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स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ रहे बच्चे, सड़क पर बैठकर खुद लिख रहे अपनी किस्मत

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Published : Apr 25, 2023, 9:02 PM IST

झारखंड के खूंटी जिले को आम तौर पर लोग हॉकी के लिए जानते हैं. लेकिन यहां से जिस तरह की तस्वीर सामने आई है वे साबित करता है खूंटी के हर बच्चे में आगे बढ़ने का कितना जज्बा है. ये वीडियो किसी का भी दिल जीतने के लिए काफी है. इसके साथ ही वीडियो ये भी साबित करता है कि इस जिले की हालत क्या है और प्रशासन किस तरह से काम करता है. यहां की पतराटोली गांव के बच्चे बिजली नहीं परेशान नहीं हुए, बल्कि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है और पढ़ने के लिए स्ट्रीट लाइट का इस्तेमाल करते हैं.

Children forced to study under street light
Children forced to study under street light

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खूंटी: कहावत है उड़ने के लिए पंख नहीं हौसले की जरूरत होती है. जिले के बिरहु पंचायत के पतराटोली गांव के बच्चों पर यह कहावत एकदम फिट बैठता है. ये बच्चे गांव की सड़क किनारे लगी सोलर स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. खूंटी शहर से लगभग पांच किमी दूर बिरहु पंचायत का टोला पतराटोली गांव में करीब एक एक महीने पहले ट्रांसफार्मर जल गया. ट्रांसफार्मर जलने के कारण बिजली गई तो एक महीने बाद भी नहीं आ सकी. बच्चों ने पहले तो बिजली का इंतजार किया फिर जब कई दिन गुजर गए तो बच्चे स्ट्रीट लाइट के नीचे ही अपनी पढ़ाई करने लगे.

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खूंटी की पहचान नक्सल प्रभावित जिले के रूप में की जाती है, लेकिन यहां के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. चाहे खेल हो या फिर पढ़ाई खूंटी हमेशा से ही आगे रहा है. हालांकि इस इलाके में सुविधाओं का हमेशा अकाल रहा है. बिजली जैसी मूलभूत सुविधा भी यहां लोगों को ठीक से नहीं मिल पाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था न के बराबर है. शहरी इलाकों में भी बिजली व्यवस्था चरमराई हुई है. लोड शेडिंग के कारण समय पर बिजली नहीं मिल पाती.

बिरहु पंचायत के पतराटोली गांव में जब बिजली नहीं आई तो यहां के बच्चे सोलर आधारित स्ट्रीट लाइट के नीचे अपनी पढ़ाई करने लगे. इस गांव में महीनों से बिजली नहीं है, क्योंकि यहां का ट्रांसफर्मर एक महीने से खराब पड़ा हुआ है. गांव वालों ने बिजली विभाग को एक महीने के भीतर तीन से चार बार आवेदन दिया और ट्रांसफार्मर लगाने की गुहार लगाई, लेकिन इसके बाद भी अभी तक गांव में अंधेरा है. मजबूरन गांव के बच्चे सड़क किनारे लगी स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ने को विवश हैं. इन बच्चों में दूसरी क्लास से लेकर आठवीं क्लास तक के बच्चे शामिल हैं. बच्चे बताते है कि शाम होते ही सोलर लाइट जल जाती है. हालांकि छात्रों का ये भी कहना है कि ये लाइट भी ज्यादा देर तक नहीं जलती इसलिए वे एक से डेढ़ घंटे तक ही पढ़ाई कर पाते हैं.

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