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अस्सिटेंट रजिस्ट्रार ने निलंबित की थी गुड्स परिवहन सहकारी सभा, हाईकोर्ट ने लगाई आदेश पर रोक, ऊना की सभा का मामला

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 29, 2023, 9:03 PM IST

कोऑपरेटिव सोसाइटीज के अस्सिटेंट रजिस्ट्रार ने गुड्स परिवहन सहकारी सभा निलंबित की थी. इस आदेश पर हिमाचल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. पढ़िए पूरी खबर...

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शिमला: ऊना जिला की घनारी तहसील में काम कर रही न्यू विशाल हिमाचल गुड्स परिवहन सहकारी सभा लिमिटेड रामनगर की कार्यकारिणी निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उक्त सहकारी सभा की कार्यकारिणी को कोऑपरेटिव सोसाइटीज के अस्सिटेंट रजिस्ट्रार ने निलंबित किया था. हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी सोसाइटी को निलंबित करने की पावर रजिस्ट्रार में निहित है तो उस से निचले स्तर के अधिकारी ने ये फैसला कैसे लिया?

हाईकोर्ट ने सरकार से इस बारे में तीखे शब्दों में सवाल किया और कहा कि को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार के जो कर्तव्य थे, उनका निर्वहन निचले स्तर के अधिकारी ने क्यों किया? हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस मामले में प्रार्थी सतीश कुमार और अन्यों की तरफ से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने संयुक्त सचिव को-ऑपरेशन के दबाव में आते हुए सभा पर प्रशासक की नियुक्ति की है. अदालत ने कहा कि संबंधित अथॉरिटी ने अपने दिमाग का स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल किए बगैर विवादित आदेश जारी किए.

याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थियों के अनुसार वे न्यू विशाल हिमाचल गुड्स परिवहन सहकारी सभा लिमिटेड राम नगर तहसील घनारी जिला ऊना के चुने हुए प्रधान, उप प्रधान और कार्यकारिणी सदस्य हैं. याचिका में कहा गया कि 19 दिसंबर को असिस्टेंट रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी ने एक आदेश जारी कर उनकी कार्यकारिणी को निलंबित कर दिया. साथ ही सहकारी सभा पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी. प्रार्थियों ने इस कार्यवाही को भेदभावपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताते हुए इस आदेश को खारिज करने की मांग की है.

प्रार्थियों का कहना है कि वे वर्ष 2020 में निर्वाचित हुए थे. इसके बाद सभा की कार्यकारिणी का लोकतांत्रिक ढंग से गठन किया गया. हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के साथ ही राजनीतिक आकाओं के दबाव में उनकी सोसाइटी पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगने शुरू हुए. प्रार्थियों का आरोप है कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने सभा को निलंबित करने की शक्तियां न होते हुए भी एकतरफा कार्रवाई की है. उन्होंने सहकारी सभा का 2015 से 31 मार्च 2022 तक का ऑडिट करने के आदेश जारी कर दिए.

इस ऑडिट का सभा की कार्यकारिणी ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उनके अनुसार सभा ने कभी कुछ गलत किया ही नहीं था. प्रार्थियों के अनुसार सरकार के बदलने से वो लोग सक्रिय हो गए जो चुनाव हार गए थे. इसलिए उनके खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित होकर यह कार्रवाई की गई. प्रार्थियों ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार पर शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उनकी कार्यकारिणी को बहाल करने की मांग की. फिलहाल, हाईकोर्ट ने कार्यकारिणी निलंबित करने के आदेश पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: दुबई के लिए निकली हिमाचल की युवती लापता, ओमान के नंबर से मिले मैसेज के बाद परिवार परेशान, पुलिस से लगाई गुहार

शिमला: ऊना जिला की घनारी तहसील में काम कर रही न्यू विशाल हिमाचल गुड्स परिवहन सहकारी सभा लिमिटेड रामनगर की कार्यकारिणी निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. उक्त सहकारी सभा की कार्यकारिणी को कोऑपरेटिव सोसाइटीज के अस्सिटेंट रजिस्ट्रार ने निलंबित किया था. हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी सोसाइटी को निलंबित करने की पावर रजिस्ट्रार में निहित है तो उस से निचले स्तर के अधिकारी ने ये फैसला कैसे लिया?

हाईकोर्ट ने सरकार से इस बारे में तीखे शब्दों में सवाल किया और कहा कि को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार के जो कर्तव्य थे, उनका निर्वहन निचले स्तर के अधिकारी ने क्यों किया? हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस मामले में प्रार्थी सतीश कुमार और अन्यों की तरफ से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने संयुक्त सचिव को-ऑपरेशन के दबाव में आते हुए सभा पर प्रशासक की नियुक्ति की है. अदालत ने कहा कि संबंधित अथॉरिटी ने अपने दिमाग का स्वतंत्र रूप से इस्तेमाल किए बगैर विवादित आदेश जारी किए.

याचिका दाखिल करने वाले प्रार्थियों के अनुसार वे न्यू विशाल हिमाचल गुड्स परिवहन सहकारी सभा लिमिटेड राम नगर तहसील घनारी जिला ऊना के चुने हुए प्रधान, उप प्रधान और कार्यकारिणी सदस्य हैं. याचिका में कहा गया कि 19 दिसंबर को असिस्टेंट रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसायटी ने एक आदेश जारी कर उनकी कार्यकारिणी को निलंबित कर दिया. साथ ही सहकारी सभा पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी. प्रार्थियों ने इस कार्यवाही को भेदभावपूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताते हुए इस आदेश को खारिज करने की मांग की है.

प्रार्थियों का कहना है कि वे वर्ष 2020 में निर्वाचित हुए थे. इसके बाद सभा की कार्यकारिणी का लोकतांत्रिक ढंग से गठन किया गया. हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के साथ ही राजनीतिक आकाओं के दबाव में उनकी सोसाइटी पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगने शुरू हुए. प्रार्थियों का आरोप है कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने सभा को निलंबित करने की शक्तियां न होते हुए भी एकतरफा कार्रवाई की है. उन्होंने सहकारी सभा का 2015 से 31 मार्च 2022 तक का ऑडिट करने के आदेश जारी कर दिए.

इस ऑडिट का सभा की कार्यकारिणी ने कोई विरोध नहीं किया क्योंकि उनके अनुसार सभा ने कभी कुछ गलत किया ही नहीं था. प्रार्थियों के अनुसार सरकार के बदलने से वो लोग सक्रिय हो गए जो चुनाव हार गए थे. इसलिए उनके खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित होकर यह कार्रवाई की गई. प्रार्थियों ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार पर शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उनकी कार्यकारिणी को बहाल करने की मांग की. फिलहाल, हाईकोर्ट ने कार्यकारिणी निलंबित करने के आदेश पर रोक लगा दी है.

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