ETV Bharat / state

कोरोना वॉरियर्स का अहसान भूली सरकार! जानें क्यों भिंड में आयुष चिकित्सक सफेद कोट को बता रहे कफ़न

author img

By

Published : Apr 4, 2022, 11:02 AM IST

Ayush doctor angry in Madhya Pradesh
मध्य प्रदेश में आयुष चिकित्सक खफा

मध्य प्रदेश के आयुष चिकित्स इन दिनों परेशानियों का सामना कर रहे हैं और प्रदेश सरकार से बेहद खफा हैं. आयुष डाक्टर्स का आरोप है कि उन्होनें कोरोना जैसी महामारी में अपनी जान की परवाह न करते हुए सेवाएं दीं. लेकिन सरकार ने फंड ना होने का हवाला देते हुए एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इससे उनके सामने आजीविका चलाने का संकट पैदा हो गया है. उन्होनें कहा कि प्रदेश में लाखों पद खाली हैं, सरकार हमें संविदा पर रख ले.

भिंड। मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में जिन डाक्टर्स को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया, जिन आयुष चिकित्सकों ने सरकार के एक आह्वान पर अपनी जान की परवाह किए बिना महामारी के दौर में लाखों लोगों की जान बचाई. उन आयुष चिकित्सकों को सरकार ने फंड ना होने का हवाला देते हुए एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया है. भिंड में भी कई आयुष चिकित्सकों ने लगभग दो साल में आईं तीन लहरों के बीच सेवाएँ दीं, उम्मीद थी कि सरकार भविष्य में उनके बारे में सोचेगी. लेकिन इन डॉक्टर्स की जरूरत खत्म होते ही दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंक दिया गया है, अब इन चिकित्सकों के सामने जीवन यापन को लेकर कई तरह की परेशनियाँ खड़ी हो गयी हैं.

कोरोना वारियर्स के रुप में सामने आए आयुष चिकित्सक: अप्रैल 2020 वह समय था जब देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जनता कर्फ्यू की घोषणा कर चुके थे, जो जल्द ही लॉकडाउन में परिवर्तित हो गया. ये सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां डॉक्टरों की भारी कमी है. स्वास्थ्य विभाग में लाखों पद खाली पड़े हैं, ऐसे में कोरोना से जंग जीतने के लिए सरकार ने आयुष विभाग और आयुष चिकित्सकों से मदद का आह्वान किया. हजारों आयुष चिकित्सक उस दौरान आगे आए और कोरोना की जंग में शामिल हो गए. पहली लहर तो ठीक, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में भिंड में भी मौत का कोहराम मचा. लेकिन ड्यूटी पर तैनात आयुष चिकित्सक और वोलेंटियर नर्सिंग स्टाफ ने मोर्चा सम्भाले रखा. लेकिन हाल ही में सरकार ने फंड की कमी बताते हुए इन कोरोना वीरों को उनकी अस्थाई नौकरी से विदा कर दिया.

आयुष चिकित्सकों को सरकार के रवैए से नाराजगी

एक आदेश और सेवाओं से बाहर हो गए कोरोना योद्धा: अचानक हटाए जाने से जिला अस्पताल में कोरोना के दौरान जॉईन करने वाले आयुष चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ काफी आहत और नाराज हैं. क्योंकि आस थी कि इस सेवा के बदले शायद उन्हें सरकारी नौकरी पर रख लिया जाए, उसके उलट एक आदेश के साथ बाहर कर दिया गया. कोरोना की पहली लहर के दौरान भिंड जिला अस्पताल में 20 आयुष चिकित्सक, 52 नर्सिंग ऑफिसर, 1 ओटी टेक्नीशियन, 1 एनेस्थीसिया टेक्नीशियन और 4 कम्प्यूटर ऑपरेटर की अस्थाई भर्ती की गयी थी. बाद में जब कोरोना की लहर थोड़ा शांत हुई तो छटनी की गयी, जिसके बाद दूसरी लहर के दौरान से अभी तक 13 डॉक्टर और 32 स्टॉफनर्स, 2 ओटी टेक्नीशियन, 12 बार्ड बॉय और गार्ड बचे थे. लेकिन सरकारी फरमान के चलते 31 मार्च उनकी ड्यूटी का आखिरी दिन था, 1 अप्रैल को जिला अस्पताल में इन सभी को सीएमएचओ ने ससम्मान विदा कर दिया.

तो अब व्यापमं (PEB) से नहीं होगी पुलिस भर्ती परीक्षा, जानें रिक्रूटमेंट को लेकर क्या है सरकार का प्लान

सरकार के रवैए से नाराजगी: इस तरह निकाले जाने के बाद इन डाक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के लिए जीवन यापन तक का संकट खड़ा हो गया है. इन्हीं में से एक आयुष चिकित्सक डॉक्टर बृजबाला कहती हैं कि सरकार के इस रवैए से बहुत नाराजगी है. हमने दो साल लगातार बहुत मेहनत की है, घरवालों ने मना किया था कि कोविड है मत जाओ. लेकिन हमने उनकी बात नहीं सुनी, उनसे कहा की हम कोविड में भी काम करेंगे, लोगों को सेवाएँ देंगे, इलाज करेंगे. लेकिन इसके बाद भी सरकार ने हमारे बारे में बिल्कुल नहीं सोचा और हमें दूध से मक्खी की तरह निकल कर फेंक दिया. अब हम रास्ते पर खड़े हैं, क्योंकि दो साल गुजर चुके हैं. दो साल से इसी कोरोना में लगे हुए थे, पहले हम लोगों का जो भी व्यापार था, क्लिनिक थे. सब बंद कर चुके थे, अब वर्तमान में बिलकुल खाली हाथ हैं.

महामारी में भी ड्यूटी पर रहे मुस्तैद: कोरोना काल में जिला स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवा दे चुके आयुष चिकित्सक डॉक्टर नामदेव शर्मा भी सरकार के फैसले से आहत हैं. उनका कहना है कि जब भर्तियाँ नहीं हुई थी, उस दौरान एक महीने वॉलेंटियर के तौर पर काम किया. उसके बाद भी लगातार दो वर्ष अपनी सेवाएँ दीं, स्क्रीनिंग से लेकर कोविड icu तक में काम किया. जब लोग अपने कोरोना पॉजिटिव परिजनों को हाथ नहीं लगते थे, तब हम उनकी देखभाल करते थे. खुद पॉजिटिव हुए, पूरा परिवार पॉजिटिव हुआ. लेकिन ठीक होते ही दोबारा पूरी ऊर्जा के साथ काम में जुट गए, लेकिन आज सरकार ने हमारे बारे में सोचा तक नहीं.

Ayush doctor fired in a jiffy
एक झटके में निकाले गए आयुष चिकित्सक

कफ़न लगता है सफेद कोट: जिला अस्पताल में कोरोना ड्यूटी दे चुके डॉक्टर अरविंद शर्मा की नाराजगी तो उनकी बातों से ही साफ देखी जा सकती है. वे कहते हैं कि, कॉलेज के फर्स्ट ईयर में जब उन्हें सफेद कोट एप्रॉन और आला दिया गया था तो वे बड़े खुश हुए थे. लेकिन इसी एप्रॉन को पहनकर उनके कई साथी कोरोना पेशेंट का इलाज करते करते शहीद हो गए. सरकार ने भी अपना पल्ला झड़ा लिया, अब भविष्य और परिवार कैसे सम्भालें, जो सफेद कोट कभी गर्व महसूस कराता था, वही आज कफ़न लगने लगा है.

प्रदेश में लाखों पद खाली: सरकार द्वारा नौकरी से निकाला जाना आज इन आयुष चिकित्सकों को गवारा नहीं लग रहा है. उनकी सरकार से अपील है कि कम से कम सरकार इतना तो कर ही सकती है कि प्रदेश में लाखों डाक्टर की कमी है. पद खाली पड़े हैं, हम दो साल में ट्रेंड हो चुके हैं तो हमें संविदा पर रख लिया जाए. उस मेहनत का कुछ फल सार्थक नजर आएगा. जिसके लिए अपनी जान की भी परवाह नही की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.