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JNVU में राजपूत प्रत्याशी अरविंद सिंह ने 905 वोटों से जीते

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Published : Aug 27, 2022, 2:20 PM IST

Updated : Aug 27, 2022, 9:54 PM IST

जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय का चुनाव परिणाम सामने आ गया है. इस चुनाव में एसएफआई से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अरविंद सिंह भाटी ने 905 वोटों से जीत हासिल की है. इस चुनाव में एनएसयूआई को जीत दिलाने के लिए सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत ने पूरी ताकत झोंकी. लेकिन चुनाव परिणाम आशा से उलट ही रहे. पूरा चुनाव जातिगत समीकरणों के चारों तरफ ही बना रहा.

Jaynarayan Vyas University
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में हुई बंपर वोटिंग के चलते एक बार फिर एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना (NSUI lost in JNVU Election) पड़ा है. एसएफआई के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अरविंद सिंह भाटी ने हरेंद्र चौधरी को 905 मतों के बड़े अंतर से हराकर इस पद पर कब्जा कर लिया है.

इस पद का चुनाव पूरी तरह से जातिगत समिकरण के आधार पर (SFI Wins JNVU election) लड़ा गया. दो जाट व एक राजपूत के बीच मुकाबला था. यही कारण था कि जाटों ने एबीवीपी के प्रत्याशी राजवीर सिंह बांता को नकारा और एनएसयूआई के प्रत्याशी हरेंद्र चौधरी के पक्ष में जमकर मतदान किया. लेकिन इसके बावजूद अरविंद सिंह भाटी चुनाव जीत गए. इसकी बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि अरविंद सिंह भाटी को राजपूतों के अलावा अन्य जातियों के मतदाताओं ने भी जमकर वोट दिए. जिसकी वजह से जीत का अंतर बड़ा रहा.

जेएनवीयू छात्र संघ चुनाव

जबकि एनएसयूआई के प्रत्याशी के पक्ष में जोधपुर में नगर निगम के कांग्रेस के पार्षदों तक को जिम्मेदारी दी गई. लेकिन वे वोट नहीं दिला पाए. इस चुनाव में जाट व राजपूत समाज के नेताओं में भी जबरदस्त लॉबिंग देखी गई. एबीवीपी जो राजपूतों को टिकट देती रही है उसके लिए कोई राजपूत नेता आगे नहीं आया. वहीं इस बार एबीवीपी की ओर से जाट प्रत्याशी उतारने के बावजूद जाट समर्थकों ने भी सहयेाग नहीं किया. राजपूत समाज के लोगों ने अपने समाज स्तर पर एक राय बनाई और मोती सिंह जोधा का नामांकन वापस करवा कर भाटी को मजबूत किया था. लेकिन जाट समाज एक राय नहीं बना सका. इस बार सहित अब तक के 26 चुनाव में 15 बार राजपूत ने जीत दर्ज की है. जबकि दस बार जाट चुनाव जीते हैं. हालांकि इस जीत की घोषणा से पहले दोनों के बीच कांटे की टककर चली. 6 राउंड की मतगणना के चार राउंड में अरविंद सिंह की बढ़त महज 61 मतों की थी. लेकिन इसके बाद के दो राउंड में निर्णायक बढ़त के साथ अरविंद सिंह चुनाव जीत गए.

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चौधरी ने दी भाटी को बधाईः परिणाम के बाद हरेंद्र चौधरी ने उन्हें समर्थन देने वाले छात्रों को ध्यानवाद ज्ञापित किया. साथ ही कहा (Student Union Election Result Jodhpur) कि आगे भी उनके लिए काम करते रहेंगे. हरेंद्र ने अरविंद भाटी को बधाई दी. हरेंद्र चौधरी ने कहा कि मैं जो काम करना चाहता था तो वह नहीं कर पाया. कहीं न कहीं चूक रही होगी. वहीं निर्वाचित अरविंद सिंह भाटी ने कहा मैं सभी प्रत्याशियों के साथ मिलकर काम करूंगा, जाति धर्म से आगे आकर काम करेंगे.

किसे कितने वोट मिलेः कुल 10267 मत की गिनती अध्यक्ष पद के लिए हुई. इनमें अरविंद सिंह भाटी को 5142 मत मिले. भाटी ने 51.26 फीसदी मत हासिल किया. जबकि एनएसयूआई के हरेंद्र चौधरी को 4237 वोट मिले. हरेंद्र ने 42.24 फीसदी मत हासिल किए. एबीवीपी के उम्मीदवार राजवीर सिंह बांता को महज 608 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. 44 छात्रों ने नोटा का प्रयोग किया. जबकि 236 मत खारिज हुए. इस तरह से अरविंद सिंह भाटी ने 905 मतों से जीत दर्ज की है.

बढ़ा हुआ मतदान एनएसयूआई के लिए नुकसानः इस बार यह सही साबित हुआ कि जेएनवीयू में बढ़ा हुआ मतदान (JNVU Student election Result) एनएसयूआई के लिए परेशानी खड़ी करता है. इससे पहले 2017 व 2018 में एनएसयूआई जब चुनाव जीती थी तो पचास फीसदी से कम मतदान हुआ था. लेकिन गत वर्ष निर्दलीय रविंद्र सिंह ने चुनाव लड़ा तो मतदान 56 फीसदी हुआ था. इस बार 59.55 मतदान होने से सभी की धड़कनें बढ़ गई थी. हालांकि इस बार यह चुनाव पूरी तरह से जातिगत हो गया था. इसलिए मतदान ज्यादा होने के बावजूद एनएसयूआई के हौसले बुलंद थे और सामने एसएफआई के दावेदार संशय में थे.

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तीन संगठनों, एक निर्दलीय अपेक्स पदाधिकारीः इस बार छात्रों ने तीनों प्रमुख संगठनों के पैनल के बजाय एक एक प्रत्याशी को तवज्जो दी है. अध्यक्ष पद एसएफआई के खाते में गया. एबीवीपी की निधी राजपुरोहित को उपाध्यक्ष पद पर जीत मिली. वह एक मात्र छात्रा प्रत्याशी इस चुनाव में थी. उसे ब्राह्मण, राजपूत, जाट सहित सभी जातियों के मत मिले. इसी तरह से महासचिव पद पर एनएसयूआई के जितेंद्र देवड़ा चुनाव जीते वह माली हैं. उन्हें भी सभी के मत मिले. जबकि संयुक्त महासचिव पद पर चिराग सिंह भाटी ने चुनाव जीता वह रावणा राजपूत हैं. चिराग खुद परिसर में लोकप्रिय थे, इसलिए बतौर निर्दलीय अपनी जीत को लेकर सबसे ज्यादा आश्वस्त थे. निधि का कहना है कि छात्रों के हित में सदैव काम करती रहेंगी. इसी तरह संयुक्त सचिव पद पर चिराग सिंह भाटी ने 1900 से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है. चिराग सिंह भाटी ने कहा कि विश्वविद्यालय में जो गड़बड़ सिस्टम है उसे ठीक करना होगा. यह जीत विश्वविद्यालय के सभी छात्रों की है जिनके लिए मुझे काम करना है.

एमबीएम यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव का परिणाम जारी- जोधपुर के एमबीएम यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव का परिणाम जारी हो गया है. निर्दलीय चंद्रांशु 117 वोटों से अध्यक्ष पद पर जीते. महासचिव पद पर आयुष गहलोत 18 वोटों से जीते. वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी के दिव्यांशु सामरिया 60 मतों से निर्वाचित हुए. वहीं, जेजीएस पद पर एबीवीपी की नेहा सोनी जीतीं.

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जेएनवीयू से अलग होकर नए विश्वविद्यालय बने एमबीएम इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के पहले छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी चंद्रांशु खीरिया ने जीत दर्ज की है. खिरिया ने एनएसयूआई के मानवेंद्र सिंह को 117 वोटों से हराया है. इस चुनाव में कांग्रेस की शहर विधायक मनीषा पंवार की प्रतिष्ठा दांव पर थी क्योंकि एनएसयूआई से अध्यक्ष प्रत्याशी मानवेंद्र उनके चचेरा भाई हैं. पहली बार चुनाव में एनएसयूआई ने पूरा जोर लगाया लेकिन एक भी पद नहीं जीत पाई. एबीवीपी ने दो सीटें जीती हैं. इनमें उपाध्यक्ष पद दिव्यांशु सामरिया और संयुक्त महासचिव महासचिव पद नेहा सोनी ने जीत दर्ज की है. जबकि महासचिव पद पर निर्दलीय आयुष गहलोत ने जीत दर्ज की है.

मेडिकल कॉलेज में यश खंडेलवाल बने अध्यक्ष- डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज में हुए छात्र संघ चुनाव में यश खंडेलवाल अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए. जबकि राकेश गहलोत उपाध्यक्ष महासचिव पंकज कटारिया और संयुक्त महासचिव पर मोहित चौधरी निर्वाचित हुए.

बता दें, एनएसयूआई ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एसएफआई से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे अरविंद सिंह भाटी को 6 साल के लिए संगठन से निष्कासित कर दिया है (Arvind Singh Bhati expelled). खास बात ये है कि निष्कासन मतगणना के कुछ देर बाद शनिवार सुबह हुआ. इसका बड़ा कारण भाटी का वैभव गहलोत के खिलाफ मुखर होकर आरोप लगाना बताया जा रहा है. वो देर रात तक धरने पर भी बैठे थे.

भाटी ने आरोप लगाया था कि वैभव गहलोत उनके (अरविंद भाटी) खिलाफ पुलिस प्रशासन पर बेजा दबाव डाल रहे हैं (JNVU Candidate Verbal Attack on Vaibhav Gehlot). उन्होंने मतगणना में धांधली की आशंका जताई थी. गहलोत के खिलाफ बयानबाजी ही अहम वजह है क्योंकि इससे पहले भी वो बागी तेवर दिखा चुके थे जिस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया था. संगठन से अध्यक्ष पद का टिकट न मिलने पर उन्होंने NSUI प्रत्याशी प्रत्याशी हरेंद्र चौधरी के विरूद्ध SFI से नामांकन भर दिया था लेकिन तब Expel नहीं किए गए.

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में हुई बंपर वोटिंग के चलते एक बार फिर एनएसयूआई को करारी हार का सामना करना (NSUI lost in JNVU Election) पड़ा है. एसएफआई के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अरविंद सिंह भाटी ने हरेंद्र चौधरी को 905 मतों के बड़े अंतर से हराकर इस पद पर कब्जा कर लिया है.

इस पद का चुनाव पूरी तरह से जातिगत समिकरण के आधार पर (SFI Wins JNVU election) लड़ा गया. दो जाट व एक राजपूत के बीच मुकाबला था. यही कारण था कि जाटों ने एबीवीपी के प्रत्याशी राजवीर सिंह बांता को नकारा और एनएसयूआई के प्रत्याशी हरेंद्र चौधरी के पक्ष में जमकर मतदान किया. लेकिन इसके बावजूद अरविंद सिंह भाटी चुनाव जीत गए. इसकी बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि अरविंद सिंह भाटी को राजपूतों के अलावा अन्य जातियों के मतदाताओं ने भी जमकर वोट दिए. जिसकी वजह से जीत का अंतर बड़ा रहा.

जेएनवीयू छात्र संघ चुनाव

जबकि एनएसयूआई के प्रत्याशी के पक्ष में जोधपुर में नगर निगम के कांग्रेस के पार्षदों तक को जिम्मेदारी दी गई. लेकिन वे वोट नहीं दिला पाए. इस चुनाव में जाट व राजपूत समाज के नेताओं में भी जबरदस्त लॉबिंग देखी गई. एबीवीपी जो राजपूतों को टिकट देती रही है उसके लिए कोई राजपूत नेता आगे नहीं आया. वहीं इस बार एबीवीपी की ओर से जाट प्रत्याशी उतारने के बावजूद जाट समर्थकों ने भी सहयेाग नहीं किया. राजपूत समाज के लोगों ने अपने समाज स्तर पर एक राय बनाई और मोती सिंह जोधा का नामांकन वापस करवा कर भाटी को मजबूत किया था. लेकिन जाट समाज एक राय नहीं बना सका. इस बार सहित अब तक के 26 चुनाव में 15 बार राजपूत ने जीत दर्ज की है. जबकि दस बार जाट चुनाव जीते हैं. हालांकि इस जीत की घोषणा से पहले दोनों के बीच कांटे की टककर चली. 6 राउंड की मतगणना के चार राउंड में अरविंद सिंह की बढ़त महज 61 मतों की थी. लेकिन इसके बाद के दो राउंड में निर्णायक बढ़त के साथ अरविंद सिंह चुनाव जीत गए.

पढ़ें. राजस्थान यूनिवर्सिटी में ट्रेंड बरकरार, निर्दलीय निर्मल चौधरी जीते

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चौधरी ने दी भाटी को बधाईः परिणाम के बाद हरेंद्र चौधरी ने उन्हें समर्थन देने वाले छात्रों को ध्यानवाद ज्ञापित किया. साथ ही कहा (Student Union Election Result Jodhpur) कि आगे भी उनके लिए काम करते रहेंगे. हरेंद्र ने अरविंद भाटी को बधाई दी. हरेंद्र चौधरी ने कहा कि मैं जो काम करना चाहता था तो वह नहीं कर पाया. कहीं न कहीं चूक रही होगी. वहीं निर्वाचित अरविंद सिंह भाटी ने कहा मैं सभी प्रत्याशियों के साथ मिलकर काम करूंगा, जाति धर्म से आगे आकर काम करेंगे.

किसे कितने वोट मिलेः कुल 10267 मत की गिनती अध्यक्ष पद के लिए हुई. इनमें अरविंद सिंह भाटी को 5142 मत मिले. भाटी ने 51.26 फीसदी मत हासिल किया. जबकि एनएसयूआई के हरेंद्र चौधरी को 4237 वोट मिले. हरेंद्र ने 42.24 फीसदी मत हासिल किए. एबीवीपी के उम्मीदवार राजवीर सिंह बांता को महज 608 वोटों से ही संतोष करना पड़ा. 44 छात्रों ने नोटा का प्रयोग किया. जबकि 236 मत खारिज हुए. इस तरह से अरविंद सिंह भाटी ने 905 मतों से जीत दर्ज की है.

बढ़ा हुआ मतदान एनएसयूआई के लिए नुकसानः इस बार यह सही साबित हुआ कि जेएनवीयू में बढ़ा हुआ मतदान (JNVU Student election Result) एनएसयूआई के लिए परेशानी खड़ी करता है. इससे पहले 2017 व 2018 में एनएसयूआई जब चुनाव जीती थी तो पचास फीसदी से कम मतदान हुआ था. लेकिन गत वर्ष निर्दलीय रविंद्र सिंह ने चुनाव लड़ा तो मतदान 56 फीसदी हुआ था. इस बार 59.55 मतदान होने से सभी की धड़कनें बढ़ गई थी. हालांकि इस बार यह चुनाव पूरी तरह से जातिगत हो गया था. इसलिए मतदान ज्यादा होने के बावजूद एनएसयूआई के हौसले बुलंद थे और सामने एसएफआई के दावेदार संशय में थे.

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तीन संगठनों, एक निर्दलीय अपेक्स पदाधिकारीः इस बार छात्रों ने तीनों प्रमुख संगठनों के पैनल के बजाय एक एक प्रत्याशी को तवज्जो दी है. अध्यक्ष पद एसएफआई के खाते में गया. एबीवीपी की निधी राजपुरोहित को उपाध्यक्ष पद पर जीत मिली. वह एक मात्र छात्रा प्रत्याशी इस चुनाव में थी. उसे ब्राह्मण, राजपूत, जाट सहित सभी जातियों के मत मिले. इसी तरह से महासचिव पद पर एनएसयूआई के जितेंद्र देवड़ा चुनाव जीते वह माली हैं. उन्हें भी सभी के मत मिले. जबकि संयुक्त महासचिव पद पर चिराग सिंह भाटी ने चुनाव जीता वह रावणा राजपूत हैं. चिराग खुद परिसर में लोकप्रिय थे, इसलिए बतौर निर्दलीय अपनी जीत को लेकर सबसे ज्यादा आश्वस्त थे. निधि का कहना है कि छात्रों के हित में सदैव काम करती रहेंगी. इसी तरह संयुक्त सचिव पद पर चिराग सिंह भाटी ने 1900 से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है. चिराग सिंह भाटी ने कहा कि विश्वविद्यालय में जो गड़बड़ सिस्टम है उसे ठीक करना होगा. यह जीत विश्वविद्यालय के सभी छात्रों की है जिनके लिए मुझे काम करना है.

एमबीएम यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव का परिणाम जारी- जोधपुर के एमबीएम यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव का परिणाम जारी हो गया है. निर्दलीय चंद्रांशु 117 वोटों से अध्यक्ष पद पर जीते. महासचिव पद पर आयुष गहलोत 18 वोटों से जीते. वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी के दिव्यांशु सामरिया 60 मतों से निर्वाचित हुए. वहीं, जेजीएस पद पर एबीवीपी की नेहा सोनी जीतीं.

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जेएनवीयू से अलग होकर नए विश्वविद्यालय बने एमबीएम इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के पहले छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी चंद्रांशु खीरिया ने जीत दर्ज की है. खिरिया ने एनएसयूआई के मानवेंद्र सिंह को 117 वोटों से हराया है. इस चुनाव में कांग्रेस की शहर विधायक मनीषा पंवार की प्रतिष्ठा दांव पर थी क्योंकि एनएसयूआई से अध्यक्ष प्रत्याशी मानवेंद्र उनके चचेरा भाई हैं. पहली बार चुनाव में एनएसयूआई ने पूरा जोर लगाया लेकिन एक भी पद नहीं जीत पाई. एबीवीपी ने दो सीटें जीती हैं. इनमें उपाध्यक्ष पद दिव्यांशु सामरिया और संयुक्त महासचिव महासचिव पद नेहा सोनी ने जीत दर्ज की है. जबकि महासचिव पद पर निर्दलीय आयुष गहलोत ने जीत दर्ज की है.

मेडिकल कॉलेज में यश खंडेलवाल बने अध्यक्ष- डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज में हुए छात्र संघ चुनाव में यश खंडेलवाल अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए. जबकि राकेश गहलोत उपाध्यक्ष महासचिव पंकज कटारिया और संयुक्त महासचिव पर मोहित चौधरी निर्वाचित हुए.

बता दें, एनएसयूआई ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एसएफआई से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे अरविंद सिंह भाटी को 6 साल के लिए संगठन से निष्कासित कर दिया है (Arvind Singh Bhati expelled). खास बात ये है कि निष्कासन मतगणना के कुछ देर बाद शनिवार सुबह हुआ. इसका बड़ा कारण भाटी का वैभव गहलोत के खिलाफ मुखर होकर आरोप लगाना बताया जा रहा है. वो देर रात तक धरने पर भी बैठे थे.

भाटी ने आरोप लगाया था कि वैभव गहलोत उनके (अरविंद भाटी) खिलाफ पुलिस प्रशासन पर बेजा दबाव डाल रहे हैं (JNVU Candidate Verbal Attack on Vaibhav Gehlot). उन्होंने मतगणना में धांधली की आशंका जताई थी. गहलोत के खिलाफ बयानबाजी ही अहम वजह है क्योंकि इससे पहले भी वो बागी तेवर दिखा चुके थे जिस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया था. संगठन से अध्यक्ष पद का टिकट न मिलने पर उन्होंने NSUI प्रत्याशी प्रत्याशी हरेंद्र चौधरी के विरूद्ध SFI से नामांकन भर दिया था लेकिन तब Expel नहीं किए गए.

Last Updated : Aug 27, 2022, 9:54 PM IST
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