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150 साल पुराने शनि मंदिर साल की दूसरी शनिश्चरी अमावस्या पर सजकर तैयार, दर्शन के लिए भक्तों का लगा तांता

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Published : Jul 10, 2021, 2:11 PM IST

Updated : Jul 10, 2021, 2:24 PM IST

Shani Mandir at Juni Indore
जूनी इंदौर स्थित शनि मंदिर

इंदौर(indore)जूनी इंदौर स्थित शनि मंदिर दूसरी शनिश्चरी (shani temple in juni indore)अमावस्या पर सजकर तैयार है. सुबह से शाम तक दर्शन-पूजन के लिए शिवभक्तों का मंदिरों में तांता लगा रहा.मंदिर में पंचामृत स्नान, दोपहर को तिल-तेल से अभिषेक और शाम को शनि चालीसा का पाठ होगा.

इंदौर(indore)। शहर के शनि मंदिर साल की दूसरी शनिश्चरी अमावस्या पर (shani temple inin juni indore) सजकर तैयार है.सुबह से शाम तक दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का मंदिरों में तांता लगा रहा. शहर के जूनी इंदौर स्थित शनि मंदिर को फूलों से सजा गया है. मंदिर में पंचामृत स्नान, दोपहर को तिल-तेल से अभिषेक और शाम को शनि चालीसा का पाठ होगा. इस अवसर पर मंदिर में विशेष शृंगार भी किया गया.

जूनी इंदौर स्थित शनि मंदिर

150 साल पुराना है मंदिर

150 साल पुराने जूनी इंदौर के शनि मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. साल 2021 में तीन शनिश्चरी अमावस्या है. इनमें से साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या 13 मार्च को थी. जबकि अंतिम 4 दिसंबर को होगी. मंदिर के मुख्य पुजारी नीरज तिवारी ने बताया कि शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं. साल की दूसरी हलहरणी शनिश्चरी अमावस्या है. वर्तमान में चल रही प्राकृतिक आपदा के निवारण के लिए सुबह महामृत्युंजय का जप किया गया है.

शनिभक्तों के लिए शनिवार के दिन का विशेष महत्व होता है

अभी धनु, मकर, कुंभ राशि के जातकों पर शनिदेव की साढ़े साती और मिथुन, तुला राशि वालों को शनि देव की ढैय्या चल रही है. ऐसे सभी जातक जिनको साढ़े साती,ढैय्या से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें शनि अमावस्या को सूर्योदय से पूर्व नित्य कर्म करने के बाद नजदीक के शनि मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर तिल्ली या सरसो के तेल से शनि देव का अभिषेक करना चाहिए.

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मंदिर के बार में कई कहानियां है प्रचलित

इंदौर में शनिदेव का प्राचीन मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है. मंदिर के स्थान पर लगभग 300 साल पहले एक 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे. एक रात शनिदेव ने पंडित गोपालदास को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि उनकी एक प्रतिमा उस टीले के अंदर दबी हुई है. शनिदेव ने पंडित गोपालदास को टीला खोदकर प्रतिमा बाहर निकालने का आदेश दिया. जब पंडित गोपालदास ने उनसे कहा कि वे दृष्टिहीन होने से इस काम में असमर्थ हैं, तो शनिदेव उनसे बोले, अपनी आंखें खोलो, अब तुम सब कुछ देख सकोगे.

आज भी मंदिर में है 150 साल पुरानी मूर्ति

आखें खोलने पर पंडित गोपालदास ने पाया कि वो सच में सबकुछ साफ-साफ देख सकते हैं. अब पंडितजी ने टीले को खोदना शुरू किया. उनकी आंखें ठीक होने के चमत्‍कार के चलते स्‍थानीय लोगों को भी उनके सपने की बात पर यकीन हो गया. गांव के लोग भी खुदाई में उनकी मदद करने लगे. पूरा टीला खोदने पर वहां शनिदेव की एक प्रतिमा निकली. इस प्रतिमा को बाहर निकालकर उसकी स्थापना की गई. आज भी इस मंदिर में वही मूर्ति है.

Last Updated :Jul 10, 2021, 2:24 PM IST
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