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अधर में आवास - 72 करोड़ की योजना के लिए नहीं बचा बजट, फंड के अभाव में अधूरे पड़े पीएम आवास

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Published : Oct 18, 2020, 7:08 PM IST

houses under pradhanmantri awas yojna
अधर में आवास

विदिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बजट नहीं होने से 864 भवनों का निर्माण अटका हुआ है. गरीब हितग्राही आवासों की मांग कर रहे हैं लेकिन शासन के पास बजट नहीं होने से यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. पढ़ें पूरी खबर...

विदिशा। हर शख्स का सपना होता है कि उसका एक खुद का आशियाना हो. लोगों के इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए सरकार ने देशभर में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरूआत की थी, जिसके तहत गरीब तबके के लोगों को घर मिल सके. विदिशा में भी इस योजना के तहत 864 भवन बनाए जाने थे, लेकिन बजट के आभाव में सालों से ये भवन अधूरे पड़े हैं.

अधर में आवास

विदिशा नगर पालिका के जात्रापुरा इलाके में साल 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 648 ड्यूप्लेक्स और 216 LIG आवासों का निर्माण होना था. लेकिन आज भी बजट नहीं होने की वजह से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले घर अधूरे पड़े हैं. बड़ी-बड़ी मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के रूप में बन रहे भवनों में जहां गरीबों का आशियाना होना था, आज उस जगह में वीरानियत के बादल छाए हुए हैं.

72 करोड़ रुपए की योजना

नगर पालिका अधिकारी सुधीर सिंह ने बताया कि यह टोटल 72 करोड़ की योजना है. जिसमें 18 करोड़ रुपए शासन की ओर से थे बाकि राशि हितग्राहियों से लेनी थी. 22 करोड़ रुपए की निकाय निधि इन आवासों में लग चुकी है, अब निकाय निधि में पैसा बचा नहीं है. राशि के आभव में काम रुक गया है. कुछ व्यवसायिक कॉम्लेक्स बेचकर जो पैसा आएगा उसके बाद काम शुरू होने की उम्मीद है.

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प्रशासान के मुताबिक 6 लाख 50 हजार की लागत से प्रति हितग्राही सिर्फ दो लाख रुपए दिए जाने हैं. इस आवास के लिए हितग्राहियों को 20 हजार रुपए नगद जमा करना है और एक लाख 80 हजार की राशि बैंक लोन लेकर जमा करनी है. बैंक लोन के लिए नगर पालिका परिषद की गारंटी लगेगी.

हितग्राही लगा रहे आरोप

हितग्राहियों का आरोप है कि आवास आवंटन में पक्षपात हो रहा है. जिन्हें आवास की जरूरत थी उनका आवास की सूची में नाम ही नहीं है. वहीं कई लोगों के नाम सूची में सालों से आ रहे हैं बावजूद इसके उन्हें प्रधानमंत्री आवास नसीब नहीं हो सका है. लोगों का आरोप है कि कागजों में दो साल पहले आवास योजना के तहत नाम आ चुका था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी एक अदद घर नहीं मिल सका है. वहीं अधिकारियों के कई चक्कर काटने के बावजूद अब तक उन्हें कोई लाभ नहीं मिला है.

लगातर एक तरफ गरीब हितग्राही आवासों की मांग कर रहे हैं लेकिन शासन के पास बजट नहीं होने पर यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. वहीं दूसरी ओर जहां आवास दे दिए गए हैं वहां लोगों ने नगरीय अमले पर पक्षपात के आरोप लगाए हैं. खैर अब देखना ये होगा कि आखिर कब हितग्राहियों को उनका आशियाना मिलेगा.

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