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Monsoon Seasonal Disease: बरसात में मंडराया बीमारियों का खतरा, IGMC ने जल जनित रोगों को लेकर किया अलर्ट

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Published : Jul 3, 2023, 7:25 AM IST

Updated : Jul 3, 2023, 9:03 AM IST

हिमाचल प्रदेश में बरसात का मौसम शुरू हो गया है और बरसात में कई तरह की बीमारियों का खतरा बना रहता है. ऐसे में आईजीएमसी शिमला के डॉक्टरों ने लोगों से जल जनित रोगों से खुद को बचाए रखने को को लेकर जानकारी साझा की है. (waterborne diseases in Rainy Season)

waterborne diseases in Rainy Season.
बरसात के मौसम में जलजनित रोग.

बरसात के मौसम में जलजनित रोगों को लेकर आईजीएमसी का अलर्ट.

शिमला: हिमाचल में मानसून ने दस्तक दे दी है. बरसात का मौसम शुरू होने के साथ ही लोगों को गर्मी से काफी हद तक राहत मिली है, लेकिन हर साल बारिश अपने साथ कई बीमारियां आती हैं. बारिश में जल जनित बीमारियां और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, हैजा और चिकनगुनिया के मामले भी तेजी से बढ़ते हैं. इसके अलावा डायरिया, पीलिया और स्क्रब टाइफस होने से जान भी जा सकती है.

बरसात में बढ़ा जल जनित रोगों का खतरा: जल जनित रोगों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. सबसे ज्यादा मामले एमआई के दूषित पानी के इस्तेमाल से आते हैं. वहीं, बाहर के खाने से भी संक्रमण तेजी से फैलता है. इस सीजन में खराब फल और सब्जियों के सेवन से भी लोग बीमार पड़ जाते हैं. गौरतलब है कि शिमला में कुछ साल पहले गंदे पानी की सप्लाई के कारण लोगों में पीलिया फैल गया था. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के विशेषज्ञ डॉ. संजय राठौर ने लोगों को बरसात में होने वाली जल जनित बीमारियों को लेकर अलर्ट किया है. इसमें मुख्यतः डायरिया, स्क्रब टाइफस, पीलिया ज्यादातर बरसात में होते हैं. ये बीमारियां इतनी खतरनाक हैं, जिसके कारण लोगों की मौत भी हो जाती है.

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डायरिया के लक्षण व उपचार: डायरिया के होने का मुख्य कारण पीने के पानी का दूषित होना है और साथ ही बासी खाने का सेवन करना है. वहीं, उल्टी और दस्त का होना, साथ में बुखार भी देखने को मिलता है. शरीर कमजोर, चलने और कार्य करने में कठिनाई होती है. कुछ भी खाने पर तुरंत ही सब बाहर आ जाता है. जिसके कारण शरीर में पानी की भारी मात्रा में कमी हो जाती है. डायरिया के गंभीर होने पर खूनी दस्त शुरू हो जाते हैं जो घातक होते हैं. इसके साथ ही मुंह सूखने लगता है और बीपी कम हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति का समय रहते उपचार न करने पर यह घातक हो सकता है और व्यक्ति मौत तक हो सकती है.

डायरिया से बचाव: आईजीएमसी के विशेषज्ञ डॉ. संजय राठौर ने बताया कि डायरिया से बचाव के लिए हमेशा पानी को उबाल कर ही इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बरसात में पानी उबालकर पीना ही सबसे अच्छा तरीका है. डायरिया हो जाने पर जीवन रक्षक घोल का कुछ-कुछ अंतराल के बाद इस्तेमाल करना चाहिए. हालत खराब होने पर जल्द डॉक्टर को दिखाएं.

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पीलिया रोग के लक्षण व उपाय: हेपेटाइटिस-ए को पीलिया कहा जाता है और यह बरसात और बारिश के दौरान बहुत ज्यादा देखने को मिलता है. हेपेटाइटिस-ए से हेपेटाइटिस-ई ज्यादा खतरनाक होता है और इससे जान तक चली जाती है. हेपेटाइटिस-ए का कारण भी गंदा पानी ही है. इसके लक्षणों में पेशाब का रंग पीला हो जाता है. हल्का बुखार महसूस होता है. व्यक्ति को शरीर में कमजोरी से चलने में मुश्किल होती है. पीलिया रोग से ज्यादा प्रभावित होने पर आंखों का रंग पीला हो जाता है. यह व्यक्ति के लीवर को सबसे ज्यादा इफेक्ट करता है. जबकि हेपेटाइटिस-ई रोग ज्यादातर गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलता है इसके लिए हेपेटाइटिस के टीके लगवाना जरूरी है. इसके लक्षण भी मिलते जुलते हैं ज्यादा प्रभावित होने पर लीवर कार्य करना बंद कर देता है और व्यक्ति की मौत तक हो सकती है. पीलिया रोग आगे से आगे फैलता है. इसके लिए ये बेहद जरूरी है कि जिसे पीलिया हुआ है उसके लिए साफ सफाई का खास इंतजाम किया जाए. यहां तक की उसका साबुन व अन्य इस्तेमाल की चीजें अलग रखें जाएं ताकि और लोग इसके चपेट में न आएं.

पीलिया से बचाव जरूरी: पीलिया से बचाव के लिए पानी को उबाल कर ही पीना चाहिए. इसमें गर्म चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, साथ ही तली हुई चीजें और घी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. गन्ने का रस और मूली का रस ज्यादा लाभदायक होता है. पीलिया के बिगड़ने पर लीवर प्रभावित हो जाता है और व्यक्ति को मौत भी हो सकती है. इसलिए चिकित्सक को तुरंत दिखाना चाहिए.

स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी, ठंड के साथ बुखार आना, शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ महसूस होना, अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियों का होना आदि इसके लक्षण है.

स्क्रब टाइफस से ऐसे करें बचाव: इस दौरान सफाई का विशेष ध्यान रखें, घर व आसपास के वातावरण को साफ सुथरा रखें. घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.

जानकारी देते हुए आइजीएमसी में विशेषज्ञ डॉ. व डिप्टी एमएस प्रवीण एस भाटिया ने बताया कि बरसात के मौसम में पानी में खराबी की वजह से पीलिया, डायरिया, स्क्रब टाइफस, टाइफाइड, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां लोगों को जकड़ लेती हैं. यह सब बीमारियां गंदे पानी की वजह से होती है. इससे बचाव बेहद जरूरी है. अगर किसी भी मरीज का स्वास्थ्य ठीक ना हो और इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अस्पताल में जाकर डॉक्टर से चेकअप करवाएं.

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Last Updated :Jul 3, 2023, 9:03 AM IST
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