दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका में पंचायत चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सरगर्मी बढ़ गई है. लोग उत्साहित नजर आ रहे हैं लेकिन काफी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जो पंचायत क्षेत्र में रहते हैं. लेकिन उनके मन में इस चुनाव के प्रति कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा. यह वैसे लोग हैं जो दुमका नगर निकाय क्षेत्र की सीमा पर स्थित पंचायत एरिया में रहते हैं.
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दुमका नगर निकाय क्षेत्र के अगल-बगल 6 पंचायत एरिया में लगभग 50 गांव हैं. भले ही यह गांव पंचायत क्षेत्र में है पर यह नगर परिषद क्षेत्र से सटे हुए हैं. अब समस्या यह है कि शहरवासियों को जो नगर परिषद के द्वारा सड़क, सफाई, पेयजल, स्ट्रीट लाइट और अन्य सुविधा दी जाती हैं उससे ये पंचायत सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं. हालांकि नगर परिषद के द्वारा कुछ गांव में शहरी जलापूर्ति का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन इसकी संख्या नगण्य है.
इस वजह से पंचायत में रहने वाले लोग यह देखते हैं कि 50 मीटर दूर नगर निकाय क्षेत्र में जिनके घर हैं, उनके घर सफाईकर्मी रोज सुबह आते हैं और कचरा उठाते हैं. उन इलाकों में बेहतर सड़क है, जिसमें स्ट्रीट लाइट जगमगाता है, शहरी जलापूर्ति का कनेक्शन मिला हुआ है, जिसमें सुबह शाम पानी आता है. इसके विपरीत इन पंचायतवासियों को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. जिसमें शहरी क्षेत्र का ड्रेनेज सिस्टम का आउटपोस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में है. वहीं दुधानी पंचायत में शहर का कूड़ा डंप होता है. शहर से जो सीमावर्ती पंचायत में कड़हलबिल, दुधानी, हिजला, घाट, रसिकपुर, बन्दरजोड़ी, लखीकुंडी, पुराना दुमका.
क्या कहते हैं लोगः दुधानी पंचायत पहुंचकर ईटीवी भारत की टीम ने कई लोगों से बात की. उन्होंने बताया कि पंचायत चुनाव को लेकर उत्साह नहीं है क्योंकि उनका आवास दुमका नगर परिषद क्षेत्र के सीमा पर स्थित है. उनसे थोड़ी दूर पर जो लोग रह रहे हैं, उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं प्राप्त हैं पर वो उनसे वंचित हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि उनके पंचायत प्रतिनिधि भी सुध नहीं लेते हैं. साथ ही साथ शहरी क्षेत्र का जो कचरा है, वो उनके ही घरों के आस-पास डंप हो रहा है.
उनका कहना है कि इस कूड़े-कचरे की वजह से यहां जीना मुश्किल हो गया है. कूड़ा डंपिंग का कई बार उन्होंने विरोध किया पर इसका हल नहीं निकला. लोगों का कहना है कि ना हमें सड़क मिला, ना सफाई और ना ही नाली, बरसात के दिनों में तो इस इलाके में सड़क और नाली के नहीं होने से जलजमाव की स्थिति हो जाती है. घर से निकलना दूभर हो जाता है अब जब इतनी परेशानी से घिरे हैं तो पंचायत चुनाव के प्रति उदासीनता स्वभाविक है.