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अब इंदौर के खजराना गणेश मंदिर में भी पुजारियों की वंश परंपरा के अनुसार ही होगी पूजा, SC पहले ही दे चुका है मान्यता

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Published : Feb 15, 2022, 7:09 AM IST

Updated : Feb 15, 2022, 7:29 AM IST

इंदौर के प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए, मंदिर में पुजारियों की वंश परंपरा के अनुसार ही पूजा की जाएगी. मतलब खजराना गणेश मंदिर के गर्भ गृह में सिर्फ पीढ़ियों से पूजा करते आ रहे भट्ट परिवार के सीधे वंश को ही पूजा-अर्चना करने की अमुमति रहेगी. (Khajrana Ganesh temple of Indore)

Khajrana Ganesh temple of Indore
खजराना गणेश मंदिर में वंश परंपरा के अनुसार होगी पूजा

इंदौर। देश के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों की तरह ही इंदौर के खजराना गणेश मंदिर में भी पुजारियों की वंश परंपरा के अनुसार पूजा हो सकेगी. पुजारी इस वंश परंपरा के अनुसार गर्भ गृह के मंदिर में पूजा करेंगे. यह निर्णय खजराना गणेश मंदिर प्रबंध समिति ने हाल ही लिया है. इसके अनुसार मंदिर में पीढ़ियों से पूजा पाठ करता आ रहा भट्ट परिवार और उनके वंशज पुजारी भगवान गणेश के साथ ही कई पारंपरिक धार्मिक आयोजन में भी शामिल हो पाएंगे. इन सब पुजारियों को मंदिर प्रबंध समिति द्वारा निर्धारित मानदेय भी प्रदान किया जाएगा.

खजराना गणेश मंदिर में वंश परंपरा के अनुसार होगी पूजा

भट्ट परिवार के सीधे वंशज ही गर्भ गृह में कर सकेंगे पूजा
इंदौर के खजराना गणेश मंदिर में होलकर रियासत काल से ही भट्ट परिवार परंपरागत तौर पर पूजा करता आ रहा है. इस परिवार में फिलहाल दूसरी पीढ़ी में मुख्य पुजारी के बतौर पंडित अशोक भट्ट, जयदेव भट्ट और सतपाल महाराज गर्भ गृह की पूजा-अर्चना कर सकेंगे. मंदिर प्रशासन और प्रबंध समिति के निर्णय के अनुसार भट्ट परिवार के सीधे वंशज रहने वाले अशोक भट्ट की अगली पीढ़ी के पुजारी भी गर्भ गृह में पूजन कर सकेंगे. वहीं जयदेव भट्ट और सतपाल महाराज मंदिर में पुजारी रहेंगे, लेकिन उनके वंशजों को गर्भ गृह में पूजन का अधिकार नहीं रहेगा. मुख्य मंदिर के अलावा शेष मंदिरों में पुरोहितों की नियुक्ति मंदिर प्रबंध समिति द्वारा की जाएगी. इसके अलावा आवश्यकता के अनुसार अन्य व्यवस्थाएं संपादित होंगी.

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SC का निर्देश, मंदिरों में पुजारियों की वंश परंपरा को हो पालन

मुख्य पुजारियों के लिए भी नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न की जा रही है, जिन्हें पहले की तरह ही पूजा और विधि विधान के लिए 1 लाख 75 हजार रुपये प्रति माह का मानदेय जारी रहेगा. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर से जुड़े एक मामले में भी निर्देश दिए थे कि जब तक कोई विशेष परिस्थिति नहीं होती, तब तक मंदिरों में पहले से चली आ रही पूजा परंपराओं का पालन किया जाएगा. इसके लिए संबंधित मंदिरों में पूजा करने वाले पुजारी और उनके वंश के अन्य पुजारी ही गर्भ गृह में परंपराओं के अनुसार पूजा पद्धतियों को जारी रखेंगे. दरअसल, यह भी माना जाता है कि यदि शिक्षित और योग्य पुजारियों की भी नियुक्ति होती है, तो प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वह पूजा परंपराओं को संपादित करने में असमर्थ रहते हैं. लिहाजा कोर्ट ने भी देश के प्रसिद्ध मंदिरों के लिए पुजारियों की वंश परंपरा को मान्यता दी है. (Khajrana Ganesh temple of Indore) (lineage tradition in Khajrana Ganesh temple)

Last Updated : Feb 15, 2022, 7:29 AM IST
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