ETV Bharat / state

Deoghar News: देवघर के बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग का है खास महत्व, शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है बाबा धाम, जानिए क्या है वजह

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 22, 2023, 7:11 PM IST

http://10.10.50.75//jharkhand/22-August-2023/_22082023144850_2208f_1692695930_768.jpg
Baidyanath Dham Jyotirling

देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर का बैद्यनाथ मंदिर है. देवघर में शिव और शक्ति के एक साथ विराजमान होने के कारण सभी ज्योर्तिलिंगों से अलग बैद्यानाथ धाम की पहचान है. मंदिर से जुड़ी अन्य कई रहस्य जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

देवघर: बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को शायद ही इस बात की जानकारी होगी कि देश के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बैद्यनाथ धाम ही ऐसा तीर्थ स्थल है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. इन्हीं विशेषताओं के कारण इसे कामना लिंग के रूप में पूजा जाता है. जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में लोग बैद्यनाथ धाम में जलार्पण करने के लिए पहुंचते हैं. देशभर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम बाकी तीर्थ स्थलों से अपनी एक अलग पहचान रखता है. बैद्यनाथ धाम का अपना एक विशेष महत्व है.

ये भी पढ़ें-श्रावण मास के दूसरे पक्ष में देवघर में उतरा कांवरियों का जन सैलाब, कांवरियों की कतार 10 किलोमीटर पार

पहले देवघर की शक्तिपीठ के रूप में प्रधानता थीः भले ही द्वादश ज्योतिर्लिंग के रूप में बैद्यनाथ धाम को पूजा जाता हो, लेकिन वास्तव में पहले इसकी शक्तिपीठ के रूप में प्रधानता रही है. देवघर में माता सती का हृदय गिरने की वजह से पहले या बाबा नगरी देवघर को शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता था. ऐसी मान्यता है कि इसके बाद यहां पवित्र ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान विष्णु के द्वारा करायी गई थी. यह एकमात्र द्वादश ज्योतिर्लिंग है जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं.

देवघर में शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैंः देवघर के तीर्थ पुरोहित प्रमोद सिंगारी के अनुसार बाबा बैद्यनाथ के चारों ओर शक्ति स्वरूपा स्थापित हैं. जो इस ज्योतिर्लिंग की खास विशेषताओं में से एक है. बैद्यनाथ धाम मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग को मूल लिंग भी कहा जाता है. पहले बैद्यनाथधाम को शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता था. क्योंकि माता सती का हृदय यहां गिरने के बाद उसकी रक्षा के लिए बैद्यनाथ को भैरव के रूप में स्थापित किया गया था.

बैद्यनाथ धाम मंदिर परिसर में बाबा मंदिर के अलाले 22 मंदिर हैं स्थापितः एक कहानी और प्रचलित है कि जब रावण कैलाश से शिवलिंग लेकर जा रहा था तो भगवान विष्णु ने चालाकी से शिवलिंग ले लिया और शिवलिंग की देवघर में स्थापना कर दी. देश के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ के रूप में भी इस पवित्र स्थल को माना जाता है. बैद्यानाथ धाम में मुख्य मंदिर के अलावा कुल 22 मंदिर स्थापित हैं. मंदिर प्रांगण स्थित मुख्य मंदिर के सामने माता त्रिपुर सुंदरी उनके बाएं ओर माता संध्या फिर बगल में मानसा देवी, सरस्वती माता के बगल में मां बगुलामुखी, माता तारा, माता अन्नपूर्णा आदि मंदिर स्थापित हैं.

बैद्यानाथ धाम मंदिर के शिखर पर लगे पंचशूल का है खास महत्वः तीर्थ पुरोहित प्रमोद सिंगारी आगे कहते हैं कि सतयुग से ही बैद्यनाथधाम में शक्ति की उपासना होते रही है और कई बड़े-बड़े साधक और ऋषि-मुनी साधना करने के लिए यहां पर पहुंचे रहे हैं. कई साधकों ने अपनी साधना से बहुत कुछ यहां से प्राप्त भी किया था. बैद्यनाथ धाम शक्ति पीठ होने के कारण यहां शक्ति और शिव दोनों स्थापित हैं. जिस स्थान पर भगवान शिव और आदिशक्ति स्वरूप मां त्रिपुर सुंदरी स्थापित हैं उसके चारों ओर सुरक्षा कवच के रूप में दसों महाविद्या की देवी और भैरव को स्थापित किया गया है. वहीं बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ही एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जिसके शिखर पर पंचशूल स्थापित है. पंचशूल स्थापित रहने के कारण ही देवघर में कभी कोई आपदा या विपदा नहीं आती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.