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Kodamaar Holi of Beawar: देवरों ने भाभियों को रंग से खूब भिगोया, बदले में सहनी पड़ी कोड़े की मार

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Published : Mar 8, 2023, 6:08 PM IST

Updated : Mar 8, 2023, 11:18 PM IST

Sister in laws holi with brother in laws in Beawar
Kodamaar Holi of Beawar: देवरों ने भाभियों को रंग से खूब भिगोया, बदले में सहनी पड़ी कोड़े की मार

अजमेर के ब्यावर में जीनगर समाज की ओर से कोड़ामार होली का आयोजन किया गया. इस दौरान देवरों ने अपनी भाभियों को रंग से भिगोया, तो बदले में कोड़े भी खाने पड़े.

यहां होली पर देवरों को भाभियों ने लगाए कोड़े, देखें वीडियो

अजमेर. जिले के ब्यावर में जीनगर समाज की ओर से खेली जाने वाली कोड़ामार होली को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह रहा. भाभी और देवर के बीच कोड़ामार होली खेली गई. इस दौरान भाभियां कपड़े के कोड़े को रंग से भरे कड़ाव में भिगोकर रख लेती हैं. देवर जब भाभियों को रंग डाल भिगोते हैं, तो बदले में उन पर कोड़े बरसाए जाते हैं.

बताया जाता है कि आजादी से पहले भी ब्यावर में जीनगर समाज की ओर से कोड़ामार होली खेलने की परंपरा रही है. डेढ़ सौ वर्षों से ब्यावर में कोड़ामार होली खेली जा रही है. जीनगर समाज की महिलाएं आज भी अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखने में पुरुषों का पूरा सहयोग कर रही हैं. परंपरा के अनुसार कोड़ामार होली के आयोजन से पूर्व दोपहर 2 बजे चांग गेट स्थित चारभुजा नाथ मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई.

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शोभायात्रा पाली बाजार एवं मुख्य बाजार से होते हुए मंगल बाजार के सामने पहुंची. जहां समाज की ओर से पानी से 9 कड़ाव भरकर रखे गए. इन कड़ाव में हरा, लाल, गुलाबी, पीला रंग पानी में मिलाया गया. जब चारभुजा मंदिर से शोभायात्रा के यहां पहुंचने पर समाज के पदाधिकारियों की ओर से ठाकुर जी को सभी कड़ाव में स्नान करवाया गया. इसके बाद देवर-भाभी के बीच कोड़ामार होली शुरू हुई.

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देवर-भाभी के स्नेह का प्रतीक है कोड़ामार होली: बताया जाता है कि भाभियां कोड़ामार होली के चार दिन पहले कोड़ा तैयार करती हैं. सूती लहरिया रंग के कपड़े को तैयार कर उसे घुमाव (बट्ट) देकर 2 दिन तक पानी में भिगोया जाता है. बुधवार को कोड़ामार होली पर जमकर देवरों ने भाभियों पर रंगीन पानी डाला. बदले में भाभियों ने देवरों को कोड़े लगाए. देवर और भाभियों के बीच रंग डालने और कोड़ा मारने की होड़ रहती है. देवर भाभी पर रंग डालकर कोड़े से बचने की कोशिश करते हैं. वहीं भाभी भी रंग बरसा रहे देवरों पर कोड़े बरसाने से नहीं चूकती हैं.

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दूर-दूर से देखने आते हैं लोग: ब्यावर में डेढ़ सौ साल से जीनगर समाज की ओर से कोड़ामार होली खेले जाने की परंपरा रही है. कोड़ामार होली को देखने के लिए दूरदराज से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. जीनगर समाज के लिए यह बुजुर्गों की ओर से शुरू की गई परंपरा है. लेकिन उन लोगों के लिए यह किसी मनोरंजन से कम नहीं है. कोड़ामार होली का समापन शोभायात्रा के वापस चारभुजा नाथ मंदिर पहुंचने तक होती है.

Last Updated :Mar 8, 2023, 11:18 PM IST
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