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Karauli Violence : जयपुर से दिल्ली तक सियासत, क्या हिंदुत्व के जरिए 'मिशन 2023' हासिल करने पर फोकस ?

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Published : Apr 11, 2022, 7:34 PM IST

Politics on Karauli Violence
राजस्थान में भाजपा की राजनीति

करौली हिंसा को लेकर (BJP Leaders on Karauli Case) राजस्थान में राजनीति चरम पर है. इस मामले में जयपुर से दिल्ली तक सियासत जारी है. भाजपा लगातार गहलोत सरकार और कांग्रेस पर हमलावर है. तो क्या भाजपा हिंदुत्व के जरिए 'मिशन 2023' को पूरा करने पर फोकस कर रही है ? देखिए जयपुर से ये रिपोर्ट...

जयपुर. राजस्थान की राजनीति इन दिनों हिंदुत्व के इर्द-गिर्द घूम रही है. करौली हिंसा मामला (Karauli Violence) इसका ताजा उदाहरण है, जिसे भुनाने में बीजेपी ने जयपुर से लेकर दिल्ली तक लगातार दौड़-भाग की. 2 अप्रैल को हुई इस घटना के बाद हर दिन भाजपा इस मामले को अलग-अलग तरीकों से उठाती रही. कांग्रेस ने भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया तो भाजपा ने सत्तारूढ़ दल पर तुष्टीकरण का. माना यह भी जा रहा है कि हिंदुत्व के इस मुद्दे के जरिए ही भाजपा 'मिशन 2023' पर फोकस कर रही है.

अब वसुंधरा और तेजस्वी सूर्या भी जाएंगे करौली : करौली में 2 अप्रैल को नव संवत्सर के मौके पर हुई हिंसा के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता वहां लगातार दौरे कर रहे हैं. पिछले दिनों राजेन्द्र राठौड़ की अगुवाई में पार्टी के प्रमुख नेताओं का प्रतिनिधिमंडल करौली गया था और उसके बाद सांसद किरोड़ी लाल मीणा सहित अन्य नेता भी वहां पहुंचे थे. अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मंगलवार को करौली जाएंगी तो वहीं 13 अप्रैल को भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य का भी करौली जाने का कार्यक्रम है.

हालांकि, वसुंधरा राजे वहां कैला देवी माता के दर्शन करेंगी. फिलहाल उनका यही कार्यक्रम बताया जा रहा है, लेकिन तेजस्वी सूर्य करौली में पीड़ित परिवारों से भी मिलेंगे और घटनाक्रम की पूरी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भी सौंपेंगे. मतलब साफ है कि बीजेपी हिंदुत्व से जुड़े इस मुद्दे को भुनाकर (BJP Mission 2023 in Rajasthan) साल 2023 की चुनावी वैतरणी पार करने में जुट गई है.

जयपुर से दिल्ली तक भाजपा की प्रेस वार्ता कर रही यह भी इशारा : करौली हिंसा के मामले में भाजपा नेताओं ने जयपुर से लेकर दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय तक में प्रेस वार्ता कर कांग्रेस और प्रदेश की गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया. सीधे तौर पर आरोप कांग्रेस पर तुष्टीकरण का लगाया. मकसद प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी को भाजपा से जोड़ना था और उसके लिए हिंदुत्व से बड़ा मुद्दा कुछ हो ही नहीं सकता, जिसे बीजेपी ने बखूबी उठाया. करौली मामले में दिल्ली में प्रेस वार्ता होना इस बात का भी सबूत है कि इस मामले को लगातार उठाए रखने के निर्देश भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भी मिले हैं.

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राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग के बाद अब जिला स्तर पर सरकार को घेरने की ये है रणनीति : करौली हिंसा मामले में प्रदेश भाजपा नेताओं ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर हस्तक्षेप की मांग की है. भाजपा अब इस मामले में जिला स्तर तक सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है. हाल ही में सरकार ने प्रदेश के 17 जिलों में धारा 144 लगाई, लेकिन बीजेपी ने आरोप लगाया कि राम नवमी की शोभा यात्रा सहित अन्य धार्मिक पर्वों पर निकलने वाले जुलूस और यात्राओं पर रोक लगाने के लिए सरकार ने कदम उठाया. अब धारा 144 के तहत इन जिलों में जिन-जिन लोगों को पुलिस प्रशासन का नोटिस मिला, भाजपा नेता उनकी जानकारी उठाकर उनसे संपर्क कर रहे हैं. मकसद साफ है कि इन तमाम जिलों में भी पीड़ित व्यक्तियों से संपर्क कर भाजपा नेता प्रदेश सरकार को घेरने का काम करेंगे.

भाजपा पर ध्रुवीकरण और कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप : करौली में हुई हिंसा का मामला हो या फिर 17 जिलों में धारा 144 लगाने का, बीजेपी लगातार प्रदेश सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगा रही है. वहीं, कांग्रेस के नेता भाजपा पर वोटों का ध्रुवीकरण कर हिंदू-मुस्लिम के वोट को बांटने का आरोप लगा रही है. मतलब प्रदेश की सियासत कुल मिलाकर (BJP Strategy for Rajasthan Assembly Election) इन दिनों हिंदुत्व और सांप्रदायिकता के इर्द-गिर्द ही घूम रही ही है और राजनीतिक दल अपने राजनीतिक क्षेत्र और फायदे के अनुसार इसे भुना भी रहे हैं.

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यह है पूरा मामला : 2 अप्रैल को नव संवत्सर के मौके पर करौली में निकाली गई शोभा यात्रा और बाइक रैली पर एक इलाके विशेष में पथराव हुआ. जिसके बाद हिंसा भड़क गई. इसमें कई दुकानें और वाहन (Demand for Judicial Inquiry of Karauli Uproar Case) जला दिए गए और कई लोग घायल हुए.

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