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कुनो-पालपुर से पहले जयपुर आएंगे 8 चीते, नामीबिया से पहुंचेंगे जयपुर एयरपोर्ट

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Published : Sep 12, 2022, 5:24 PM IST

Updated : Sep 12, 2022, 5:58 PM IST

Kuno Palpur Sanctuary
Kuno Palpur Sanctuary

जयपुर का इन्टरनेशनल एयरपोर्ट एक बड़े एतिहासिक घटनाक्रम का गवाह बनने जा रहा है। देश में 70 साल बाद चीतों की वापसी हो रही है। मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने बताया कि अफ्रीकन चीतों को मालवाहक विमान से दक्षिणी अफ्रीकी देश नामीबिया से राजस्थान के जयपुर लाया जाएगा और एक हेलीकॉप्टर 17 सितंबर की सुबह उन्हें कुनो-पालपुर लाएगा. (African cheetahs in Kuno, MP Cheeta Project)

भोपाल. मध्य प्रदेश में चीतों की वापसी का काउंटडाउन शुरू हो गया है. मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने सोमवार को बताया कि ''आठ चीतों को 17 सितंबर की सुबह हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान लाया (African cheetahs in Kuno) जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी उसी दिन उन्हें चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम के हिस्से के रूप में संगरोध बाड़ों में छोड़ेंगे. पार्क में 6 छोटे बाड़े स्थापित किए गए हैं''.

चीतों को ले जाने में हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल: यह पूछे जाने पर कि चीतों को ले जाने के लिए कितने हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जाएगा, इस पर जेएस चौहान ने कहा कि ''यह इस उद्देश्य के लिए तैनात विमानों के प्रकार पर निर्भर करेगा. यदि एक छोटा विमान तैनात किया जाता है, तो जयपुर से कुनो-पालपुर (Kuno Palpur Sanctuary) में फेलिन को स्थानांतरित करने के लिए दो उड़ानें होंगी. यह केंद्र और रक्षा मंत्रालय द्वारा तय किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उसी दिन चीतों को बाड़ों में छोड़ देंगे''.

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6 छोटे बाड़े स्थापित: अधिकारी ने कहा कि "'हमने जानवरों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरित करने के दौरान आवश्यक कानूनी आदेश के अनुसार 6 छोटे संगरोध बाड़े स्थापित किए हैं. प्रोटोकॉल के अनुसार, जानवरों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में जाने से पहले और बाद में एक-एक महीने के लिए क्वारंटाइन करने की जरूरत है. केएनपी में फिर से शामिल किए जाने वाले चीतों की उम्र के बारे में पूछे जाने पर जेएस चौहान ने कहा कि उनके पास जानकारी नहीं है, क्योंकि केंद्र के अधिकारी नामीबिया के अधिकारियों के साथ इस पर बातचीत कर रहे हैं.

1952 में विलुप्त घोषित की थी चीते की प्रजाति: देश में अंतिम अफ्रीकन चीते की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ में है. कोरिया पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था. इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित किया गया था. भारत में अफ्रीकी चीता परिचय परियोजना की कल्पना 2009 में की गई थी. अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल नवंबर तक केएनपी में बड़ी बिल्ली को पेश करने की योजना को COVID​-19 महामारी के कारण झटका लगा था.,

Last Updated :Sep 12, 2022, 5:58 PM IST
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