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शहर में पानी की बर्बादी के कारण लोग प्यासे, अवैध नल कनेक्शन की वजह से उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा जल

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Published : Apr 26, 2022, 4:32 PM IST

नगर निगम शहर वासियों को पानी सुविधा देने में हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च करता है, लेकिन निगम की राह में सबसे बड़ा रोड़ा शहर में अवैध नल कनेक्शन होना है. निगम के रिकॉर्ड में लगभग ढाई लाख मकान रजिस्टर्ड हैं, जबकि डेढ़ लाख घरों में ही नल कनेक्शन है. यानी एक लाख लोग अवैध तरीके से पानी ले रहे हैं.

wastage of water
पानी की बर्बादी

ग्वालियर। वैसे तो गर्मियों के समय ग्वालियर शहर में पानी की समस्या आम है. यह समस्या हर साल रहती है. नगर निगम शहर वासियों को पानी सुविधा देने में हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च करता है, लेकिन निगम की राह में सबसे बड़ा रोड़ा शहर में अवैध नल कनेक्शन होना है. निगम के रिकॉर्ड में लगभग ढाई लाख मकान रजिस्टर्ड हैं, जबकि डेढ़ लाख घरों में ही नल कनेक्शन है. यानी एक लाख लोग अवैध तरीके से पानी ले रहे हैं. यह लोग मुख्य लाइन से कनेक्शन जोड़कर पानी ले रहे हैं, जिससे एक तो नगर निगम के राजस्व हानि हो रही है. वहीं दूसरी तरफ लाइन के टूट जाने के कई इलाकों में जरूरतमंद को लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है. (gwalior nagar nigam)

ग्वालियर में पानी की किल्लत

20 करोड़ लीटर अधिक खर्च होता है पानीः अब नगर निगम ने युद्ध स्तर पर अवैध कनेक्शनों को लेकर बड़ा अभियान छेड़ दिया है. वह शहर में हर दिन लगभग 20 करोड़ लीटर से अधिक पानी की सप्लाई होती है. यही वजह है कि अवैध कनेक्शन की वजह से वैध कनेक्शनों को पानी मिलने में काफी परेशानी हो रही है. क्यों किया अवैध कनेक्शन लेने वाले लोग पाइपलाइन के बीच में से ही लीकेज कर पानी ले रहे हैं, जिस वजह से पानी की बर्बादी भी काफी देखने को मिल रही है. शहर में लगभग 2 लाख 32 हजार प्रॉपर्टी है. नगर निगम केवल एक लाख 40 लाख उपभोक्ताओं को ही पानी देता है. लिहाजा शहर में 92 हजार अवैध कनेक्शन होने के कारण नगर निगम को हर साल काफी नुकसान उठाना पड़ता है. (water crisis in gwalior)

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ग्वालियर में पानी पर खर्च

  • हर साल लगभग 12 करोड़ रुपये का बिजली का बिल.
  • शहर में ट्यूबेल पर बिजली और मेंटेनेंस के लिए हर साल 55 करोड़ रुपये का खर्च.
  • प्लांट पर 8 करोड़ रुपए का मेंटेनेंस.
  • टैंकरों से पानी सप्लाई पर हर साल दो करोड़ रुपये का खर्च.
  • पीएचई कर्मचारियों को अलॉट किए गए वाहनों पर एक करोड़ का खर्च.
  • लाइन की मरम्मत के लिए पांच करोड़ रुपए का खर्च.
  • कर्मचारियों को वेतन देने में 17 करोड़ रुपये का खर्च.
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