भोपाल। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा (MP assembly winter session 2021) में जमकर हंगामा हुआ. हंगामे को देखते हुए विधानसभा में लाए गए 5 विधेयक और अनुपूरक बजट बिना चर्चा के ही पास हो गए. जबकि इन विधायकों पर चर्चा के लिए साढ़े तीन घंटे का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन बिना चर्चा की ही इन्हें महज 12 मिनट में पास कर दिया गया. पास किए गए विधेयकों में गृह विभाग द्वारा लाया गया मध्यप्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली (five bill passed without discussion in mp assembly) विधेयक भी शामिल है. इसे लेकर पिछले करीब 2 महीने से खासी चर्चा हो रही थी. इसके अलावा सरकार द्वारा दूसरा अनुपूरक बजट भी पास हो गया.
विधेयक में यह है खास
मध्यप्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसान की वसूली विधेयक में प्रावधान किया गया है कि धरना प्रदर्शन या सांप्रदायिक दंगा में यदि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है, तो जिला मजिस्ट्रेट या सार्वजनिक संपत्ति का भार साधक अधिकारी उस तारीख से 30 दिन के अंदर दावा अधिकरण के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर सकेगा. दावा अधिकरण में सेवा निर्वित्त जिला जज और सचिव स्तर का अधिकारी होगा. दावा अधिकरण को सिविल कोर्ट के अधिकार होंगे. दावा अधिकरण प्रत्येक आवेदन का 3 माह के भीतर निर्णय करेगा. संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपी से वसूली के आदेश जारी किए जाएंगे.
प्रदेश में बनेगी साइबर तहसील
विधानसभा में मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता संशोधन विधेयक भी बिना चर्चा के पास कर दिया गया. विधेयक में साइबर तहसील बनाए जाने का प्रावधान किया गया है. साइबर तहसील के लिए किसी राजस्व अधिकारी या किसी राजपत्रित अधिकारी को तहसीलदार नियुक्त किया जाएगा. इसके तहत तहसील की तमाम कार्रवाई ऑनलाइन हो सकेगी. इसमें पक्षकार को तहसील आने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि ऑनलाइन कार्रवाई से जुड़ सकेंगे.
जिला कलेक्टर करेगा कार्रवाई
इसी तरह मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 247 में संशोधन किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति किसी खदान से खनिज को निकालेगा, तो उसके विरुद्ध कलेक्टर के लिखित आदेश पर जुर्माना लगाया जा सकेगा. यह जुर्माना निकाले गए खनिज के बाजार मूल्य के 4 गुना तक होगा. हालांकि यह खनिज राज्य सरकार द्वारा घोषित वाणिज्यिक महत्व की होनी चाहिए.
छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का बदला नाम
छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम बदलने को लेकर विधानसभा में मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक लाया गया है. इसे बिना चर्चा की ही पास कर दिया गया. विधेयक में छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम बदलकर राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय करने का प्रावधान किया गया. छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र छिंदवाड़ा सिवनी बालाघाट और बैतूल जिला है.
विधानसभा में नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2021 प्रस्तुत किया गया. जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. विधेयक में प्रावधान किया गया है कि कुलपति का कार्यकाल 5 वर्ष की अवधि का होगा. यह आगे 5 वर्ष तक के लिए और बढ़ाया जा सकेगा. कुल मिलाकर 10 वर्ष से ज्यादा का नहीं होगा.