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आदिवासियों की जमीन को स्कूल और अस्पताल के नाम पर घेर रही ईसाई मिशनरी: लक्ष्मण गिलुवा

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Published : Aug 22, 2019, 8:13 PM IST

Updated : Aug 24, 2019, 7:55 PM IST

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा

झारखंड प्रदेश में अनुसूचित जनजाति समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा लाभ को सुनिश्चित किए जाने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने जमशेदपुर के उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा है.

जमशेदपुर: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने जमशेदपुर के उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि झारखंड प्रदेश जनजातीय बहुल राज्य है और संविधान की पांचवी अनुसूची के अंतर्गत राज्य के लगभग 118 प्रखंड अनुसूचित क्षेत्र के रूप में शासित है. इन क्षेत्रों में अधिकतर जनजातीय समुदाय के लोग रहते हैं, भारतीय संविधान और स्थानीय काश्तकारी अधिनियम छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के जनजातीय समाज की सुरक्षा संरक्षा और उनके अधिकारों के संबंध में नीति निर्धारण करना राज्य सरकार के ऊपर है.

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छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम झारखंड प्रदेश में अनुसूचित जनजाति समुदाय के भूमि की संरक्षण किए जाने हेतु लागू किए गए है. इसके बावजूद इस समाज के पास से उनकी जमीन गैर जनजाति दबंगों, दलालों और खासकर मिशनरियों के द्वारा गैर वाजिब तरीके से लिया जा रहा है.

प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि काश्तकारी अधिनियम मोहित प्रावधानों के बावजूद किस प्रकार जनजातीय भूमि का हस्तांतरण ईसाई मिशनरियों के द्वारा किया गया है. क्या किसी धर्मांतरण करने वाले जनजाति वर्ग के सदस्य के नाम पर मिशनरियों द्वारा भूमि पर कब्जा या अधिकार स्थापित किया गया है. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 46 तथा 49 के प्रावधानों और समान प्रकार से संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए दस्तावेजों के आधार पर जनजाति वर्ग की भूमि इन मिशनरियों ने कब्जे में लेकर अपने उपयोग में लाई जा रही है. इस तरह की पूरी मामले की जांच होनी चाहिए.

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लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि धर्म परिवर्तन कर जनजातियों के सदस्य जो चर्च में फादर होकर ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहे है और ईसाई धर्म में बस चुके है. अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए मिशनरियों के निमित्त जनजातीय भूमि की भी व्यवस्था ओने-पौने मूल्य पर या सीधे साधे आदिवासियों को बहला-फुसलाकर करते है. उन्होंने कहा कि मिशनरियों के पास भू संपत्ति के नाम पहले कुछ जनजातीय भूमि उपलब्ध हो गई है मिशनरियों ने ऐसे बड़े-बड़े भूखंड पर संपूर्ण राज्य के सुदूर क्षेत्रों में कब्जा जमा लिया है, जिसके कारण सरकारी संस्थाओं को ही भूमि की उपलब्धता कम हो रही है.

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गरीब आदिवासियों को लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा
गरीब आदिवासी भाइयों एवं बहनों को इसी कारण से मिशनरी संस्थाओं के द्वारा प्रलोभन देकर एवं मिशनरी संस्थाओं से लाभ का लालच देकर धर्मांतरण कराया जाता है. इसकी जांच की जाए, किस प्रकार इतने बड़े-बड़े जनजातीय इन मिशनरियों के पास आए और किसके नाम पर स्वामित्व धारित हुआ है. क्या छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम या संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों का पालन हुआ है. अभी नहीं हुआ तो वह संपूर्ण जनजातीय भूखंड को मिशनरियों से मुक्त कराए जाने एवं संबंधित जनजातीय परिवार को संबंधित भूमि को वापस कराए जाने की आवश्यकता है.

Intro:जमशेदपुर। झारखंड प्रदेश में अनुसूचित जनजाति समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा व उनको देय लाभ को सुनिश्चित किए जाने की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने जमशेदपुर के उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि झारखंड प्रदेश जनजातीय बहुल राज्य है और संविधान की पांचवी अनुसूची के अंतर्गत राज्य के लगभग 118 प्रखंड अनुसूचित क्षेत्र के रूप में शासित है ।इन क्षेत्रों में अधिकतर जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं एवं भारतीय संविधान तथा स्थानीय काश्तकारी अधिनियम यथा छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम तथा संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश के जनजातीय समाज की सुरक्षा संरक्षा एवं उनके अधिकारों के संबंध में नीति निर्धारण तथा उसका कारण उनका दायित्व राज्य सरकार के ऊपर है ।
छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम झारखंड प्रदेश में अनुसूचित जनजाति समुदाय के भूमि की संरक्षण किए जाने हेतु लागू किए गए हैं। इसके बावजूद इस समाज के पास से उनकी जमीन गैर जनजाति दबंगों एवं दलाल लो एवं खासकर मिशनरियों द्वारा गैर वाजिब तरीके से लिया जा रहा है।


Body:इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि काश्तकारी अधिनियम मोहित प्रावधानों के बावजूद किस प्रकार जनजातीय भूमि का हस्तांतरण ईसाई मिशनरियों के द्वारा किया गया है। क्या किसी धर्मांतरण इस जनजाति वर्ग के सदस्य के नाम पर मिशनरियों द्वारा भूमि पर कब्जा तथा अधिकार स्थापित किया गया है ।तथा अथवा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 46 तथा 49 के प्रावधानों और समान प्रकार से संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के सदृश प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए दस्तावेजों के आधार पर जनजाति वर्ग की भूमि इन मिशनरियों के द्वारा कब्जे में लेकर उपयोग में लाई जा रही है ।इस तरह की पूरी मामले की जांच होनी चाहिए।


Conclusion:लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि धर्म अंतरित जनजातियों और के सदस्य जो चर्च में फादर या ब्रदर होकर ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहे हैं तथा ईसाई धर्म में रच बस चुके हैं अपना इस्तेमाल करते हुए मिशनरियों के निमित्त जनजातीय भूमि की भी व्यवस्था ओने पौने मूल्य पर अथवा सीधे साधे आदिवासियों को बहला-फुसलाकर करते हैं । उन्होने कहा हैं कि मिशनरियों के पास भू संपत्ति के नाम पूर्व कुछ जनजातीय भूमि उपलब्ध हो गई है ।अथवा मिशनरियों ने ऐसे बड़े बड़े भूखंड पर संपूर्ण राज्य के सुदूर क्षेत्रों में कब्जा जमा लिया है। जिसके कारण सरकारी संस्थाओं को ही भूमि की उपलब्धता कम हो गई है ।गरीब आदिवासी भाइयों एवं बहनों को इसी कारण से मिशनरी संस्थाओं के द्वारा प्रलोभन देकर एवं मिशनरी संस्थाओं से लाभ का लालच देकर धर्मांतरण कराया जाता है। इसकी जांच की जाए ,किस प्रकार इतने बड़े-बड़े जनजातीय इन मिशनरियों के पास आए और किसके नाम पर स्वामित्व धारित हुआ है । क्या छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम या संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के प्रावधानों का पालन हुआ है ।अभी नहीं हुआ तो वह संपूर्ण जनजातीय भूखंड को मिशनरियों से मुक्त कराए जाने एवं संबंधित जनजातीय परिवार को संबंधित भूमि को वापस कराए जाने को अत्यंत आवश्यकता है ।
बाईट - लक्ष्मण गिलुवा ,प्रदेश अध्यक्ष ,भाजपा
Last Updated :Aug 24, 2019, 7:55 PM IST
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