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शरद यादव ने अपने गृह क्षेत्र के लिए कई योजनाएं बनाईं, कुछ साकार हुईं, कुछ बनीं सपना

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Published : Jan 14, 2023, 7:00 AM IST

जद यू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के निधन से उनके गृह ग्राम में दिनभर ग्रामीण उनकी ही चर्चा करते रहे.अपने क्षेत्र के विकास के लिए शरद यादव ने काफी योजनाएं (Sharad Yadav plans for home town) बनाईं थीं. कुछ धरातल पर उतरी तो कुछ अब सपना बनकर रह जाएंगी. उन्होंने अपने गृह ग्राम में हायर सेंकेंडरी स्कूल खुलवाया. यहां के बच्चे इंग्लिश के कारण पीछे नहीं रह जाएं, इसलिए यहां पर अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खुलवाया.

Sharad Yadav some plan true
शरद यादव ने अपने गृह क्षेत्र के लिए कई योजनाएं बनाईं

नर्मदापुरम। जेडी यू के नेता शरद यादव के निधन की खबर लगते ही उनके गृह गांव आंखमऊ में शोक की लहर छा गई. नर्मदापुरम के माखननगर तहसील के ग्राम आंखमऊ में ही देश के वरिष्ठ नेता शरद यादव का जन्म हुआ था. शरद यादव की प्राथमिक शिक्षा आंखमऊ में ही हुई. इसके बाद इटारसी एवं जबलपुर में आगे की पढ़ाई हुई. उनके निधन की सूचना मिलते ही उनके भाई एसपीएस यादव काफी दुखी हो गए. एसपीएस यादव ने बताया कि शरद यादव का इस क्षेत्र से काफी लगाव था. शरद यादव ने यहां विकास के लिए बहुत कुछ करने की योजना भी थी.

साल में एक या दो बार आते थे : उनके भाई ने बताया कि उनकी शरद यादव से अंतिम बात नए वर्ष पर ही हुई थी और उन्होंने बधाई भी दी थी. करीब चार माह से शरद यादव बीमार चल रहे थे. इस कारण वह यहां नहीं आ पाए. नर्मदापुरम के गांव आंखमऊ में शरद यादव जेडीयू नेता का मकान है. पैतृक गांव से उन्हें बड़ा लगाव रहा है. उनके इस लगाव के चलते ही वह साल में एक से दो बार यहां पर आते ही थे. शरद यादव के भाई एसपीएस यादव का कहना है कि शरद यादव इतनी व्यस्तता होने के बाद भी यहां आते थे. उन्होंने बताया कि शरद यादव 7 सांसद रहे. दो बार जबलपुर और एक बार यूपी के बदायूं से वह लोकसभा चुनाव जीते. बिहार के मधेपुरा से भी उन्होंने चुनाव जीता.

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बीमारी के कारण काफी दिन से नहीं आए : शरद यादव के भाई बताते हैं कि सक्रिय तौर पर ऐसा नेता नर्मदापुरम से कोई नहीं निकला है. शरद यादव कई बार केंद्रीय मंत्री भी बने. इस क्षेत्र के लिए उन्होंने हायर सेकेंडरी स्कूल खोला. 1 करोड़ रुपए खर्चा करके उनके द्वारा बिल्डिंग बनाई गई. वह यह नहीं सोचते थे कि देहात के लोग आगे बढ़ नहीं पाते. शहर के लोग पढ़ते हैं. वह सर्विस में चले जाते हैं. यहां पर कोई लड़का बाहर जॉब पर नहीं जाता. इसलिए उन्होंने यहां इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलवाया. उस स्कूल का नाम अपनी मां के नाम पर रखा. बीमारी को हराकर वे खड़े हो गए थे. इसके बाद उनकी किडनी खराब हो गई. किडनी खराब होने के बाद उनका डायलिसिस हो रहा था. डायलिसिस होने के चलते यहां पर नहीं आ पाए.

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