ETV Bharat / state

इन अचूक मंत्रों से मिलेगा अखंड सौभाग्य, जानिये वट सावित्री व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

author img

By

Published : May 27, 2022, 8:12 PM IST

Updated : May 28, 2022, 11:59 AM IST

vat savitri vrat katha shubh muhurat remedies
वट सावित्री व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

ज्‍योतिषीय मान्‍यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए इस पेड़ की पूजा (Vat Savitri vrat 30 May 2022) करने से तीनों देवों की कृपा से महिलाओं को अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

ईटीवी भारत डेस्क: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri vrat 30 May 2022) बहुत ही श्रद्धा के साथ रखा जाता है सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए ये व्रत रखती हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri vrat) रखती हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को किया जाता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. इस दिन शनि जयंती (Shani Jayanti 30 May 2022) भी है. इस बार 30 मई 2022 (Vat Savitri vrat) को वट सावित्री का पर्व मनाया जा रहा है.

मान्‍यता है कि इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति सत्‍यवान के प्राण वापस लेकर आईं, इसलिए इस व्रत को बेहद खास माना जाता है और महिलाएं सावित्री जैसा अखंड सौभाग्‍य प्राप्‍त करने के लिए इस व्रत को पूरी श्रृद्धा और आस्‍था से करती हैं. वहीं ज्‍योतिषीय मान्‍यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए इस पेड़ की पूजा करने से तीनों देवों की कृपा से महिलाओं को अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें: फेमस बॉलीवुड के एस्ट्रॉलजर खुराना जी से जाने अपना संपूर्ण राशिफल

महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पहले स्‍नान कर लें और सूर्य को अर्घ्‍य दें व व्रत (Vat Savitri vrat 30 May 2022) करने का संकल्‍प लें. फिर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करें. इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को बांस की एक टोकरी में सही से रख लें फिर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सफाई करने के बाद वहां गंगाजल छिड़ककर उस स्‍थान को पवित्र कर लें. सभी सामग्री रखने के बाद स्थान ग्रहण करें. इसके बाद सबसे पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को वहां स्थापित करें, पूजा के लिए बरगद का पेड़, सावित्री-सत्यवान और यमराज (Savitri Satyavan and Yamraj Katha) की मूर्ति रखें. बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल मिठाई धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन करें। इस दिन वटवृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगाकर कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा की जाती है, जितना संभव हो सके 5, 11, 21, 51 या फिर 108 बार बदगद के पेड़ की परिक्रमा करें. पेड़ के तने पर रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें. इसके बाद हाथ में काला चना लेकर इस व्रत की कथा (Vat Savitri vrat katha) सुनें. अंत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें और यमराज से पति की लंबी आयु घर में सुख और शांति के लिए प्रार्थना करें.

इन मंत्रों का करें जाप : वट सावित्री के दिन मंगल ग्रह पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. इस दिन भगवान शंकर का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक करना शुभ माना गया है. वट सावित्री के दिन शिव चालीसा का पाठ करना, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ के अलावा शिव पंचाक्षरी मंत्र (ॐ नम: शिवाय) का जाप करना इस दिन विशिष्ट माना जाता है. सोम प्रदोष के दिन से वट वृक्ष की परिक्रमा शुरू कर दी जाती है. वट वृक्ष की परिक्रमा करने और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हर तीज त्योहार को करने का अपना तरीका होता है और कुछ खास मंत्रों के जाप से स्थितियां अनुकूल होती हैं. तो प्रस्तुत हैं ऐसे खास मंत्र जो सुहागिनों की घर परिवार को सकुशल रखने की इच्छा को पूर्ण करते हैं. मान्यता है कि सावित्री को अर्घ्य देने से पहले इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

Shani Jayanti amavasya: आज शनि जयंती अमावस्या और ग्रहण के दुर्लभ संयोग पर आसान उपायों से दूर होंगे सब के शनि जन्य कष्ट

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते,

पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते.

वट वृक्ष की पूजा करते समय करें इस मंत्र का जाप

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले,

तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा.

पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें. अंत में निम्न संकल्प लेकर उपवास रखें -

मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं,

सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये.

शनि प्रधान है वर्ष 2022 शनि का प्रभाव रहेगा सभी राशि वालों पर, 3 राशियों पर है शनि की साढ़ेसाती तो 2 पर रहेगा ढैय्या का असर

वट सावित्री व्रत कथा (Vat Savitri vrat katha) : मान्यताओं के अनुसार, सावित्री, मद्रदेश में अश्वपति नाम के राजा की बेटी थी. सावित्री का विवाह द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से हुआ. सत्यवान के पिता भी राजा थे. लेकिन उनका राज-पाट छिन गया था. जिसके कारण वे लोग बहुत ही गरीबी में जीवन गुजार रहे थे. सत्यवान के माता-पिता की भी आंखों की रोशनी चली गई थी. सत्यवान जंगल से लकड़ी काटकर लाते और किसी तरह अपना गुजारा करते थे.

सावित्री ने निभाया पत्नी धर्म : जिस दिन ऋषि नारद ने सत्यवाद की मृत्यु बताई थी, उस दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल गई. जैसी ही सत्यवान पेड़ पर चढ़ने लगे उनके सिर में तेज दर्द होने लगा. वो सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गया. कुछ ही देर में यमराज, सत्यवान की जीवात्मा के साथ जाने लगे तो सावित्री भी पीछे-पीछे चलने लगी. आगे जाकर यमराज ने कहा कि सावित्री जहां तक साथ आ सकती थी आईं, अब लौट जाएं. लेकिन सावित्री लौटने के लिए तैयार नहीं हुईं. सावित्री ने कहा जहां तक मेरे पति जाएंगे, मुझे जाना चाहिए. यही पत्नी धर्म है.

ये भी पढ़ें: शनि-राहु के प्रकोप बचना है तो आज जरूर करें ये काम, ये शानदार मौका छूट न जाए

राज्य वापस लौटाने की कामना : यमराज सावित्री की बातें सुनकर प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने कहा, 'मेरे सास-ससुर अंधे हैं, उन्हें नेत्र-ज्योति दें' यमराज ने 'तथास्तु' कहकर लौट जाने को कहा. लेकिन सावित्री यमराज के पीछे ही चलती रही. यमराज ने प्रसन्न होकर फिर वर मांगने को कहा. सावित्री ने वर मांगा, 'मेरे ससुर का खोया हुआ राज्य उन्हें वापस मिल जाए. यमराज ने तथास्तु कहा और फिर चलने लगे.

सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान: इसके बाद सावित्री ने यमदेव से वर मांगा, 'मैं सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनना चाहती हूं. सावित्री की पति भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने तथास्तु कहा. जिसके बाद सावित्री न कहा कि मेरे पति के प्राण तो आप लेकर जा रहे हैं तो आपके पुत्र प्राप्ति का वरदान कैसे पूर्ण होगा. तब यमदेव ने अंतिम वरदान को देते हुए सत्यवान के प्राण छोड़ दिए. सावित्री जब उसी वट वृक्ष के पास लौटी तो उन्होंने पाया कि सत्यवान के मृत शरीर में संचार हो रहा है. कुछ देर में वो उठकर बैठ गया. बाकी दो वरदान भी पूरे हो गए. Vat savitri vrat katha shubh muhurat

शनि देव होंगे प्रसन्न बजरंगबली की कथा पढ़ने से, दूर होंगे संकट लेकिन भूलकर भी न करें ये काम

Last Updated :May 28, 2022, 11:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.