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जानिए मेयर आशा लकड़ा ने क्यों कहा- एक आंख में काजल और एक आंख में सूरमा नहीं चलेगा

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Published : Aug 4, 2021, 6:20 PM IST

Order to demolish the building of Seva Sadan Hospital in ranchi
जानिए मेयर आशा लकड़ा ने क्यों कहा- एक आंख में काजल और एक आंख में सूरमा नहीं चलेगा

रांची नगर निगम के नगर आयुक्त (Municipal Commissioner of Municipal Corporation) की ओर से सालों पुराने सेवा सदन हॉस्पिटल के भवन को तोड़े जाने के आदेश के बाद अस्पताल चलाने वाले ट्रस्ट के सदस्य और रांचीवासी नाराज हैं. नगर आयुक्त ने भवन को अवैध निर्माण बताया है. इसपर मेयर आशा लकड़ा (Ranchi Mayor Asha Lakra) ने सवाल उठाते हुए कहा है कि एक आंख में काजल और एक आंख में सुरमा नहीं चलेगा.

रांची: नगर निगम के नगर आयुक्त मुकेश कुमार की ओर से 63 साल पुराने सेवा सदन हॉस्पिटल के भवन को बिना नक्शा पास के बना होने का बताकर उसे तोड़े जाने के आदेश के बाद ट्रस्ट के सदस्य और लोगों में नाराजगी है. मेयर आशा लकड़ा ने तो नगर आयुक्त के फैसले पर सवाल उठाते हुए कह डाला कि एक आंख में काजल और एक आंख में सुरमा नहीं चलेगा.

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जांच टीम का गठन जरूरी- मेयर

मेयर ने कहा कि एक ओर पूरी तरह अवैध बनाये गए हिनू के होटल एमराल्ड को सील करने और तोड़ने का समय दे दिया गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई. दूसरी ओर जनसेवा में लगे अस्पताल में मरीजों की भर्ती नहीं करने और भवन को तोड़ने का आदेश दे दिया गया, जो ठीक नहीं है. आशा लकड़ा ने कहा कि पहले झारखंड नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक जांच टीम का गठन करना चाहिए था, लेकिन इसका भी ख्याल नहीं रखा गया. नागरमल मोदी सेवा सदन ट्रस्ट (Nagarmal Modi Seva Sadan Trust Ranchi) के अरुण छावजड़िया और चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा ने कहा कि 1958 में जनता की सेवा के लिए 5 कमरों से ये अस्पताल शुरू हुआ था, बाद में जब इसका 1980 में विस्तार हुआ तो आरआरडीए (RRDA) से नक्शा पास कराया गया था. बावजूद इसके नगर आयुक्त ने तुगलकी फैसला सुनाया है.

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मरीजों को भर्ती करना जारी

उधर, नगर आयुक्त ने सेवा सदन हॉस्पिटल में नए मरीजों के भर्ती नहीं लेने का फरमान जारी किया है, बावजूद इसके सेवा सदन में आज न सिर्फ ओपीडी अन्य दिनों की तरह चला बल्कि मरीजों की भर्ती करके इलाज भी किया जा रहा है.



ट्रस्टियों की आपात बैठक

निगम आयुक्त की ओर से अस्पताल भवन को अवैध बताकर तोड़े जाने के फरमान जारी होने के बाद नागरमल मोदी सेवा सदन ट्रस्ट के वरिष्ठ सदस्यों की आपात बैठक हुई. नगर आयुक्त के फैसले को तुगलकी फैसला बताते हुए हर मोर्चे पर इसका विरोध करने और सभी प्लेटफॉर्म्स पर यह बताने का फैसला लिया गया कि 1980 में RRDA से नक्शा पास होने के बावजूद कैसे जनहित में चल रहे अस्पताल को प्रताड़ित किया जा रहा है.

डिप्टी मेयर ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस

डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय (Deputy Mayor Sanjeev Vijayvargiya Ranchi) ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पहले बने सभी भवनों को तोड़ने से पहले नक्शा रेगुलराइज कराने का प्रावधान झारखंड सरकार लाए. ट्रस्ट की ओर से चलाये जा रहे सेवा सदन हॉस्पिटल में इलाज कराना सामान्य और मध्यम वर्ग के लिए संभव होता है, क्योंकि निजी अस्पताल होते हुए भी रांची के कॉरपोरेट अस्पतालों की तुलना में यहां का रेट कम है. इससे लोगों को राहत मिलती है. सेवा सदन अस्पताल ने लाखों जिंदगियां बचाई हैं और आज इसे तोड़ने का फरमान नगर निगम ने जारी कर दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से राजधानी में नगर निगम की ओर से पुराने भवनों को अवैध घोषित कर तोड़ने का नोटिस दिया जा रहा है, जिससे पुरे शहर में डर का माहौल है. इस विषय को लेकर पिछले दिनों उन्होंने मुख्य सचिव और नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव प्रधान से मुलाकात और पत्राचार किया.

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डिप्टी मेयर की मांग

इस मामले पर डिप्टी मेयर ने कहा कि एक वैसी संस्था, जो कि पिछले 50 सालों से भी पहले से सेवा कार्य कर रही है और उनके अस्पताल भवन का निर्माण 1960 के आस-पास हुआ था. पिछले कई सालों से यह अस्पताल बड़ी संख्या में हर दिन मरीजों का इलाज करता आ रहा है. ऐसे पुराने भवन को तोड़ने का नोटिस देना अव्यवहारिक है. सेवा सदन अस्पताल के साथ-साथ वैसे भवन जिनका रेगुलराइजेशन नहीं हुआ है, वैसे भवनों को लिस्ट तैयार हो. तब तक के लिए भवनों को हटाने के लिए त्वरित कार्रवाई न की जाए. उन्होंने कहा कि एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री की ओर से गरीबों को और आवास रहित लोगों को आवास देने का काम किया जा रहा है. वहीं, रांची नगर निगम घरों को उजाड़ने का काम कर रही है. भवन रेगुलराइजेशन का शुल्क 1000 रुपये प्रति वर्ग फीट है. क्या बिल्डिंग बायलॉज के इस नियम के तहत लोग इसे कर पाएंगे. उन्होंने मांग की है कि झारखंड सरकार इस विषय को संज्ञान में लेते हुए इस आदेश पर रोक लगाए और जल्द से जल्द पुराने भवनों को रेगुलराइज करने के लिए नियमावली बनाएं, नहीं तो मजबूरन आम जनता को सड़क पर उतरना पड़ेगा और तब इसके लिए जिम्मेदार झारखंड सरकार होगी.

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