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Bhopal School Bus Rape: आरोपी ड्राइवर की पत्नी बोली-हमारा घर उजड़ गया, दो बेटियों को लेकर कहां जाएं

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Published : Sep 25, 2022, 2:18 PM IST

भोपाल में स्कूल बस में बच्ची से रेप की घटना हुई थी. जिसके बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी के घर को जमींदोज कर दिया. परिवार ने आरोप लगाया कि उनके घर को गिराने से पहले कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था. आरोपी की पत्नी का कहना है कि उसकी दो छोटी छोटी बेटियां हैं अब उन्हें लेकर वह कहां जाएगी. वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं के एक वर्ग ने भी इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाए हैं. (Bhopal School Child Rape Case) (Bulldozer On Bus driver house)

Bhopal School Bus Rape
भोपाल बस ड्राइवर का घर तोड़ा

भोपाल। इस महीने की शुरुआत में भोपाल जिला प्रशासन ने एक बस चालक के अवैध घर को ध्वस्त कर दिया, जिसने एक नामी निजी स्कूल की नर्सरी की छात्रा के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था. चालक को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद, स्थानीय प्रशासन के अधिकारी उसके अजय नगर स्थित अस्थाई घर पर हथौड़ा चला गए. प्रशासन ने परिवार के सदस्यों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का अवसर भी नहीं दिया. परिवार ने आरोप लगाया कि उनके घर को गिराने से पहले कोई पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था.

जब घर बन रहा था तब कहां थे अधिकारी: विध्वंस कार्य में शामिल एक अधिकारी ने कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि ''संरचना अवैध थी इसलिए हमने इसे ध्वस्त कर दिया''. लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता ने पूछा है कि ''यह अवैधता प्रशासन के संज्ञान में कैसे आई, जब उसने अपराध किया था तब. जब घर बनाया जा रहा था तब वे कहां थे"'? उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चालक के परिवार के सदस्यों के बारे में सोचना चाहिए था. जिसमें उसकी पत्नी और दो नाबालिग लड़कियां शामिल हैं, इसके अलावा माता-पिता भी हैं जिनके सिर पर छत नहीं है.

आरोपी के पिता बोले पहले से नहीं दिया नोटिस: आरोपी ड्राइवर के 52 वर्षीय पिता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ''अब हम अपनी बेटी और दामाद के साथ कोलार इलाके में रहने को मजबूर हैं. कोई हमारी नहीं सुन रहा है. हमें प्रतिपादित किया गया है. मकान तोड़ने से पहले हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया था. अधिकारी हमारे घर आए और तुरंत वहां से चले जाने को कहा और घर को ध्वस्त कर दिया''. (Bulldozer On Bus driver house)

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ड्राइवर की पत्नी ने पूछा, हम कहां जाएं: ड्राइवर की पत्नी ने पूछा है कि ''बारिश के मौसम में हमारा घर उजड़ गया. दो छोटी बच्चियों को लेकर अब हम कहां जाएंगे''? एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई को पूरी तरह से अनुचित करार दिया. एनजीओ आरंभ की निदेशक अर्चना सहाय ने पीटीआई से कहा, 'अधिकारियों को आरोपी व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को दंडित नहीं करना चाहिए. उन्हें अपने परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से नाबालिग बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता के बारे में सोचना चाहिए, जिन्हें अपने करीबी रिश्तेदारों के कामों के लिए भुगतना पड़ता है. सहाय ने कहा कि प्रशासन की अवैधता को विध्वंस अभियान चलाने का आधार मानने का तर्क ठोस नहीं लगता.

परिवार को मिली बिना गलती की सजा: एनजीओ की निदेशक अर्चना सहाय ने कहा, "किसी के अपराध करने के बाद ही सरकार के अधिकारी जागते हैं. अगर इस तरह की कार्रवाई की जाती है, तो सरकार को उन विस्थापित परिवार के सदस्यों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए, जो बिना किसी गलती के पीड़ित हैं''. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के मध्य प्रदेश राज्य सचिवालय के सदस्य बादल सरोज ने बस चालक के घर को तोड़ने के लिए भोपाल जिला प्रशासन की बेरहम रवैया के लिए आलोचना की. जिस व्यक्ति ने कथित रूप से अपराध किया है, उसके घर को गिराना पूरी तरह से अनुचित है. किसी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति अपराध का दोषी है. सरोज ने कहा कि ''यह अदालतों का काम है कि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई करें और फिर किसी व्यक्ति को सजा दें, प्रशासन इस तरह का काम नहीं कर सकता है''.

सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी इस तरह की कार्रवाइयों की मंजूरी: माकपा नेता ने कहा कि ''एक व्यक्ति द्वारा की गई गलती के लिए पूरे परिवार को दंडित नहीं किया जा सकता है. विचाराधीन घर केवल आरोपी का नहीं था, बल्कि उसके पूरे परिवार का था. उनके परिवार के सदस्यों को उनके करीबी रिश्तेदार की गलती के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है''. उन्होंने कहा कि ''यह बेहद आपत्तिजनक है''. वहीं अनुभवी कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि अपराधों और दंगों में शामिल लोगों की संपत्तियों को ध्वस्त करने का यह चलन उत्तर प्रदेश में शुरू हुआ और अब देश के अन्य हिस्सों में इसका पालन किया जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की कार्रवाइयों को मंजूरी नहीं दी है. रामनवमी त्योहार के बाद खरगोन में दंगों के बाद, एक व्यक्ति की संपत्ति, जिसके दोनों हाथ खो गए थे, उसके घर को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया था. उन्होंने पूछा कि ऐसा व्यक्ति पत्थर कैसे फेंक सकता है?

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गरीबों को बनाया निशान, प्रभावशाली लोगों को छुआ तक नहीं: मध्य प्रदेश राज्य सचिवालय के सदस्य बादल सरोज ने कहा कि ''ये कार्रवाई प्रशासन द्वारा चुनिंदा तरीके से की गई, जिसमें केवल गरीबों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया, जबकि प्रभावशाली लोगों को छुआ नहीं गया. अगर किसी का घर अवैध है तो भी उसे गिराने से पहले एक प्रक्रिया का पालन करना होता है. उन्होंने कहा कि मनमाने तरीके से चीजें नहीं की जा सकतीं.

भाजपा ने कार्रवाई को बताया उचित: हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा ने भोपाल बस चालक के घर को तोड़े जाने को सही ठहराया. मध्य प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, यह भोपाल नगर निगम और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई थी. आरोपी व्यक्ति का घर अवैध था और इसलिए उसे ध्वस्त कर दिया गया था. उसके खिलाफ मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाएगी जो उसके लिए सजा की मात्रा तय करेगी. भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कार्रवाई यह संदेश देने के लिए की गई थी कि ऐसे व्यक्तियों को किसी भी परिस्थिति में समाज में स्वीकार नहीं किया जाएगा. जब यह बताया गया कि बस चालक के परिवार के सदस्यों को उनकी बिना किसी गलती के बेघर कर दिया गया है, अग्रवाल ने सीधे जवाब देने से परहेज किया और कहा कि घर अवैध रूप से बनाया गया था.

कांग्रेस ने की स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग: प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि यौन उत्पीड़न की घटना को लेकर चालक के अलावा निजी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. उन्होंने इस मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर जोर दिया. प्रशासन द्वारा आरोपी व्यक्ति के घर को गिराने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ''उसने अपराध किया है इसलिए उसे इसकी कीमत चुकानी होगी. सलूजा ने कहा कि ऐसे लोग मानवता के दुश्मन हैं''.

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