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Ujjain Scientist Aqab Khan: उज्जैन के लाल को सलाम, आदित्य एल-1 में दिखाया कमाल, सुटेलिस्कोप टीम को युवा वैज्ञानिक आकब रजा ने किया लीड

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 3, 2023, 2:02 PM IST

Updated : Sep 3, 2023, 2:25 PM IST

आदित्य एल 1 की डिजाइन करने वाला वैज्ञानिक उज्जैन का रहने वाला है. इस कामयाबी में उज्जैन के डॉ. अकाब रजा खान का अहम योगदान है. इसको लेकर उज्जैन वासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.

Dr. Aqab Raza Khan
डॉ. अकाब रजा खान

आदित्य एल 1 की डिजाइन में उज्जैन के साइंस्टिस्ट का योगदान

उज्जैन। भारत लगातार अंतरिक्ष में अपना तिरंगा झंडा लहराता जा रहा है और पूरे विश्व में भारत की जय जयकार हो रही है. भारत के चंद्रायन-3 की सफल लैंडिंग के बाद पूरी दुनिया की नजर भारत की ओर टिक गई है. वहीं भारत ने तरक्की के लिए एक कदम और आगे बढ़ा दिया है, जिसमें सूर्य की खोज के लिए भारत ने शनिवार को एक आदित्य एल 1 को लांच किया है जो सूरज की हर गतिविधियों पर नजर रखेगा. वहीं, आदित्य एल 1 की डिजाइन करने वाला युवक उज्जैन का ही रहने वाला है. इस कामयाबी में उज्जैन के डॉ. अकाब रजा खान का अहम योगदान है. उन्होंने 'आदित्य एल-1' की डिवाइस को डिजाइन करने वाली टीम को लीड किया था.

कौन है डॉ. अकाब रजा खान: अकाब के पिता रहमतुल्ला खान महाराजा स्कूल में प्रिंसिपल के पद पर पदस्थ हैं. उन्होंने बताया कि ''आदित्य एल-1 मिशन के लिए 4 वर्षों तक अकाब ने मेहनत की है. वे आदित्य एल-1 की डिवाइस बनाने वाली टीम को लीड कर रहे थे. शुक्रवार को सफलता पूर्वक लॉन्चिंग के बाद पूरे शहर का नाम अकाब ने रोशन कर दिया है. इसके लिए अकाब खान के पास सांसद, विधायक सहित देश भर से उन्हें जानने वालों के फोन आ रहे हैं.'' डॉ. अकाब रजा खान ने 12 वीं तक उज्जैन में पढ़ाई की. 2004 के कुम्भ के दौरान अकाब ने प्लॉस्टिक के पाइप से टेलिस्कोप बनाया था. जिसे मेले के दौरान लाखों लोगों ने देखा था. शुरू से ही स्पेस रिसर्च में रूचि होने के चलते डॉ. खान ने NIT भोपाल यूनिवर्सिटी से B.Tech किया. इसके बाद में शोध कार्य के लिए पुणे गए. यही पर उन्होंने आदित्य L1 बनाने का कार्य मिला. जिसमें उन्होंने सफलता प्राप्त की. अकाब रजा खान फिलहाल अमेरिका में है. नासा ने उन्हें 1.7 करोड़ की स्कॉलरशिप प्रदान की है.

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अकाब की मेहनत ने पहुंचाई मुकाम तक: अकाब रजा खान की मां ने बताया कि "बहुत खुशी हो रही है कि मैंने उसे पढ़ाया है. आज वह इस काबिल हो गया है कि इसरो में साइंटिस्ट है. एपीजे अब्दुल कलाम जब उज्जैन आए थे. सवाल किया था कि सारी दुनिया जब भर जाएगी तो तुम क्या करोंगे, तो उसका जवाब था कि सर हम चांद पर नई दुनिया बसायेंगे. यहां तक पहुंचने के लिए अकाब ने बहुत ज्यादा मेहनत की है.''

Last Updated :Sep 3, 2023, 2:25 PM IST
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