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मंत्री नहीं देते अपनी संपत्ति की जानकारी, विधायकों को भेजा पत्र, 20 जून तक प्रॉपर्टी डिटेल करें जमा - MP Secretariat Sent Circular To MLA

मध्य प्रदेश में सभी विधायकों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का नियम है, लेकिन विधायक यह ब्योरा पेश नहीं करते. लिहाजा विधानसभा सचिवालय ने प्रदेश केस भी विधायकों को प्रॉपर्टी डिटेल जमा करने को लेकर परिपत्र जारी किया है.

MP SECRETARIAT SENT CIRCULAR TO MLA
विधायकों को प्रापर्टी डिटल जमा करने के निर्देश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 16, 2024, 3:17 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधायकों को अपनी संपत्ति की पूरी जानकारी विधानसभा में देनी होगी. विधानसभा सचिवालय ने प्रदेश के सभी 229 विधायकों को इसकी जानकारी 20 जून तक देने का परिपत्र जारी किया है. इस संबंध में पांच साल पहले विधानसभा में एक संकल्प जारी किया गया था. सचिवालय द्वारा जारी किए गए परिपत्र में इसी संकल्प को आधार बनाया गया है. हालांकि यह जानकारी देना विधायकों के लिए अनिवार्य नहीं है.

2019 में जारी किया गया था प्रस्ताव

कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान 2019 के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया था. तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने इस प्रस्ताव को प्रस्तुत करते हुए कहा था कि 'प्रदेश से सभी विधायकों को 30 जून के पहले अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा के समक्ष रखना होगा.' यह जानकार साल 30 मार्च तक की स्थिति में विधायकों और उनके आश्रितों की जानकारी दी जाएगी. बाद में इसे विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा, ताकि सभी लोग इसे देख सकें.

हर साल जारी किया जा रहा परिपत्र

इस संकल्प पत्र के बाद विधानसभा सचिवालय द्वारा हर साल विधायकों को उनसे अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करने के लिए पत्र जारी किया जाता है, लेकिन विधायकों द्वारा इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है. हालांकि विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि 'इस संकल्प में संपत्ति का ब्यौरा दिए जाने की बाध्यता नहीं है. जो इसे स्वेच्छा से देना चाहे, दे सकते हैं.'

मंत्री भी नहीं देते जानकारी

इससे पहले 2010 में बीजेपी सरकार द्वारा विधानसभा में सभी मंत्रियों द्वारा हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा रखने का संकल्प पास कराया था. इसके बाद साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की थी, लेकिन बाद में यह व्यवस्था धीरे-धीरे बंद हो गई. 2012 और 13 में तत्कलीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सदन में दी, लेकिन इसके बाद 2015 में तत्कालीन मंत्री जयंत मलैया और 2017 में गौरीशंकर बिसेन के अलावा मुख्यमंत्री सहित किसी भी मंत्री ने अपनी संपत्ति घोषित नहीं की.

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2010 के बाद विधायकों ने जानकारी देना कर दी बंद

बताया जाता है कि विधायकों के संपत्ति की जानकारी दिए जाने की शुरूआत 1990 में की गई थी. यह व्यवस्था 2010 तक चलती रही. इसके बाद विधायकों ने संपत्ति सार्वजनिक करने में अपनी रूचि नहीं दिखाई. हालांकि विधायकों द्वारा तर्क रखा जाता है कि चुनाव लड़ते समय जनप्रतिनिधि वैसे भी अपनी संपत्ति जाहिर कर देते हैं.

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधायकों को अपनी संपत्ति की पूरी जानकारी विधानसभा में देनी होगी. विधानसभा सचिवालय ने प्रदेश के सभी 229 विधायकों को इसकी जानकारी 20 जून तक देने का परिपत्र जारी किया है. इस संबंध में पांच साल पहले विधानसभा में एक संकल्प जारी किया गया था. सचिवालय द्वारा जारी किए गए परिपत्र में इसी संकल्प को आधार बनाया गया है. हालांकि यह जानकारी देना विधायकों के लिए अनिवार्य नहीं है.

2019 में जारी किया गया था प्रस्ताव

कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान 2019 के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया था. तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने इस प्रस्ताव को प्रस्तुत करते हुए कहा था कि 'प्रदेश से सभी विधायकों को 30 जून के पहले अपनी संपत्ति का ब्यौरा विधानसभा के समक्ष रखना होगा.' यह जानकार साल 30 मार्च तक की स्थिति में विधायकों और उनके आश्रितों की जानकारी दी जाएगी. बाद में इसे विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा, ताकि सभी लोग इसे देख सकें.

हर साल जारी किया जा रहा परिपत्र

इस संकल्प पत्र के बाद विधानसभा सचिवालय द्वारा हर साल विधायकों को उनसे अपनी संपत्ति का ब्यौरा पेश करने के लिए पत्र जारी किया जाता है, लेकिन विधायकों द्वारा इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है. हालांकि विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव एपी सिंह का कहना है कि 'इस संकल्प में संपत्ति का ब्यौरा दिए जाने की बाध्यता नहीं है. जो इसे स्वेच्छा से देना चाहे, दे सकते हैं.'

मंत्री भी नहीं देते जानकारी

इससे पहले 2010 में बीजेपी सरकार द्वारा विधानसभा में सभी मंत्रियों द्वारा हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा रखने का संकल्प पास कराया था. इसके बाद साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक की थी, लेकिन बाद में यह व्यवस्था धीरे-धीरे बंद हो गई. 2012 और 13 में तत्कलीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित 16 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सदन में दी, लेकिन इसके बाद 2015 में तत्कालीन मंत्री जयंत मलैया और 2017 में गौरीशंकर बिसेन के अलावा मुख्यमंत्री सहित किसी भी मंत्री ने अपनी संपत्ति घोषित नहीं की.

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2010 के बाद विधायकों ने जानकारी देना कर दी बंद

बताया जाता है कि विधायकों के संपत्ति की जानकारी दिए जाने की शुरूआत 1990 में की गई थी. यह व्यवस्था 2010 तक चलती रही. इसके बाद विधायकों ने संपत्ति सार्वजनिक करने में अपनी रूचि नहीं दिखाई. हालांकि विधायकों द्वारा तर्क रखा जाता है कि चुनाव लड़ते समय जनप्रतिनिधि वैसे भी अपनी संपत्ति जाहिर कर देते हैं.

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