जयपुर. देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. प्राचीन भारतीय साहित्य और संस्कृति से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए संस्कृत को नए संदर्भ देते हुए बढ़ावा दिया जाना चाहिए. ये कहना है राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र का. राज्यपाल मिश्र ने सोमवार को जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय (JRRSU) के दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए ये कहा.
इस दौरान शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला भी मौजूद रहे. वहीं छात्रों को स्वर्ण पदक और उपाधि देने के साथ-साथ चार विभूतियों को डीलिट उपाधि भी दी गई. जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 16 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 14 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई. खास बात यह रही कि इस दौरान छात्रों ने भारतीय संस्कृति का परिचय देते हुए पूर्व छात्र धोती कुर्ता और महिला छात्र साड़ी पहनकर अपना पदक और उपाधि लेने पहुंचे.
इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि जीवन व्यवहार और आदर्श लोकाचार की शिक्षा संस्कृत भाषा में सहज और सुंदर रूप में दी गई है. संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से आंतरिक सुसंगति वाली भाषा है, जो विचारों के आदान-प्रदान के लिए बहुत सरल और मधुर है. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की संवाहक है. संस्कृत में रचे गए साहित्य, ज्ञान-विज्ञान से जुड़ी पुस्तकों को हिंदी के साथ दूसरी भारतीय भाषाओं में अनुवादित कराने की पहल करनी चाहिए. ताकि संस्कृत का प्राचीन ज्ञान नई पीढ़ी को उपलब्ध हो सके. उन्होंने संस्कृत के प्राचीन ज्ञान के आधार पर भारतीय संस्कृति से जुड़ा कोष भी तैयार करने का सुझाव दिया.
वहीं इस दौरान मौजूद रहे शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला ने कहा कि संस्कृत वेद भाषा है और कई भारतीय भाषाओं की जननी है. कई विदेशी भाषाओं में भी संस्कृत के शब्द पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि राजस्थान में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हाल ही प्रदेश में 20 महाविद्यालय खोले जाने का फैसला लिया गया. इसी तरह नए संस्कृत विद्यालय खोले जा रहे हैं. संस्कृत शिक्षा को डिजिटल और आधुनिक तकनीकों से जोड़े जाने की आवश्यकता जताते हुए विश्वविद्यालय में संगीत, ललित कला जैसे संकायों की शिक्षा शुरू करवाए जाने का भी सुझाव दिया.
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दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक, गोपाल शर्मा, आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया और अंतरराष्ट्रीय शूटर अपूर्वी चन्देला को डीलिट की मानद उपाधि प्रदान की. चन्देला कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकी. इस दौरान कुलपति डॉ रामसेवक दुबे ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि छात्राओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यहां निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है. विश्वविद्यालय स्तर पर शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए जेएनयू के साथ एमओयू किया गया है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साथ एमओयू प्रक्रियाधीन है. इस दौरान बहुभाषी शोध पत्रिका वयं और समाचार पत्रिका प्रकृति का भी लोकार्पण किया गया.