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खतरे में है कूनो के अफ्रीकी चीते, चीता मित्र लक्ष्मण सिंह बोले- बाड़ा नहीं चीतों को जंगल चाहिए

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Published : May 19, 2023, 10:48 PM IST

indore news
खतरे में है कूनो के अफ्रीकी चीते

दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए चीतों को कूनो अभ्यारण के बाड़े में रखे जाने के फैसले पर कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि बाड़ा नहीं चीतों को जंगल चाहिए.

खतरे में है कूनो के अफ्रीकी चीते

इंदौर। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो लाए गए चीतों को बचाने को लेकर जहां वन विभाग से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता जताई है. वहीं अब इन्हें कूनो अभ्यारण के बाड़े में रखे जाने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. हाल ही में तीन चीतों की मौत के बाद करीब 7 चीतों को हैबिटेट के अनुसार दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग की जा रही है. भारत सरकार की ओर से हाल ही में चीता मित्र नियुक्त किए गए कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने भी चीतों को एक साथ बड़ी संख्या में बाड़े में रखने के फैसले पर आपत्ति जताई है. शुक्रवार को इंदौर में कांग्रेस नेता ने इस मसले पर कहा कि मोदी सरकार को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से एक साथ चीते लाने की बजाय चरणों में छोड़ने थे. इसी कारण तीन चीते मारे गए. उन्होंने कहा कि चीतों के लिए हिरण और चीतल भी गाड़ियों में भरकर कूनो ले जाए जा रहे हैं, जिससे कई हिरण और चीतल की रास्ते में ही मौत हो चुकी है.

चीता मित्र लक्ष्मण सिंह ने इस मामले में कहा कि चीतों को दौड़ने के लिए शिकार आदि के लिए बड़ा क्षेत्र चाहिए होता है, लेकिन कूनो पालपुर में इन्हें बाड़े में रखा गया है. उन्होंने कहा कि अभी भी मौका है जब सागर के नौरादेही के अलावा गांधी सागर अभ्यारण में इन्हें छोड़ा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले पा रही है. वहीं राजस्थान के प्राणी अभ्यारण में भी इन्हें सुविधाजनक तरीके से शिफ्ट किया जा सकता है.

17 सितंबर 2022 को नामीबिया से चीते लाए थे भारतः गौरतलब है कूनो पालपुर का जंगल का क्षेत्र 6000 वर्ग किलोमीटर का है. यहां प्रोजेक्ट चीता के तहत 17 सितंबर 2022 को 8 चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया था, जिन्हें कूनो नेशनल पार्क में क्वारंटाइन फैसिलिटी में छोड़ा गया है. फिलहाल यहां पर 17 युवा और 4 शावक चीते हैं. इसके अलावा इसी महीने सभी नर और मादा चीतों को एक साथ बड़े बाड़ों में छोड़ दिया गया है. इस मामले में विशेषज्ञ बताते हैं कि नर और मादाओं के एक साथ रहने से अगले 3 से 4 महीने में इनकी संख्या बढ़ सकती है. जिन्हें सघन क्षेत्र में रखना खतरे से खाली नहीं है. इस स्थिति के मद्देनजर अब वन विभाग द्वारा चीतों को गांधी सागर अभ्यारण में शिफ्ट करने के लिए तैयारी की जा रही है, लेकिन चीतों की प्रजनन दर के हिसाब से यह तैयारी काफी धीमी है. ऐसे में चीतों की शिफ्टिंग को लेकर अब लगातार मांग उठ रही है. हाल ही में राज्य के मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक ने 7 चीतों को राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क में शिफ्ट करने के लिए वन विभाग के आला अफसरों को नोटिस भेजकर चिंता जताई है, जिससे कि चीतों को संभावित खतरों से समय रहते बचाया जा सके.

सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंताः चीता संरक्षण से जुड़े अधिकारियों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क मध्यप्रदेश लाए गए चीतों की मौत पर चिंता जताई है. न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कूनो से कुछ चीतों को राजस्थान के नजदीकी अभ्यारण में भेजने संबंधी मांग को उपयुक्त बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि 2 महीने से भी कम समय में 3 चीतों की मौत गंभीर चिंता का विषय है. ऐसा प्रतीत होता है कि कूनो इतने सारे चीतों के लिए पर्याप्त नहीं है. एक जगह पर चीतों की सघनता बहुत अधिक होती है.

ऐसे हो रही है मौतेंः इसी वर्ष 27 मार्च को साशा नामक मादा चीता जो नामीबिया से लाई गई है. उसकी किडनी की बीमारी के कारण मौत हो गई. एक अन्य दक्षा नामक मादा चीता जो दक्षिण अफ्रीका से लाई गई थी. उसकी नर चीते के साथ हुई हिंसक झड़प में मौत हो गई. वहीं एक नर चीता उदय की भी मौत हो चुकी है.

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