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मानसून में देरी से चित्तौड़गढ़ के किसान चिंतित, 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर में बोई फसल हो सकती है बर्बाद

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Published : Jul 8, 2021, 7:57 PM IST

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चित्तौड़गढ़ में बारिश नहीं होने से फसलों को नुकसान

मानसून (Monsoon) की देरी चित्तौड़गढ़ के किसानों के लिए आफत साबित हो सकती है. चित्तौड़गढ़ में किसानों ने 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर फसल की बुवाई की है लेकिन बारिश (rain in Chittorgarh) नहीं होने से फसलें सूख रही हैं.

चित्तौड़गढ़. मौसम विभाग ने मानसून समय पर आने की संभावना जताई थी. जिसे देखते हुए किसानों ने मानसून के पहले ही बारिश में ही खरीफ फसलों (Kharif Crop) की बुवाई कर दी लेकिन 15 दिन बाद भी बारिश नहीं हुई. ऐसे में फसलें मुरझाती जा रही हैं. इसे लेकर अन्नदाता चिंता के घेरे में हैं.

मौसम विभाग ने 20 जून के बाद मानसून के आने का अनुमान लगाया था. उसे देखते हुए किसानों ने इसके बाद हल्की बारिश के दौरान ही खरीफ फसलों की बुवाई कर दी थी. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जिले में इस बार कुल 3 लाख 23 हजार हेक्टेयर से अधिक खरीफ फसलों की बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिसके मुकाबले किसानों ने 2 लाख 80 हजार हेक्टेयर खरीफ फसल की बुवाई कर दी. यानि लक्ष्य से लगभग 70% बुवाई की गई. इसके लिए किसानों ने करोड़ों का खाद और बीज जमीन में डाल दिया. अब पखवाड़ा बीतने को है लेकिन मानसून ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.

चित्तौड़गढ़ में बारिश नहीं होने से फसलों को नुकसान

बारिश नहीं होने से बाल्यकाल में ही फसलें क्षमता के मुकाबले खड़ी नहीं हो पाई. यहां तक की कई स्थानों पर बीज अंकुरित तक नहीं हो पाया. मक्का से लेकर सोयाबीन और तिलहनी फसलें भी मुरझा रही है और सूखने की कगार पर पहुंच गई है. किसानों को चिंता इस बात की है कि अगले 3 से 4 दिन में बारिश नहीं हुई तो तो खाद और बीज का पैसा जमीन में ही दफन हो जाएगा. फिर से बुवाई के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं होगा.

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अब तक के आंकड़े बताते हैं कि 1 जून से लेकर जिले में अब तक 105 मिली मीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है. जबकि औसत बरसात 905 एमएम मानी गई है. कृषि विभाग के उपनिदेशक दिनेश जागा के अनुसार अब तक फसलों की बुवाई का 70% लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. फसलों को पानी की बहुत ज्यादा जरूरत है. शीघ्र ही बारिश नहीं आई तो फसलों के समक्ष दिक्कत खड़ी हो सकती है.

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