इंदौर। मध्यप्रदेश में खाद की किल्लत से जूझ रहे किसान अब विभिन्न इलाकों में बिजली कटौती से परेशान हैं. स्थिति यह है कि सरकार के 10 घंटे बिजली देने के दावों के बावजूद किसानों को अपने खेतों में बोनी करने के लिए 4 से 5 घंटे ही बिजली बहुत मुश्किल से मिल पा रही है. यही वजह है कि खुद मंत्रियों को बिजली आपूर्ति के लिए मैदान संभालना पड़ रहा है.
मंत्रियों ने बिजली समस्या का निकाला समाधान: पूरे प्रदेश में फिलहाल गेहूं और चने की बोनी हो रही है. हालांकि कुल रकबा के 50 फीसदी में पलेवा और बोनी हो चुकी है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में किसान बोनी करने जा रहे हैं, जिन्हें सिंचाई के दौरान बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है. यही स्थिति हाल ही में सांवेर क्षेत्र में बनी जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से की थी (indore electricity shortage). नतीजतन मंत्री सिलावट ने पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों के अधिकारियों के साथ बिजली की मांग और आपूर्ति के संबंध में एक बैठक बुलाई थी. इस बैठक में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि, बोनी के समय बिजली कटौती कम से कम की जाए, इसके अलावा किसानों को पर्याप्त मात्रा में समय पर बिजली मुहैया कराया जाए. यह मामला हाल ही में राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल के संज्ञान में भी आया था, जिसके चलते मंत्री पटेल ने निर्देश दिए हैं कि एक साथ बिजली के जगह फिलहाल किसानों को दिन में 6 घंटे और रात में 4 घंटे बिजली दी जाए, जहां समस्या है वहां पर सुधार किया जाए. उन्होंने कहा कि, किसी भी स्तर पर किसानों को बिजली मुहैया कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.
खाद्य वितरण का विकेंद्रीकरण होगा: बिजली के साथ ही यूरिया खाद की किल्लत के मद्देनजर राज्य सरकार अब खाद्य वितरण का विकेंद्रीकरण करने जा रही है. कृषि मंत्री कमल पटेल के मुताबिक जो किसान डिफाल्टर हैं उन्हें भी नगर राशि देने पर सहकारी समितियों से यूरिया खाद उपलब्ध कराया जा सकेगा. उन्होंने बताया पीओएस मशीन अब गांव-गांव भेज रहे हैं, वहीं पर सोसायटियों के माध्यम से किसानों को मौके पर ही खाद का वितरण किया जा रहा है. फिलहाल सभी जगह यह व्यवस्था नहीं है, लेकिन जल्द ही यूरिया खाद के सुलभ तरीके से उपलब्ध कराने के लिए यूरिया बिक्री का विकेंद्रीकरण करने जा रहे हैं.