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जब दर्द से चीख उठा भोपाल...दुनिया की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना के 39 साल, जानिये उस खौफनाक रात की कहानी

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 2, 2023, 10:34 AM IST

Updated : Dec 2, 2023, 1:14 PM IST

Bhopal Gas Tragedy 39 years: भारत में 1984 में एक गैस रिसाव की घटना हुई थी, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा माना जाता है. यह घटना मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई. भोपाल गैस त्रासदी को हुए 39 बरस हो रहे हैं. 2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात को इस गैस रिसाव के चलते हजारों लोगों ने अपनी जान गवां दी थी. आज भी गैस पीड़ित उस काली रात का दंश झेल रहे हैं. पढ़िये उस रात की दर्दनाक कहानी...

Bhopal Gas Tragedy 39 years
भोपाल गैस काण्ड के 39 साल

भोपाल। दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के जख्म 39 साल बाद भी भर नहीं सके हैं. इस गैस कांड में हजारों लोगों की मौत हो गई उनके बच्चे और पीढ़ियां आज भी इस जहरीली गैस के प्रभाव को झेल रहे हैं. सरकारों ने राहत के मलहम तो लगाए लेकिन यह नाकाफी साबित हुए हैं. जिस स्थान पर भीषण गैस कांड हुआ वहां आज भी जहरीला कचरा पड़ा हुआ है. सरकारों के तमाम दावों के बाद भी इस जहरीले कचरे को जलाया नहीं जा सका. न्याय और राहत की लड़ाई लड़ रहे कई लोग दुनिया से अलविदा हो चुके हैं. जिम्मेदारों को सजा दिलाने के लिए मामला आज भी अदालतों की तारीख में झूल रहा है.

ऐसे हुई थी विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना: विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी में 15000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. यह दुर्घटना दो और तीन दिसंबर की रात 1984 को हुई. इस दुर्घटना से शहर लाशों से पट गया. दरअसल भोपाल में 1969 में यूनियन कार्बाइड द्वारा यूसीआईएल कारखाने का निर्माण किया गया. जिसमें मिथाइल आइसोसायनाइड से कीटनाशक बनाने की शुरुआत हुई. बाद में 1979 में मिथाइल आइसोसायनाइड के उत्पादन के लिए यहां नया कारखाना खोला गया. लेकिन जिम्मेदारों ने इसके सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किये. नतीजा दो और 3 दिसंबर की रात को आया. कारखाने की टैंक क्रमांक ए 610 में पानी का रिसाव हुआ. मिथाइल आइसोसाइनेट में पानी मिलाने से टैंक के अंदर तापमान बढा और इसके बाद विषैली गैस वातावरण में फैल गई.

15 हजार से ज्यादा की मौत: बताया जाता है कि करीब 45 मिनट के अंदर ही करीब 30 मेट्रिक टन गैस का रिसाव हुआ. यह गैस का गुबार पूरे शहर के वातावरण में फैल गया और उसके साथ ही शहर में मौत का तांडव शुरू हो गया. इस गैस की चपेट में आने से 15,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. लेकिन यह सिलसिला रुक नहीं. इस दुर्घटना में जो लोग बच भी गए वह इस गैस की प्रभाव से नहीं बच सके लोगों की आने वाली पीड़ियों तक में अपंगता के रूप में इस गैस का प्रभाव देखा गया.

मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा नहीं मौजूद: हालांकि इस जहरीली गैस के प्रभाव से मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा अभी तक मौजूद नहीं है. अलग-अलग स्रोतों से अलग-अलग राय होने से इनमें भिन्नता है. पहले आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या 2259 बताई गई थी, हालांकि मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 लोगों की गैस से मिलने वालों के रूप में पुष्टि की थी. अन्य अनुमान बताते है कि 8,000 लोगों की मौत तो सिर्फ दो हफ्ते के अंदर ही हो गई थी. बाकी 8000 लोग जो गैस पीड़ित थे, वह उससे संबंधित बीमारियों से मरे थे.

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39 साल बाद भी न्याय का इंतजार: विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के घाव 39 साल बाद भी हरे हैं. जहरीली गैस झेल चुके पीड़ित और उनकी पीढ़ियां शारीरिक परेशानियां झेल रही हैं, लेकिन इसके बाद भी पीड़ितों को न्याय का इंतजार है. गैस कांड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड की तरफ से आज तक भोपाल की अदालत में कोई पेश नहीं हुआ. इस मामले को लेकर गैस पीड़ितों ने भोपाल कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका करता भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉरमेशन एंड एक्शन के सतीनाथ सड़ंगी कहते हैं कि ''इतने साल बाद भी इस मामले में सरकार की तरफ से सिर्फ तर्क और सबूत पेश किया जा रहे हैं न्याय का अभी भी इंतजार है. हालांकि यूनियन कार्बाइड के अध्यक्ष और तत्कालीन सीईओ वारेन एंडरसन कि पहले ही मौत हो चुकी है.''

Last Updated :Dec 2, 2023, 1:14 PM IST
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