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Rajasthan Politics: आरक्षण के बाद सियासी जमीन पर हक की लड़ाई को 'धार' दे रहे बैंसला...एमबीसी कार्ड के जरिए बना रहे बड़ा प्लान

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Published : Jan 27, 2022, 6:11 PM IST

Vijay Bainsla playing MBC Card
Vijay Bainsla playing MBC Card

आरक्षण की लड़ाई लड़ने बाद अब कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला (Vijay Bainsla playing MBC Card)राजनीति की सियासी जमीन पर हक की लड़ाई को धार देने में जुट गए हैं. एमबीसी कार्ड को चलाने के लिए तैयार बैठे विजय बैंसला ने संकेत दिए हैं कि राजनीतिक पार्टियां सोचना शुरू कर दें, वरना समाज अपना फैसला खुद करेगा.

भरतपुर. राजस्थान की राजनीतिक जमीन पर हक की लड़ाई के लिए एमबीसी (Most Backword Class) कार्ड खेलने की तैयारी (Vijay Bainsla playing MBC Card) शुरू हो गई हैं. चुनाव अभी 2023 में होने हैं, लेकिन उसके लिए सियासी जमीन की सिंचाई की तैयारी गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला ने शुरू कर दी है. उन्होंने इसके संकेत भी दे दिए हैं.

गुर्जर आंदोलन के दौरान अपने तेवर दिखा चुके विजय बैंसला अब राजनीतिक हक की लड़ाई को धार देने में जुट गए हैं. प्रदेश के एमबीसी मतदाता को लेकर विजय बैंसला (Vijay Bainsla on MBC voters) अब राजनीतिक मुखर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में एमबीसी मतदाता की करीब 36 फीसदी भागीदारी है. बावजूद इसके कई विधानसभा क्षेत्रों में आजादी से अब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने उम्मीदवार के रूप में एमबीसी समाज के किसी व्यक्ति को मौका नहीं दिया है.

Vijay Bainsla on MBC voters
Vijay Bainsla on MBC voters

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ऐसे में आगामी विधानसभा चुनावों में प्रदेश का एमबीसी समाज राजनीति का रुख बदल सकता है. गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला ने प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों को स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि यदि राजनीतिक पार्टियां समाज के बारे में नहीं सोचेंगी, तो समाज खुद का फैसला खुद करेगा. कुछ दिनों पहले गुर्जर नेता विजय बैंसला ने ट्वीट करने के साथ एक पोस्टर भी लांच किया था जिसमें एमबीसी वोटरों को साधने की कोशिश की गई है.

200 में से 73 विधानसभा एमबीसी बाहुल्य
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने बताया कि प्रदेश की 200 विधानसभा में से 73 विधानसभा सीट ऐसी हैं जहां पर एमबीसी समाज का मतदाता है. विजय बैंसला बीते करीब छह माह से एमबीसी बहुल विधानसभाओं का दौरा कर रहे हैं. विजय बैंसला की मानें तो प्रदेश में 36 फीसदी मतदाता बल एमबीसी का है.

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आजादी से अब तक किसी ने मौका नहीं दिया
विजय बैंसला ने बताया कि प्रदेश की एमबीसी बहुल 73 विधानसभा में से ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं, जहां पर अब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने उम्मीदवार के रूप में समाज के व्यक्ति को मौका नहीं दिया. जबकि प्रत्येक विधानसभा में एमबीसी के न्यूनतम 22 हजार मतदाता हैं. इनमें पीपलदा में 38 हजार गुर्जर मतदाता, मांडलगढ़ 35 हजार और मसूदा में 40 हजार गुर्जर मतदाता हैं. लेकिन अब तक एक भी बार कांग्रेस या बीजेपी ने गुर्जर समाज के व्यक्ति को उम्मीदवार के रूप में मैदान में नहीं उतारा. विजय बैंसला ने कहा कि इन 3 विधानसभाओं के अलावा भी ऐसी कई विधानसभा सीटें हैं, जहां पर आज तक गुर्जर समाज को मौका नहीं मिला.

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...तो समाज अपना फैसला खुद करेगा
एक सवाल के जवाब में विजय बैंसला ने कहा कि प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां एमबीसी समाज को तवज्जो देना शुरू कर दें, नहीं तो समाज अपना फैसला लेने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो नहीं पता. लेकिन ऊंट के ऊपर एमबीसी समाज जरूर बैठेगा.

एमबीसी में ये जातियां शामिल
एमबीसी में गुर्जर समाज समेत पांच जातियों को शामिल किया गया है. इनमें गुर्जर, रेवाड़ी, बंजारा, राइका और गाड़ियां लोहार शामिल हैं. राज्य सरकार ने इन पांच जातियों को एमबीसी के तहत 5 फीसदी आरक्षण में शामिल किया है. गुर्जर नेता विजय बैंसला से हुई बातचीत से स्पष्ट पता चलता है कि उनकी ओर से बीते कई माह से किए जा रहे एमबीसी बहुल विधानसभा क्षेत्रों के दौरे के बाद राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है. बीते दिनों कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, पूर्व कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा समेत पांच कांग्रेस के दिग्गज कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से कुशल क्षेम पूछने पहुंचे थे. लेकिन इसके पीछे की वजह विजय बैंसला के एमबीसी बहुल विधानसभाओं में किए जा रहे दौरों को माना जा रहा है.

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