Video: झारखंड गठन के 23 वर्ष बाद कितनी बदली आदिवासियों की स्थिति, जानकारों ने बताया हाल

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 11, 2023, 8:35 PM IST

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रांची: 15 नवंबर को झारखंड अपनी 23वीं वर्षगांठ मनाएगा. इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब आदिवासी समुदाय के जानकारों से पूछा कि पिछले 23 सालों में राज्य के आदिवासियों की तस्वीर कितनी बदली है. तो सभी ने कहा कि 23 साल बाद भी आदिवासियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर रामचन्द्र उरांव कहते हैं कि झारखंड के अलग होने की बुनियाद यह थी कि यहां के आदिवासियों को जल, जंगल आदि जमीन पर आधिपत्य था. लेकिन राज्य गठन के बाद भूमि विवाद और गहरा गया है. 

आदिवासियों से उनकी जमीन छीनी जा रही है और राज्य में अब तक बनी सभी सरकारें जमीन लूट के मुद्दे पर चुप हैं. आदिवासियों के हितों के लिए आवाज उठाने वाले आदिवासी नेता प्रेम शाही मुंडा कहते हैं कि राज्य गठन के 23 साल पूरे होने के बाद भी झारखंड के आदिवासियों का आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक विकास नहीं हो सका है. केंद्र में बैठी सरकार और राज्य में बैठी सरकार आदिवासियों को ठगने का काम कर रही है. 

आदिवासियों की मौजूदा स्थिति को लेकर बीजेपी के पूर्व विधायक रामकुमार पाहन कहते हैं कि आदिवासियों का विकास भारतीय जनता पार्टी की सरकार में शुरू हुआ था लेकिन जब से हेमंत सोरेन की सरकार सत्ता में आई है, आदिवासी समाज का विकास फिर से रुक गया है. इस दौरान केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आज आदिवासियों की स्थिति बद से बदतर है लेकिन एक भी आदिवासी जन प्रतिनिधि आदिवासी समुदाय के लोगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. मुख्यमंत्री से लेकर मुखिया तक आदिवासियों का शोषण कर रहे हैं. आदिवासियों का धर्मांतरण हो रहा है लेकिन सरकार इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेता भुवनेश्वर लोहरा ने कहा कि झारखंड की बेटियां रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर रही हैं. बाहरी राज्यों में आदिवासी बहन-बेटियों का शोषण हो रहा है. 

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