharat / state

Special: कृषि महोत्सव में पहुंचे नए इनोवेटर, पुरानी बैटरी से बनाया लिक्विड फर्टिलाइजर...प्लास्टिक के ड्रम से हाई प्रेशर बायोगैस प्लांट

author img

By

Published : Jan 26, 2023, 10:52 AM IST

Innovations in Kota Krishi Mahotsav
कोटा कृषि महोत्सव में इनोवेशन

कोटा के कृषि महोत्सव में इस बार हाई प्रेशर बायोगैस प्लांट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और इरिगेशन वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े स्टार्टअप्स भी पहुंचे हैं. दावा है कि ये कृषि और इस क्षेत्र से (Startups in Kota Krishi Mahotsav) जुड़े लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा.

कोटा के कृषि महोत्सव में पहुंच रहे कई स्टार्टअप्स

कोटा. केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से आयोजित कृषि महोत्सव में देशभर के लोग स्टार्टअप्स लेकर पहुंच रहे हैं. इनमें पुरानी बैटरी से मैंगनीज का लिक्विड फर्टिलाइजर, घर पर ही प्लास्टिक के ड्रम के जरिए हाई प्रेशर बायोगैस प्लांट और इरीगेशन वाटर मैनेजमेंट सिस्टम भी शामिल हैं. इनसे किसानों के अलावा आम व्यक्ति को भी फायदा मिलने का दावा किया जा रहा है. इनमें कई इनोवेशन ऐसे भी हैं, जिन्हें पेटेंट करवा लिया गया है या पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है. इनोवेटर इसे विश्व का पहला इनोवेशन होने का दावा भी कर रहे हैं.

नहीं रहेगी एलपीजी की जरूरत : कोटा के खेडली फाटक निवासी अशोक कुमार रेडीवाल ने ऑटो रिसाइकल हाई प्रेशर बायोगैस एंड फर्टिलाइजर प्लांट इजाद किया है. उन्होंने इसके जरिए एलपीजी मुक्त भारत बनाने का दावा भी किया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इसका पेटेंट कराया गया है. वह विश्व के पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने घर में ही प्लास्टिक के ड्रम से बायोगैस प्लांट बनाया है. इसके जरिए घर में खाना बनाया जा सकेगा. साथ ही इससे लिक्विड फर्टिलाइजर भी बनेगा. यह जैविक खाद बागवानी या खेतों में भी काम आएगी. अशोक कुमार रेडीवाल ने सिविल इंजीनियरिंग की है. वह बीते 5 सालों से बायोगैस पर रिसर्च कर रहे थे. इसके बाद ही उन्होंने यह बायोगैस प्लांट तैयार किया है.

Innovations in Kota Krishi Mahotsav
पुराने सेल से बना रहे मैंगनीज का लिक्विड फर्टिलाइजर

पढ़ें. Kota Krishi Mahotsav : कृषि महोत्सव का आगाज, स्पीकर ओम बिरला ने चलाया ट्रैक्टर तो मंत्री कैलाश चौधरी ने उड़ाया ड्रोन

महज 5 किलो गोबर चाहिए : रेडीवाल ने बताया कि इस गोबर प्लांट के लिए रोजाना महज 5 किलो गोबर चाहिए होती है. 75 फ़ीसदी ड्रम को गोबर से भरना पड़ता है और 1 दिन बाद ही इससे गैस बनना शुरू हो जाता है. इसमें बेसन और गुड़ डाला जाता है, ताकि बैक्टीरिया विकसित हो जाए और सलरी बनने लग जाए. उन्होंने इस तरह से तीन प्लांट हाड़ौती संभाग में लगाए हैं.

रेडीवाल का कहना है कि 60, 250, 500, 1000 व 2500 लीटर क्षमता के प्लांट स्थापित किए हैं. इन प्लांटों में केवल प्लास्टिक के ड्रम ही होते हैं. इनसे ही क्षमता बढ़ती व कम होती रहती है. यह प्लांट 10 मिनट से लेकर ढाई घंटे तक गैस उपलब्ध कराता है. इन प्लांट की मियाद भी करीब 20 से 25 साल बताई जा रही है. उनका कहना है कि अगर ज्यादा गैस या सलरी बन जाती है तो प्लांट के ऊपर से बाहर निकल जाती है. विस्फोट या आग लगने का कोई खतरा नहीं है.

Innovations in Kota Krishi Mahotsav
रेडीवाल का ऑटो रिसाइकल हाई प्रेशर बायोगैस

पढ़ें. Biodegradable Sanitary Pads: एग्रो वेस्ट से तैयार किया बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड, पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद

पुराने सेल से मैंगनीज का लिक्विड फर्टिलाइजर : जयपुर में अपने स्टार्टअप के साथ काम कर रहे अपर्णा, निमिषा, नवीन व देवेश अलग-अलग फील्ड से हैं. साथ ही सभी अलग-अलग स्टेट उत्तर प्रदेश, केरल, दिल्ली और राजस्थान से हैं. इनमें दो ने इंजीनियरिंग की है, एक ने एमएससी और चौथे ने एग्रीकल्चर में बीएससी की है. चारों ने मिलकर एलो ईसेल स्टार्टअप शुरू किया है. इसमें घड़ी के छोटे सेल के जरिए मैंगनीज फर्टिलाइजर बनाया है. यह विश्व का पहला कार्बन नेगेटिव फर्टिलाइजर है.

इस स्टार्टअप को लीड कर रही अपर्णा का कहना है कि ये विश्व का पहला स्टार्टअप है जिसमें पुरानी सेल से मैंगनीज माइक्रोन्यूट्रिएंट्स निकाला है जो लिक्विड फॉर्म में है. जबकि खनन के जरिए मैंगनीज सॉलिड रूप में मिलता है. यह पहला मैंगनीज लिक्विड फर्टिलाइजर है. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी फसलों में मैंगनीज की आवश्यकता होती है. ऐसे में 1 लीटर मैंगनीज को 200 लीटर पानी में मिलाकर फसलों में छिड़काव किया जा सकता है. यह फसल की उर्वरा शक्ति को बढ़ा देता है.

पढ़ें. Special : अब गोबर से बनेगी सैनिकों की वर्दी, रेगिस्तान भी होगा उपजाऊ

स्टार्टअप को मिल चुके हैं दो अवार्ड : अपर्णा ने दावा किया है कि उनके स्टार्टअप को साल 2020 में नेशनल स्टार्टअप अवार्ड मिला था. इसके साथ ही नई दिल्ली में इस साल आयोजित हुई स्वच्छता कॉन्क्लेव में टॉप 30 में उनका स्टार्टअप आया है. यह सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से कार्य जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि यह पुराना सेल कई सालों तक इसी फॉर्म में रहते हैं और प्रदूषण भी फैलाते हैं. उनका कहना है कि एक सेल 1 लाख 67 हजार लीटर पानी को दूषित करता है. 1 लीटर मैंगनीज बनाने के लिए 150 पुराने सेल की आवश्यकता होती है. उन्होंने दावा किया कि लगभग 2000 लीटर मैग्नीफाई लिक्विड फर्टिलाइजर तैयार कर चुके हैं. इसके लिए उन्होंने पुराने डेढ़ लाख सेल इकट्ठे किए हैं. इस काम के लिए भी वे अलग-अलग अर्बन लोकल बॉडीज, स्कूलों और एनजीओ के जरिए एमओयू कर रहे हैं.

इरिगेशन वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम : पुणे निवासी डॉ प्रकाश किरण पंवार ने इरिगेशन वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम बनाया है. इसके जरिए मिट्टी को जितनी जरूरत है, उतना ही पानी सप्लाई होता है. वह पानी भी अपने आप ही खेत को मिल जाता है. इससे पानी की बर्बादी या फसल खराब होने का खतरा भी नहीं रहता है. डॉ. पंवार ने बताया कि यह पूरा सिस्टम जमीन की नमी के आधार पर संचालित है. इसे लाइसोमीटर से संचालित किया जाता है. मैनुअली संचालित होने वाले सिस्टम में किसान को मैसेज चला जाता है कि उसे कितनी देर तक पानी देने के लिए पंप चलाना है. जबकि फुली ऑटोमेटिक सिस्टम में अपने आप ही पंप चलता और बंद हो जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.