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किसी हम्माल से कम नहीं ये महिलाएं, पेट के लिए ही सही, लेकिन कर रहीं बेहतर काम

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Published : Apr 23, 2020, 11:53 PM IST

लॉकडाउन के कारण देवास जिले के बीड़ गांव में फंसी मजदूर महिलाएं यहां के फसल खरीदी केंद्र पर किसी कुशल हम्माल की तरह ही गेहूं की बोरियों को ले जा रही हैं.

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हम्माल से कम नहीं हम

हरदा। कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझ से हारी है, इन तस्वीरों को बयां करने के लिए इससे अच्छा गीत हो ही नहीं सकता, सुंदरपानी से हरदा जिले के गांव बीड़ में गेहूं और चने की कटाई करने के लिए आईं करीब 25 से 30 महिलाएं, खरीदी केंद्र पर किसी पुरुष हम्मालों से बढ़कर काम कर रही हैं. चिलचिलाती धूप में ये महिलाएं 50 किलो गेहूं से भरी बोरियों को किसी कुशल हम्माल की तरह ही उठा रही हैं.

हम्माल से कम नहीं हम
दरअसल इन आदिवासी महिलाओं के द्वारा गेहूं और चने की कटाई के बाद अपने गांव जाने को लेकर तैयारी कर ली गई थी, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान पूरे देश में लॉकडाउन घोषित किया गया था, जिसके बाद आवागमन के साधन बंद हो गए थे और इन मजदूर परिवारों को उनके घर तक जाने के लिए कोई साधन नहीं था और वह गांव में ही ठहरे हुए थे, इस दौरान उन्हें समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी केंद्र पर काम करने के लिए कहा गया और उनके द्वारा आसानी से रोजगार मिलने की बात को मानते हुए यहां पर गेहूं तुलाई और ट्रकों में लोडिंग का काम शुरू कर दिया गया.

हम्माली का काम करने वाली महिला ममता बाई ने बताया कि उन्हें पूरा विश्वास था कि वे इस काम को अच्छे ढंग से कर पाएंगे, जिसके चलते वे अब इस खरीदी केंद्र पर 50 किलो वजन की गेहूं से भरी बोरियों को आसानी से उठाकर ट्रक में लोड कर रही हैं. इन महिलाओं को पर्याप्त मजदूरी भी मिल गई है और खरीदी केंद्र पर हम्मालों की कमी भी महसूस नहीं हो रही हैं.

खरीदी केंद्र के प्रभारी विजय यादव ने बताया कि जब गेहूं खरीदी शुरू की जानी थी. उस दौरान उन्हें हम्मालों की कमी महसूस हो रही थी, लेकिन उन्हें गांव के कुछ लोगों के द्वारा ग्राम सुंदरपानी के मजदूरों के गांव में होने की जानकारी देकर उन्हें इस काम में मदद करने के लिए बुलाने को कहा गया, जिसके बाद एक-दो दिन कुछ महिलाओं को बुलाकर उनसे खरीदी केंद्र पर तुलाई और ट्रकों में लोडिंग का काम करा कर देखा गया. इन महिलाओं ने इस काम को बेहतर ढंग से किया. अब केंद्र पर करीब 20 से 25 महिलाएं, पुरुषों के समान तुलाई और ट्रक में लोडिंग का काम भी कर रही हैं. यहां पर काम करने वाले मजदूरों में अधिकांश महिलाएं हैं.

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