जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बूंदी में 23 दिसंबर, 2021 को 15 साल की नाबालिग से गैंगरेप के बाद उसकी हत्या के दो आरोपियों छोटेलाल व सुल्तान की फांसी की सजा को रद्द कर उन्हें दोषमुक्त कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने बूंदी पॉक्सो कोर्ट के फांसी की सजा वाले आदेश को भी निरस्त कर दिया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की डेथ रेफरेंस को खारिज कर आरोपियों की अपीलों को मंजूर करते हुए दिए.
बूंदी की पॉक्सो मामलों की कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों के अपराध को दुर्लभतम से दुर्लभतम अपराध मानते हुए उन्हें 28 अप्रैल, 2022 को फांसी की सजा सुनाई थी. पॉक्सो कोर्ट के आदेश के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में आपराधिक अपीलें दायर की थीं. वहीं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से मामले में उनकी पैरवी के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया था.
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आरोपियों की ओर से अभियोजन की खामी बताते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी खोजी स्क्वायड डॉग टीम के आधार पर की थी, लेकिन पुलिस की चार्जशीट में टीम की गवाही ही शामिल नहीं की और ना इसे रिकॉर्ड पर लिया गया. वहीं पीड़िता के पिता की एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ थी और उसमें आरोपियों का नाम नहीं था. मामले में परिस्थितिजन्य ही साक्ष्य थे और कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था. पूरी जांच कार्रवाई में पुलिसकर्मी ही गवाह थे और कोई भी स्वतंत्र गवाह नहीं था. इसके अलावा परिस्थितिजन्य साक्ष्य के मामले में केस की एक-एक कड़ी आपस में मिलनी चाहिए, लेकिन इस केस की कड़ियां आपस में नहीं मिल पाई हैं और ऐसे में अभियोजन की पूरी कहानी ही संदेहास्पद हो जाती है.
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गौरतलब है कि नाबालिग पीड़िता काला कुआं गांव के पास जंगल में बकरियां चराने गई थी. इस दौरान ही उससे गैंगरेप करने के बाद उसकी नृशंस हत्या कर दी गई थी. पीड़िता के परिजनों की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उसकी लाश जंगल से बरामद की थी. वहीं आरोपियों को पकड़ने के लिए 10 पुलिस थानों की पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया और 12 घंटे में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने यह केस ऑफिसर स्कीम में लेकर तीन कार्यदिवस में ही चालान पेश किया था.