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एमपी कैबिनेट में धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मिली मंजूरी

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Published : Dec 29, 2020, 2:43 PM IST

Updated : Dec 29, 2020, 5:13 PM IST

मध्यप्रदेश सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020 (Freedom of religion ordinance 2020) को अध्यादेश के रूप में लागू किया गया है.

CM Shivraj Singh
सीएम शिवराज सिंह

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020 ( Freedom of religion ordinance 2020) को मंजूरी दे दी है. इस कानून के अनुसार किसी भी व्यक्ति द्वारा लालच देकर, धमकाकर, धर्म परितर्वन कराने को गैर कानूनी माना गया है. अध्यादेश के मुताबिक शादी या किसी अन्य कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मिली मंजूरी

बता दें कि कोरोना के कारण विधानसभा सत्र स्थगित होने के कारण सरकार अध्यादेश लेकर आई है. अब सरकार ने इसे अध्यादेश के रूप में मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेज दिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने आज कैबिनेट बैठक में वर्चुअल तरीके से जुड़े अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को विशेष रूप से धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश पर चर्चा की. चर्चा में सीएम शिवराज ने कहा कि कोरोना के कारण विधानसभा का सत्र स्थगित करना पड़ा है.इस वजह से धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020 को अध्यादेश के रूप में कैबिनेट में मंजूरी दी जा रही है.

धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश को मिली मंजूरी

बेटियों की सुरक्षा सर्वोपरि-सीएम

शिवराज सिंह ने कहा कि हमारा पहला विधायक मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020 है. कपट पूर्ण साधनों, लोभ लालच, भय, प्रलोभन या विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन करना अपराध माना गया है. इस कानून में 10 वर्ष तक की कड़ा सजा का प्रावधान किया गया है. जो व्यक्ति इस में सहयोग करेंगे. उनको भी अपराधी बनाया गया है. विशेषकर बेटियों के साथ, क्योंकि उनकी सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है. इस वजह से यह अध्यादेश लाया गया है. यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा बहुत कड़ा कानून हमने बनाया है.

बेटियों की सुरक्षा के लिए बड़ा कानून बनाया-सीएम

सीएम शिवराज ने कहा कि अगर कोई बेटी का नाम बदलकर धर्मांतरण करवाता है या फिर जबरन विवाह करता है तो इसमें कड़े दंड का प्रावधान किया है. इस तरह के विवाह शून्य हो जाएंगे. विभाग से उत्पन्न बच्चों के भरण-पोषण और पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार इसमें दिया गया है. ये अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे. सबूत भी अभियुक्त को देना होगा, बहुत कड़ा कानून हमने बनाया है.


कई कानून अध्यादेश के रूप में करेंगे पारित

कैबिनेट बैठक को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि यह साल हमारा काफी कठिन गया, लेकिन भगवान से प्रार्थना करते हैं कि 2021 का शुभारंभ नई उमंग,उत्साह,आशा और विश्वास के साथ हो. अब अगली बैठक अगले साल होगी. कोरोना के कारण हमें विधानसभा का सत्र स्थगित करना पड़ा. लेकिन अनुपूरक बजट अध्यादेश के जरिए हम लोग पारित करेंगे. उसके साथ हमारे कई महत्वपूर्ण विधेयक हैं. जिनको हमें अध्यादेश के जरिए कानून बनाना है.

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020

  1. बहला-फुसलाकर , धमकी देकर ज़बरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा.
  2. धर्मांतरण और धर्मांतरण के पश्चात होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा.
  3. बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु , काजी , मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान होगा.
  4. धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित , माता- पिता, परिजन या अभिभावक द्वारा की जा सकती है.
  5. यह अपराध संज्ञेय और गैर ज़मानती होगा.
  6. जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा.
  7. धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का पंजीयन भी निरस्त होगा.
  8. धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्यवाही की जाएगी.
  9. आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा कि शादी बगैर किसी दबाव, धमकी, लालच या फिर बहला-फुसलाकर की है.
  10. इस प्रकार का विवाह शून्य माना जाएगा.

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक में क्या

प्रस्तावित 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक' में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कानून की तर्ज पर ही सजा का प्रावधान किया गया है. बहला-फुसलाकर या फिर जबरन धर्मांतरण और विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं और उन्हें वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के पंजीयन निरस्त होंगे.

संस्थाओं पर होगी कार्रवाई

वहीं पिछली कैबिनेट बैठक में यह भी तय हुआ था की, ऐसी गतिविधियों को संचालित करने वाली संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने वाली संस्थाओं के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. बगैर आवेदन धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरुओं को भी 5 साल की सजा होगी.

क्या होंगे शादी के नियम

धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह से 2 माह पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा. कलेक्टर दोनों पक्षों और उनके परिजनों को नोटिस देकर तलब करेगा और उनसे लिखित बयान लिए जाएंगे, की विवाह या धर्मांतरण जोर जबरदस्ती से तो नहीं किया जा रहा है. इसके बाद ही कलेक्टर द्वारा अनुमति दी जाएगी. यदि बिना आवेदन प्रस्तुत किए, किसी काजी, मौलवी या पादरी द्वारा धर्म परिवर्तन और विवाह कराया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

यूपी में भी लाया गया है अध्यादेश

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ बनाए कानून को अध्यादेश के जरिए 24 नवंबर को लागू किया है. इसमें गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज करने और 10 साल की कठोरतम सजा का प्रावधान है.

Last Updated :Dec 29, 2020, 5:13 PM IST
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