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इंदिरा रसोई में फर्जीवाड़ा: फर्जी कूपन काटकर ठेकेदार कर रहे कमाई...शिकायत पर जांच शुरू

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Published : Nov 17, 2022, 8:03 PM IST

इंदिरा रसोई में फर्जी कूपन काटकर ठेकेदार
इंदिरा रसोई में फर्जी कूपन काटकर ठेकेदार

सस्ते में गरीबों के पेट भरने के लिए गहलोत सरकार की ओर से चलाई जा रही इंदिरा रसोई में (Fraud in Indira Rasoi chittorgarh) फर्जीवाड़ा शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि फर्जी कूपन काटकर ठेकेदार इससे अवैध कमाई कर रहे हैं. स्थानीय लोगों की शिकायत पर जिला कलेक्टर ने मामले में जांच बैठा दी है.

चित्तौड़गढ़. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हर गरीब को सस्ता भोजन कराने की महत्वाकांक्षी इंदिरा रसोई योजना ठेकेदारों की कमाई का स्रोत (Contractors earning money illegaly by indira rasoi) बनती जा रही है. संचालक की ओर से हर महीने गरीबों को भोजन कराने के नाम पर सरकारी खाते से लाखों रुपए की चांदी काटी जा रही है. कपासन में संचालित 3 इंदिरा रसोई संस्थाओं का फर्जीवाड़ा (Fraud in Indira Rasoi chittorgarh) सामने आया है जहां हर रसोई पर बमुश्किल 20 से 25 लोग ही खाना खा रहे हैं जबकि प्रत्येक रसोई से प्रतिदिन लगभग 300 लोगों के कूपन काटे जा रहे हैं.

ठेकेदार की ओर से फर्जीवाड़ा भी ऑनलाइन आधार कार्ड के जरिए किया जा रहा है. मामला सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने उपखंड अधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी गठित कर जांच कराने की बात कही है. जांच में लाखों रुपए का गोलमाल सामने आने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के आधार के फोटो लेकर बड़ी संख्या में कूपन काटे जाने की बात सामने आ रही है.

इंदिरा रसोई में फर्जी कूपन काटकर ठेकेदार

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राज्य सरकार की ओर से 2 अक्टूबर को योजना लागू की गई. इसके अंतर्गत कपासन नगर पालिका क्षेत्र में तीन स्थानों पर इंदिरा रसोई सेंटर खोले गए जहां हर व्यक्ति को ₹8 में भरपेट भोजन कराने का प्रावधान है. राज्य सरकार की ओर से प्रति थाली ₹17 सब्सिडी दी जा रही है. नगर की तीनों इंदिरा रसोई का संचालन श्यामसुंदर सोमानी संस्थान निंबाहेड़ा की ओर से किया जा रहा है जो कि अजमेर के वेदांता फाउंडेशन के जरिए काम कर रहा है. यहां ठेकेदार की ओर से ऑनलाइन फर्जी टोकन काटे जा रहे हैं जिसकी एक बानगी भी सामने आई है. मोबाइल पर फोटो खींच कर फर्जी कूपन अपलोड किए जा रहे हैं.

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विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पता चला है कि योजना इंदिरा रसोई में करीब 20 से 25 ही लोग ही भोजन कर पाते हैं परंतु ऑनलाइन 342 से लेकर 382 लोगों के ऑनलाइन बिल काटकर राज्य सरकार लाखों का चूना लगाया जा रहा है. आंकड़े बताते हैं कि इंदिरा रसोई संख्या 635 पर 1 नवंबर को 283, 2 नवंबर को 307 तथा 3 नवंबर को 308 कूपन काटे गए जबकि आसपास के लोगों से पता चला है कि यह रसोईघर एक समय ही खुलता है और 20 से 25 लोगों को ही भोजन मिलता है.

इसके बावजूद कई गुना अधिक थालियां बताकर संचालक की ओर से सरकारी राशि हड़पी जा रही है. जानकारों के अनुसार वेदांता फाउंडेशन अजमेर की ओर से टेंडर दिया गया था. पता चला है कि संस्थान की ओर से हाल ही में करीबन 28 लाख का भुगतान उठाया गयाl संस्थान की ओर से नगर में इंदिरा रसोई संख्या 635, 636 सहित तीन कैंटीन का संचालन किया जा रहा है. इस बीच जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने बताया कि हमारे पास फर्जी बिल जारी किए जाने की शिकायत आई है जिसकी जांच के लिए उपखंड अधिकारी कपासन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई जिसे शीघ्र ही तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.

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