नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता (चीफ इंजीनियर) यादव सिंह को भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी से राहत दे दी. यह आरोप लगाया गया है कि सिंह ने दिसंबर 2011 में आठ दिनों में 954 करोड़ रुपये के 1,280 रखरखाव अनुबंध कथित तौर पर निष्पादित किए. वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने शीर्ष अदालत के समक्ष सिंह का प्रतिनिधित्व किया.
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कौल की इस दलील पर गौर किया कि मामले में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर करने के बाद उनके मुवक्किल के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है. कौल ने प्रस्तुत किया कि शीर्ष अदालत ने मामले में तीन साल से अधिक की कैद के बाद उन्हें जमानत दे दी थी. कौल ने कहा कि उनके मुवक्किल को अब ताजा पूरक आरोप पत्र भरने के मद्देनजर गिरफ्तारी की आशंका है.
दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी और जमानत के लिए सिंह की नई याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है. 2019 में, शीर्ष अदालत ने यादव सिंह को जमानत दे दी थी, जो नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रमुख इंजीनियर थे.
शीर्ष अदालत ने 1 अक्टूबर, 2019 को यादव सिंह को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि 'हम ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन, याचिकाकर्ता को जमानत देना उचित समझते हैं'. 25 अक्टूबर, 2019 को शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज एक अलग और परिणामी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यादव सिंह को जमानत दे दी थी. 2015 में, ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज एक एफआईआर के आधार पर सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए थे.
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