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टाइगर की कब्रगाह बनता 'टाइगर स्टेट' !

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Published : Jan 25, 2021, 2:57 PM IST

Tiger's cemetery becomes 'tiger state'
टाइगर की कब्रगाह

पूरी दुनिया में वन्य जीवों का शिकार एक बड़ी समस्या है. ये एक जघन्य अपराध तो है ही, साथ ही हमारे ईको सिस्टम के लिए काफी खतरनाक है. भारत वन्य जीवों के शिकार और तस्करी का हॉट स्पॉट बनता जा रहा है. टाइगर स्टेट का खिताब पाने वाला मध्यप्रदेश टाइगर पोचिंग और दूसरे वन्य जीवों के शिकार के मामले में अव्वल बनता जा रहा है.

वर्ल्ड वाइल्ड फंड और लंदन की जूओलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव खत्म हो चुके हैं. वन्य जीवों को दुनिया भर में खतरे का सामना करना पड़ रहा है . दुनिया भर के अवैध बाजारों में भारत की वनस्पति और जीव जन्तुओं की मांग लगातार जारी है. मध्यप्रदेश समेत देशभर में वन्य जीवों के अवैध व्यापार से कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं. इन सबके लिए जिम्मेदार हैं शिकारी.

tiger unsafe in mp
टाइगर की कब्रगाह बनता 'टाइगर स्टेट' !

66 फीसदी से ज्यादा वन्य जीव खत्म

वर्ल्ड वाइल्ड फंड एवं लंदन की जूओलॉजिकल सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक धरती से दो तिहाई वन्य जीव शिकारियों की भेंट चढ़ गए .इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगली जीव ही नही बल्कि पहाड़ों, नदियों और महासागरों में रहने वाले जीव भी शिकारियों के निशाने पर हैं . इस रिपोर्ट के मुताबिक 1970 से अब तक इन जीवों की संख्या में करीब 80 फीसदी की कमी आई है.

वन्य जीवों की तस्करी का हॉट स्पॉट

वन्य जीव तस्करी के अवैध कारोबार में भारत बड़ा हॉटस्पॉट बन कर उभरा है. बाघ और तेंदुए की खाल, उनकी हड्डी और शरीर के अन्य अंग, गैंडे के सींग, हाथी दांत, कछुए, समुद्री घोड़े, सांप का विष, नेवले के बाल, सांप की खाल, कस्तूरी मृग की कस्तूरी, भालू का पित्त और पिंजरे में रखे जाने वाले पक्षी जैसे पेराफीट ,मैना और मुनिया की तस्करी कई गुना बढ़ गई है.

illegal traffiking worth billions dollars
अरबों का है कारोबार

पोचिंग के बढ़ते केस

वन विभाग के मुताबिक 2018 में शिकार के 346 केस दर्ज किए गए. जिनमें 21 टाइगर के शिकार के थे. 2017 में शिकार के 395 केस और 2016 में पोचिंग के 412 के दर्ज हुए.

1900 से अधिक शिकारियों की पहचान

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने देश भर में ऐसे 1900 से ज्यादा शिकारियों की पहचान की है, जो वन्यजीवों के शिकार में शामिल हैं. देश में सबसे ज्यादा गैंडे के 239 शिकारी हैं. इसके अलावा 186 पैंगोलिन के शिकारी, 185 टाइगर के शिकारी, 170 तेंदुए के शिकारी, 134 कछुए और 37 हिरन के शिकारी हैं. चार साल में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने 1800 से ज्यादा वन्य जीवों के शव, खाल, नाखून, सींग जैसे चीजें जब्त की हैं.

tiger in danger in mp
खतरे में टाइगर

मध्यप्रदेश का वन्यजीव शिकार का खराब रिकॉर्ड

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार 2019 में देश में 76 से ज्यादा टाइगर का शिकार हुआ . इनमें मध्यप्रदेश टॉप पर रहा. करीब 33 फीसदी से ज्यादा टाइगर का शिकार मध्यप्रदेश में हुआ.

टाइगर रिजर्व के बाहर टाइगर बने ज्यादा शिकार

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक 2019 में टाइगर के शिकार के 22 मामले सामने आए. 22 में 16 टाइगर का शिकार टाइगर रिजर्व के बाहर हुआ है. इनमें सबसे ज्यादा 8 टाइगर का शिकार मध्यप्रदेश में हुआ. एक्सपर्ट्स के मुताबिक टाइगर रिजर्व के बाहर शिकारियों के लिए शिकार करना आसान होता है, क्योंकि वहां ज्यादा निगरानी नहीं होती.

rising cases of poaching
पोचिंग के बढ़ते केस

2014 के बाद से सबसे ज्यादा टाइगर MP में मारे गए

2012 से 2018 तक देशभर में 657 बाघों की मौत हुई. जिनमें 222 बाघों की मौत की वजह शिकार है. टाइगर स्टेट का खिताब रखने वाले मध्यप्रदेश की स्थिति यहां भी काफी खराब है. 2014 से देश भर में सबसे ज्यादा 159 बाघों की मौत मध्यप्रदेश में ही हुई.

ये है शिकारियों की पनाह गाह

मध्यप्रदेश में भोपाल, होशंगाबाद, पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल ,बालाघाट, बैतूल और छिंदवाड़ा शिकारियों की पनाह गाह बन गए हैं.

काले हिरणों के शिकार में भी MP आगे

RTI से मिली जानकारी के अनुसार 2008 से 2018 तक 10 सालों में देश में 139 काले हिरणों का शिकार हुआ है. इनमें सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में 31 काले हिरणों का शिकार हुआ .

कितने तस्कर पहुंचे जेल ?

2012 ले 2018 तक वन्य जीवों के शिकार के मामले में देशभर में 9000 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार गिए गए. काले हिरणों के शिकार के मामले में देश भर में 108 शिकारी गिरफ्तार हुए हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में 39 शिकारी गिरफ्तार हुए हैं.

Big war against poachers
शिकारियों के खिलाफ बड़ी जंग

MP की कोर्ट ने संसारचंद के साथी को भेजा जेल

अक्टूबर 2017 में मध्यप्रदेश की कोर्ट ने कुख्यात वन्य जीव तस्कर संसारचंद के सहयोगी मोहम्मद शमीम समेत 5 वन्यजीव तस्करों को 4 साल की सजा सुनाई . टाइगर, लेपर्ड, पेंगोलिन और दूसरे वन्यजीवों के शिकार के आरोप में इन्हें सलाखों के पीछे भेजा गया. तस्कर शमीम ने पूछताछ में कबूल किया, कि उसने करीब 125 टाइगर और 1025 लेपर्ड का शिकार किया है. जिन्हें मारने के बाद चीन भेजा गया. ये शिकार उसने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में किए.

MP STF की बड़ी कामयाबी

2019 में मध्यप्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने वन्य जीवों के कुख्यात तस्कर जसरत को गिरफ्तार किया था. जो 2014 में जेल से भाग गया था. उसे STF ने गुजरात-वडोदरा हाईवे से दबोचा.

उज्जैन में STF के हत्थे चढ़े तस्कर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में दिसंबर 2020 में STF ने वन्यजीव तस्करी मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया. उनके पास से एक रेड सैंड बोआ, दो मुंहे सांप और सुनहरा उल्लू बरामद किया गया. जब्त वन्यजीवों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 6 करोड़ रुपये है.

future in danger
खतरे में भविष्य

क्या हैं वन्यजीवों के शिकार के कारण ?

1. वन्य जीवों का अवैध व्यापार करके उनके महत्वपूर्ण अंगों से दवाओं का निर्माण किया जा रहा है. गैंडे, हिरण, बाघ आदि कई जानवरों की खाल और दांत से शक्तिवर्धक दवाएं बनाई जा रही हैं .

2. इनके अंगों से जो दवा बनती है उसकी कीमत काफी ज्यादा होती है. जो इनके व्यापार को और ज्यादा बढ़ावा देती है.

3. कई देशों में अनुसंधान के लिए भी वन्य जीवों के अंगों का इस्तेमाल किया जाता है. रिसर्च की आड़ में वन्य जीवों का अवैध व्यापार होता है.

4. प्राचीन समय में राजे महाराजे वन्य जीवों का शिकार करके उनके अंगों को अपने राजमहलों में सजावट के रूप में रखते थे. आजादी के बाद इस पर प्रतिबंध लग गया. लेकिन आज भी अवैध रूप से वन्य जीवों का शिकार करके या तस्करी करके पैसे वाले लोग अपने हवेलियों में इनके अंगों को सजावाट के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

5. वन्यजीवों के निवास स्थान सुरक्षित नहीं हैं. वहां के कर्मचारी ही शिकारियों से मिल जाते हैं . पैसे और मांस आदि की लालच में अवैध कारोबार में उनका सहयोग करते हैं.

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