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गद्दार, दलाल, गब्बर, गैंग...क्या कांग्रेसी खुद को बेहतर जानते हैं ?

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Published : Oct 1, 2022, 2:45 PM IST

Rajasthan Political drama
Rajasthan Political drama

कांग्रेस खेमों में बंटी है अब वो छिपी हुई बात नहीं रही. गहलोत बनाम पायलट कैम्प जो खुलकर पार्टी में चर्चा का विषय नहीं हुआ करता था अब चर्चा ए आम है (Congress Political drama). इन दोनों गुटों के बीच की अदावत को दोनों ओर से चले शब्दों के तीखे बाणों ने और बढ़ा दिया. एक बार नहीं बार बार दोनों गुटों ने अपने अपने अंदाज में भाषाई मर्यादा को तार तार किया. पार्टी के छुटभैया नेता ही नहीं बल्कि नामदार इस फेहरिस्त में शामिल रहे. अब सवाल यही है कि क्या तंजों के जरिए आपस में बढ़ी खाई को कम किया जा सकेगा?

जयपुर. राजस्थान में कुर्सी की लड़ाई में यकीकन कहा जा सकता है कि कांग्रेस संगठन बेहद कमजोर हुआ है. जो हालात हैं उसे ठीक होने में कम से कम नहीं तो 6 महीने लगेंगे. इसके साथ ये कहना भी मुश्किल है कि हालात सामान्य होंगे भी या नहीं (Sachin Pilot Vs Ashok Gehlot). गहलोत बनाम पायलट की जंग में कांग्रेस आलाकमान और कांग्रेस के विधायक भी दो पक्ष बन चुके हैं. भाषाई मर्यादाएं लगातार पार हो रही है. इतनी की जद में आलाकमान भी है.

दोनों गुट एक दूसरे के लिए गद्दार, रजिस्टर्ड दलाल, गब्बर सिंह, अमरीश पुरी ,मानेसर गैंग जैसे इस्तेमाल कर रहे हैं. राजस्थान में ऐसे लग रहा है मानो सत्ताधारी दल भी कांग्रेस है और विपक्षी दल भी कांग्रेस (Sachin Pilot Vs Ashok Gehlot). आरोप और लांछन इस तरह के कि विपक्षी दल भी हैरान! हालात बद से बदतर होते देख आखिर पार्टी को विधायकों को चुप रखने के लिए आदेश जारी करना पड़ा.

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बयानवीरों ने इस तरह बेलगाम बोलों की झड़ी लगाई कि कांग्रेस पार्टी को आदेश निकाल कर ये कहना पड़ा कि राजस्थान के वर्तमान हालातों में कोई भी एक दूसरे पर बयान बाजी नहीं करें (dalal gaddar jibes touched new lows in Rajasthan). गहलोत गुट के निशाने पर सचिन पायलट और प्रभारी अजय माकन रहे तो पायलट खेमे ने प्रदेश के मंत्रियों के बहाने गहलोत को घेरने की कोशिश की.

गहलोत खेमे के बयानवीर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों की संख्या ज्यादा है. यही कारण है कि गहलोत समर्थक विधायक अड़ गए कि मुख्यमंत्री अगर आलाकमान बदले तो भी उन 102 में से हो जिन्होंने सरकार बचाई थी. आइए डालते हैं नजर कुछ ऐसे ही बयानों पर...

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शांति धारीवाल- संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सचिन पायलट को 2 साल पहले सरकार गिराने के प्रयास में शामिल होने वाला नेता बताया. फिर प्रदेश प्रभारी अजय माकन को भी लपेटा. कहा कि अजय माकन ने पक्षपात करते हुए सरकार गिराने के आरोपियों में शामिल सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का प्रयास किया.

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गोविंद मेघवाल- मंत्री गोविंद मेघवाल ने सचिन पायलट पर तो आरोप लगाए ही साथ ही अजय माकन पर आलाकमान के सामने गलत तस्वीर पेश करने के आरोप भी मढ़े. बोले- पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी को तो करीब 1 साल बाद भी कोई नोटिस नहीं दिया गया. जो सरकार बचाने में शामिल थे उन्हें 1 दिन में नोटिस देकर, अजय माकन ने साफ कर दिया है कि उनकी भूमिका संदिग्ध रही है. मेघवाल ने सवाल किया की बगावत करने वाले चार मंत्रियों को तो कांग्रेस की गरिमा का ध्यान रखते हुए हमने बनने दिया लेकिन अब मुख्यमंत्री ऐसे नेता को कैसे बनने दें जिसने खुद सरकार गिराने का प्रयास किया हो?

प्रताप सिंह खाचरियावास- खाचरियावास ने गहलोत का समर्थन करते हुए आलाकमान से साफ कहा कि लोकतंत्र में नंबर गेम ही सब कुछ होता है. ऐसे में यह कैसे संभव है कि जिस नेता के साथ 100 से ज्यादा विधायक हैं, उसकी बात नहीं सुनी जाकर, जिस नेता के पास 15 विधायक है उसकी बात सुनी जाए.

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धर्मेंद्र राठौड़- इस पूरे मामले में नोटिस पाने वाले आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौर ने सचिन पायलट को सीधे शब्दों में गद्दार कहा है.

परसादी लाल मीणा- मंत्री परसादी लाल मीणा इस मामले में खुलकर सामने आए और उन्होंने साफ लहजे में कह दिया कि 1 साल पहले उन्हें चुनाव में जाना तो मंजूर है, लेकिन सचिन पायलट जैसे भाजपा का साथ देने वाले नेताओं का मुख्यमंत्री बनाया जाना मंजूर नहीं.

महेश जोशी- मुख्य सचेतक और मंत्री महेश जोशी जिन्हें इस पूरे प्रकरण में नोटिस भी मिला है. उन्होंने भी साफ कर दिया कि आलाकमान को 102 विधायकों की मांग माननी चाहिए.

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पायलट गुट के बयानवीर:

राजेंद्र गुढ़ा- मंत्री राजेंद्र गुढ़ा अपने आप को आलाकमान का सिपाही कहते हुए सचिन पायलट के समर्थन में बात रखते दिखाई दिए. उन्होंने आलाकमान पर सवाल उठाने वाले शांति धारीवाल को 4000 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार करने वाला और मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को गब्बर सिंह और अमरीश पुरी जैसे शब्दों से संबोधित किया.

मुरारी लाल मीणा- पायलट कैंप की ओर से मंत्री बनाए गए मुरारी लाल मीणा ने ये पूछा कि अगर मानेसर जाने वाले सभी लोग गद्दार हैं तो फिर हम में से 5 लोगों को मंत्री क्यों बनाया गया? हमने तो 2 साल पहले केवल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विरोध किया था ,गहलोत समर्थक विधायकों ने तो आलाकमान के आदेशों का उल्लंघन किया है अब वही बता दें कि गद्दार कौन है?

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खिलाड़ी लाल बैरवा- एससी आयोग के चेयरमैन और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने गहलोत समर्थक विधायकों के आलाकमान की नाफरमानी करने वाला तो बताया ही, साथ ही प्रदेश के मंत्रियों को वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया. बोले जिन मंत्रियों को अपनी कुर्सी जाने का डर है वही राजस्थान में ऐसी घटना को अंजाम दे रहे हैं.

वेद सोलंकी- पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी ने सचिन पायलट को गद्दार बताने वाले धर्मेंद्र राठौर को रजिस्टर्ड दलाल बताया.

गिर्राज सिंह मलिंगा- आलाकमान के साथ खड़े विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा ने कहा कि अगर मानेसर जाने वालों ने गद्दारी की थी ,तो फिर अभी विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर इस्तीफे देने वाले विधायकों ने क्या मानेसर से भी बड़ा अपराध नहीं किया है?

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