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Civic Action Program: नक्सलियों के गढ़ में सीआरपीएफ, ग्रामीणों से मिले अधिकारी और सामग्री का किया वितरण

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Published : Feb 3, 2022, 10:02 PM IST

पलामू में सोशल पुलिसिंग के तहत कई कार्य किए जा रहे हैं. नक्सलियों के गढ़ में सीआरपीएफ के अधिकारी पहुंचे. वो यहां ग्रामीणों से मिले, उनकी समस्याओं से रूबरू हुए और उनके बीच सामग्री का किया वितरण.

social policing in palamu CRPF officials meet villagers in Naxal affected area
पलामू में सोशल पुलिसिंग

पलामूः माओवादियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में से एक बूढ़ा पहाड़ के इलाके में सीआरपीएफ नक्सलियों के खिलाफ अभियान के साथ-साथ अपने सामाजिक दायित्वों का भी निर्वहन कर रही है. सिविक एक्शन (Civic Action Program) कार्यक्रम के तहत सीआरपीएफ के अधिकारी लातेहार के बूढ़ा पहाड़ से सटे हुए इलाके करमडीह और टोंगारी में गुरुवार को पहुंचे. दोनों जगह पर सीआरपीएफ की एक से 112वीं बटालियन की कंपनी तैनात हैं. दोनों इलाकों में सीआरपीएफ की 112वीं बटालियन की पहल पर बदलाव शुरू हुआ है.

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पलामू में सोशल पुलिसिंग के तहत नक्सलियों के गढ़ में सीआरपीएफ के अधिकारी पहुंचे और उनकी समस्याओं से रूबरू हुए. सीआरपीएफ के अधिकारियों ने गुरुवार को टोंगारी और करमडीह में दो दो घंटे तक कैंप किया. इस दौरान ग्रामीणों के बीच आम जरूरत की सामग्री को बांटा गया जबकि उनकी समस्याओं को भी सुना. सीआरपीएफ के अधिकारी ग्रामीणों की समस्याओं को प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष रखेंगे और उसका समाधान का प्रयास करेंगे. ग्रामीणों ने मुख्य रूप स्कूल, पानी और बिजली की समस्याओं को रखा.

जानकारी देते संवाददाता

करमडीह के इलाके में सबसे पहले सीआरपीएफ ने ही 2016-17 में ग्रामीणों के लिए बिजली उपलब्ध करवाई थी. सीआरपीएफ की उस पहल को देश के पीएम ने भी सराहना की थी. सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत सीआरपीएफ अधिकारियों ने ग्रामीणों को कोविड-19 और वैक्सीनेशन को लेकर भी जागरूक किया गया. सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत सीआरपीएफ 112वीं बटालियन की टीम ने ग्रामीणों के बीच कंबल, साड़ी, धोती का वितरण किया. बच्चों के लिए किताब और खेल की सामग्री उपलब्ध करवाई गयी.


मुख्य धारा में शामिल होने की अपीलः सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत सीआरपीएफ के 112वीं बटालियन के कमांडेंट प्रमोद कुमार साहू, द्वितीय कमान अधिकारी महेश विश्वकर्मा, नरेन कुमार सरन के नेतृत्व में पूरा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. डोरा इलाके में 500 से अधिक ग्रामीणों का मेडिकल जांच किया गया. मेडिकल जांच के बाद ग्रामीणों को दवा उपलब्ध करवाई गयी. मौके पर संबोधित करते हुए कमांडेंट प्रमोद कुमार साहू ने कहा कि सीआरपीएफ आम लोगों के सहयोग के लिए तत्पर है. उन्होंने भटके हुए लोगों को मुख्यधारा में शामिल होने का अपील की. उन्होंने कहा कि नक्सलियों के कारण इलाके में विकास बाधित है और बच्चों का भविष्य नहीं बन पाया है.

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गुमला में भी सोशल पुलिसिंग के तहत कार्यक्रमः गुमला पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा घोर नक्सलवाद क्षेत्र में सोशल पुलिसिंग के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया. गुमला जिला में नक्सलियों का गढ़ कहलाने वाले कुरुमगढ़, केरागानी व मड़वा के जिन घनी जंगलों के बीच दिनदहाड़े गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती थी. आज उसी केरागानी इलाके में पुलिस कैंप में हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी एक अलग रोमांचकारी तस्वीर बयां की. गाजे बाजे और सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच कम्युनिटी पुलिसिंग का बेहतर नजारा गुरुवार को देखने को मिला. सोशल पुलिसिंग की अवधारणा को मूर्त रूप देते हुए गुमला जिला पुलिस व सीआरपीएफ 218 बटालियन ने संयुक्त रूप से निःशुल्क स्वास्थ्य जांच और दवा वितरण का आयोजन कैंप लगाकर किया.

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बच्चों के बीच सामूहिक वनभोज कार्यक्रम
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गुमला में सोशल पुलिसिंग के तहत कार्यक्रम

इस कैंप में ग्रामीणों के बीच सामूहिक भोज आयोजित हुए. वहीं विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ खुद पुलिस कप्तान डॉ. एहतेशाम बारीकी ने ग्रामीणों का इलाज करते हुए उनके बीच निःशुल्क दवाइयां बांटी. सीआरपीएफ 218 बटालियन के समादेष्टा अनिल मिंज व अभियान एसपी मनीष सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ ग्रामीणों की मौजूदगी क्षेत्र में हुए बड़े परिवर्तन का अहसास दिला रही थी. इस मौके पर मौके पर एसपी डॉ. एहतेशाम बारीकी ने कहा कि नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्र में लगातार ऑपरेशन चलाकर जिस तरीके से उन नक्सलियों को मुख्यधारा में आने या सरेंडर करने को बाध्य किया है उसी का सुखद परिणाम है कि आज ग्रामीणों के बीच भरोसा और विश्वास की पुनर्स्थापना हो सकी है.

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ग्रामीणों की मेडिकल जांच
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