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राजस्थान में है एक ऐसा मंदिर, जहां उत्तर प्रदेश के लोगों की है खास आस्था, कुलदेवी की तरह करते हैं पूजा

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Published : Oct 14, 2021, 8:31 PM IST

Alwar news, Dhaula Devi temple in Alwar
अलवर का धोलादेवी का मंदिर

अलवर में भहतुकला गांव में धोलादेवी का मंदिर है, जहां नवरात्री (Navami 2021) पर अनेक राज्यों से श्रद्दालु भारी संख्या में आते हैं. कोरोना के कारण हर साल लगने वाला इस बार नहीं लग पाया.

अलवर. कठूमर उपखण्ड क्षेत्र की ग्राम पंचायत बहतुकला में स्थित धोलागढ़ देवी का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. यहां हर साल हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, कोलकाता से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मैया के दरबार में आते हैं और परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं. इस मंदिर में यूपी के मथुरा और आगरा जनपदों के श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है. इनका मंदिर के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है.

जिले के लक्ष्मणगढ़ से लगभग 10 किलोमीटर दूर भहतुकला गांव में अरावली पर्वत पर धोलागढ़ देवी का भव्य मंदिर स्थित है. धोलागढ़ देवी की अलवर और दौसा में ज्यादा मान्यता है. उत्तर प्रदेश के आगरा और मथुरा के लाखों लोग यहां आते हैं. वे माता का अपनी कुलदेवी के रूप में माता की पूजा करते हैं.

अलवर का धोलादेवी का मंदिर

देवी मैया के मंदिर की स्थापना की पीछे वैसे तो कई कहानी हैं. इनमें एक प्रचलित है कि कधैला नाम की कन्या बल्लपुरा रामगढ़ ग्राम में डोडरवती बाहाण परिवार में जन्मी थी. बचपन में माता-पिता का स्वर्गवास हो जाने पर वह अपने भाई-भाभी के पास रहने लगी. वह रोजाना पास के पहाड़ों पर गायों को चराने जाया करती थी और देर रात घर लौटती थी. एक दिन भाई-भाभी को शक होने पर उन्होंने कधैला का पीछा किया. उन्होंने देखा कि वहां राजसभा में मुख्य देवी के सिंहासन पर धैला बैठी थी. भाई-भाभी को देख उसने वहीं अपने प्राण त्याग दिए.

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मंदिर को लेकर एक और किवदंती है कि एक बंजारा मंदिर से निकला और रात्रि विश्राम के लिए वहां रुका. तभी वहां देवी प्रकट हुई और बोली इन थैलों में क्या है, उसने उत्तर में नमक बताया. जवाब पाकर देवी पहाड़ों में चली गई. सुबह जब बंजारे ने थैले में नमक पाया तो वह करुण विलाप करने लगा. उसका करुण विलाप सुन देवी प्रकट हुई तो क्षमा मांगी. जिसके बाद उसके थैले में फिर से हीरा जवाहरात आ गए. व्यापारी ने वापस लौटते समय वहां एक मंदिर और कुण्ड बनवाया, जो आज भी विद्यमान है.

वैशाख महीने में यहां धोलागढ़ देवी का मेला भरता है. जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं और अपने परिवार की खुशाली की मन्नतें मांगते हैं. नवरात्र के दिन यहां श्रद्धालुओं की काफी अच्छी भीड़ रहती है. हालांकि, कोरोना के कारण दो साल से यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई थी लेकिन अब कोरोना थोड़ा कम है. इसलिए नवमी के दिन श्रद्धालु काफी संख्या में देवी मां के मंदिर पहुंचे.

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