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घना का आकर्षण : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता देखने भरतपुर आएगा फ्रांस का 4 सदस्यीय डेलिगेशन

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Published : Nov 23, 2021, 6:18 PM IST

Updated : Nov 23, 2021, 7:28 PM IST

प्रवासी पक्षियों के स्वर्ग के रूप में दुनिया भर में विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता दुनिया को आकर्षित कर रही है. घना के प्राकृतिक भण्डार जैव विविधता को देखने फ्रांस का 4 सदस्यीय डेलिगेशन भरतपुर आएगा. वन विभाग के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में यह डेलिगेशन 2 दिन तक रुकेगा और घना का भ्रमण करेगा.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मोहित गुप्ता ने बताया कि 25 नवंबर की शाम को फ्रांस का 4 सदस्यीय डेलिगेशन उद्यान पहुंचेगा. यह दल 25 नवंबर की शाम से 27 नवंबर की सुबह तक यहां रुकेगा.

डीएफओ (Keoladeo National Park DFO Mohit Gupta) ने बताया कि फ्रांस का यह डेलिगेशन राजस्थान बायोडायवर्सिटी प्रोजेक्ट (Biodiversity Project ghana) के तहत उद्यान का भ्रमण करेगा और यहां की जैव विविधता देखेगा. फ्रांस के डेलिगेशन के भ्रमण के दौरान वन विभाग के पीसीसीएफ और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (wild life warden of ghana) भी यहां मौजूद रहेंगे. यह दल 27 नवम्बर की सुबह यहां से रवाना हो जाएगा.

घना में है जैव विविधता का भण्डार

असल में पूरे राजस्थान प्रदेश में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर इतनी बड़ी संख्या में जैव विविधता पाई जाती है. राजस्थान में जहां पक्षियों की कुल 510 प्रजातियां (bird species in Keoladeo National Park) पाई जाती हैं, वहीं अकेले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में करीब 380 पक्षियों की प्रजातियां चिह्नित की जा चुकी हैं.

पढ़ें- राजस्थान: केवलादेव घना में प्रवासी पक्षियों ने डाला डेरा, पर्यटन के पटरी पर लौटने की उम्मीद

इसी तरह राजस्थान में रेंगने वाले (सरीसृप) जीवों की करीब 40 प्रजातियां मिलती हैं, जिनमें से करीब 25 से 29 प्रजातियां घना में उपलब्ध हैं. राजस्थान में तितलियों की करीब 125 प्रजातियां मिलती हैं, जिनमें से करीब 80 प्रजाति घना में मिलती हैं. राजस्थान में मेंढक की 14 प्रजातियां, जिनमें से 9 प्रजाति घना में हैं, राजस्थान में कछुओं की 10 प्रजातियों में से 8 प्रजाति घना में मिलती हैं.

राजस्थान पर्यटन (Rajasthan Tourism) के लिए भी यह जरूरी है कि शुष्क मरूस्थीय पहचान रखने वाले इस प्रदेश के उस हिस्से से लोग दुनियाभर से आकर्षित होकर आएं, जहां वनस्पति और जैव विविधता के क्षेत्र में हमने झंडे गाड़े हैं.

Last Updated :Nov 23, 2021, 7:28 PM IST
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