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International Nurse day 2022: काम को पेशा नहीं सेवा माना, एसएमएस असप्ताल के नर्सिंग कर्मियों ने पेश की मिशाल...

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Published : May 12, 2022, 6:40 PM IST

International Nurse day 2022
एसएमएस असप्ताल के नर्सिंग कर्मियों ने पेश की मिशाल

हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. चिकित्सा व्यवस्था (International Nurse day 2022) में नर्सों का काफी बड़ा योगदान रहा है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में कुछ नर्सिंग स्टाफ ऐसे भी हैं जो तकरीबन 10 साल से ऐसे मरीजों की सेवा कर रहे हैं जो निराश्रित और असहाय हैं. ऐसे मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने पर यहां के नर्सिंग कर्मी परिजन की तरह उनकी देखभाल करते हैं और अपने परिवार से बिछड़ चुके इन लोगों को परिजनों से भी मिलाते हैं.

जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में कुछ नर्सेज ऐसे हैं जो निराश्रित और असहाय मरीजों की न सिर्फ सेवा करते हैं बल्की परिजनों की तरह खयाल भी रखते हैं. सवाई मानसिंह अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग कर्मी बलदेव सिंह और उनकी टीम पिछले 10 सालों से अस्पताल में ऐसे मरीजों की सेवा कर रही है, जिनका या तो इस दुनिया में कोई नहीं है या फिर उनके परिजनों ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है. अस्पताल में सभी मरीजों को समान रूप से इलाज किया जाता है.

जिन मरीजों का कोई नहीं होता, उनकी देखभाल का जिम्मा एसएमएस अस्पताल के कुछ नर्सिंग वॉरियर्स (SMS hospital Of Jaipur Treating helpless) उठाते हैं. नर्सिंगकर्मी बलदेव चौधरी और उनके साथी ऐसे मरीजों के इलाज के दौरान उनके कपड़े बदलते हैं, खाना खिलाने से लेकर सभी काम खुद करते हैं. नर्सिंगकर्मी बलदेव चौधरी ने बताया कि निराश्रित मरीजों के बारे में वार्ड से ही जानकारी मिल जाती है. जिसके बाद उनके साथी मरीज के ठीक होने तक उसका पूरा खयाल रखते हैं. इन मरीजों में ज्यादातर भिखारी, नशे के आदि और ऐसे मरीज होते हैं जिनका या तो कोई अपना नहीं होता है या फिर उन्हें अपनो ने छोड़ दिया हो.

एसएमएस असप्ताल के नर्सिंग कर्मियों ने पेश की मिशाल

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लावारिसों को पहुंचाया घर : नर्सिंग कर्मी बलदेव सिंह का कहना है कि पिछले कुछ सालों में मरीज लावारिस हालत में भी अस्पताल में भर्ती हुए. यहां के नर्स ने कई ऐसे मरीजों को उनके परिजनों से भी मिलाया है जो कई सालों पहले बिछड़ गए थे. बलदेव सिंह का कहना है कि राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और असम तक उन्होंने मरीजों को उनके परिजनों तक पहुंचाया है.

जिनका कोई नहीं होता है उन्हें नर्सिंग कर्मी मदर टेरेसा आश्रम, अपना घर, सेवा शंकर आश्रम और अन्य संस्थानों में भेज देते हैं. ताकी वहां पर उनका खयाल रखा जा सके. नर्सिंगकर्मी बदलेव चौधरी बताते हैं कि कुछ मरीजों से तो लगाव भी हो जाता है. जिन बच्चों का कोई अपना नहीं होता हैं उन्हें परिवार की तरह संभालते हैं.

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