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हिमाचल के शिक्षण संस्थानों में घुल रहा नशे का जहर, 2018 में नौणी यूनिवर्सिटी कैंपस के चिन्मय स्कूल में नशा बिकने पर हाई कोर्ट ने लिया था संज्ञान

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 27, 2023, 7:23 AM IST

Updated : Oct 27, 2023, 9:12 AM IST

High Court on Drugs in Educational Institutions in Himachal
हिमाचल प्रदेश में बढ़ रहा नशे का प्रचलन

हिमाचल प्रदेश में नशे का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है. प्रदेश के युवा इस नशे की जद में आ रहे हैं. खासकर स्टूडेंट्स इस नशे के दलदल में फंसते जा रहे हैं. हालांकि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट समय-समय पर शिक्षण संस्थानों में नशे को लेकर संज्ञान लेता रहता है. बावजूद इसके प्रदेश में नशे की ओवरडोज से बहुत से युवाओं की मौत है. (Himachal High Court News)

शिमला: एनआईटी हमीरपुर जैसे टॉप मोस्ट शिक्षण संस्थानों में कैंपस के भीतर तक नशे का जाल फैल गया और प्रबंधन को पता नहीं चला. एक होनहार छात्र नशे की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गया. कैंपस और हॉस्टल में नशा आसानी से उपलब्ध हो रहा था. बीते सोमवार को छात्र सुजल की मौत के बाद प्रशासन की नींद खुली और अब तक तीन छात्रों सहित पांच लोग गिरफ्तार किए गए हैं. यहां सवाल ये उठता है कि जब हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने समय-समय पर नशे के खिलाफ एक के बाद एक आदेश पारित किए तो पुलिस, जिला प्रशासन, शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों ने उन आदेशों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया?

नौणी यूनिवर्सिटी का मामला: यहां एक घटना का उल्लेख करना जरूरी है. पांच साल पहले यानी साल 2018 में सोलन जिले के नौणी में स्थित हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री कैंपस के चिन्मय स्कूल के बच्चे सरेआम नशा करते पाए गए थे. हिमाचल हाई कोर्ट ने इस गंभीर घटना पर स्वत संज्ञान लिया था. उस समय भी हिमाचल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व पुलिस विभाग को कई आदेश जारी किए थे.

नशे पर हिमाचल हाई कोर्ट का संज्ञान: गौरतलब है कि कैंपस में ही अंग्रेजी माध्यम का चिन्मय स्कूल स्थित है. चिन्मय स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते पाए गए थे. कुछ बच्चे भांग व हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते थे. तब हिमाचल हाई कोर्ट के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए स्कूल के निरीक्षण के आदेश जारी किए थे. इस घटना के बाद हिमाचल हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों के बाहर पुलिस गश्त के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद हमीरपुर में कैंपस और हॉस्टल तक नशे के सौदागर पहुंच गए और प्रबंधन सोया रहा.

हिमाचल के शिक्षण संस्थानों में नशे के मामले: हिमाचल में पहले भी स्कूलों में नशे के शिकार छात्रों के मामले सामने आते रहे हैं. पिछले साल यानी साल 2022 में जून महीने में करसोग स्कूल में 13 साल की छात्रा नशे की हालत में स्कूल पहुंच गई थी. उसकी काउंसलिंग की गई तो पाया गया कि घर के बुजुर्ग लोगों को बीड़ी पीते देखकर उसे भी नशे की लत गई. छात्रा को चिट्टा सूंघने की आदत लग गई थी. वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि नशे के सौदागरों को मृत्युदंड के लिए 90 दिन में कानून बनाने पर काम किया जाए. उस समय न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने चिंता जताई थी कि हिमाचल प्रदेश भी उड़ता पंजाब बनने की दिशा में जा रहा है. उन्होंने स्कूलों व शिक्षण संस्थानों में सौ मीटर के दायरे में किसी भी तरह के नशीले पदार्थों की बिक्री न हो, ये सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए थे.

नशे की ओवरडोज से मौत का शिकार हो रहे युवा: हमीरपुर एनआईटी के युवा छात्र की नशे की ओवरडोज से मौत के बाद हिमाचल में नशीले पदार्थों की तस्करी और नशे के फैलते जाल पर फिर से बहस शुरू हो गई है. इस साल की बात करें तो 20 अगस्त को पालमपुर में एक युवक की मौत भी नशे की ओवरडोज से हुई है. मृतक युवक के समीप सिरिंज भी बरामद की गई थी. मई 2022 में मंडी के 19 साल के किशोर की नशे की ओवरडोज से मौत हुई तो उसके दोस्तों ने घबराकर शव को खड्ड में दफना दिया था. ये मामला बहुत चर्चा में रहा था. मृतक किशोर के पिता ने स्वीकार किया था कि उसका बेटा नशे के आदी हो चुका था. वो दोस्तों के संग गया था. सभी ने मिलकर इंजेक्शन लिया. मृतक ने अधिक डोज ले ली थी, जिस कारण उसकी मौत हो गई थी.

नशे से तबाह होती जिंदगियां: इसी तरह पिछले साल यानी 2022 में नवंबर महीने में मोहाली में हिमाचल के युवक की भी नशे की ओवरडोज से मृत्यु हुई थी. फरवरी 2019 में ऊना में 23 साल के युवक की मौत भी नशे की ओवरडोज से हुई थी. इसी तरह जून 2019 को कांगड़ा जिला के डमटाल में दो युवकों की मौत नशे के कारण हुई. उनके शव साथ-साथ मिले थे और उनके मुंह से झाग निकल रहा था. एक युवक की आयु 25 साल व दूसरे की 23 साल थी.

नशे की लत से नशा सौदागरों के पास फंस रहे युवा: दिसंबर 2018 में चिट्टे की ओवरडोज से कोटखाई के 21 साल के नौजवान की मौत हो गई थी. दिसंबर 2018 में ही मंडी से एक उच्च शिक्षित युवा जो एमबीए की डिग्री हासिल कर चुका था, चिट्टे के साथ पकड़ा गया था. युवा नशे की लत पूरी करने के लिए नशे के सौदागरों के चंगुल में फंस चुका था. दिसंबर 2018 में ही कोटखाई में 21 साल के कॉलेज छात्र की मौत भी नशे की ओवरडोज से हुई थी.

नशे के खिलाफ जागरूकता जरूरी: पूर्व आईपीएस अधिकारी जगत राम के अनुसार हिमाचल में नशे की प्रवृति युवाओं में चिंताजनक हो चुकी है. उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे के जाल में फंसने से रोकने के लिए अभिभावकों, स्कूल प्रबंधकों, पुलिस, प्रशासन, समाज आदि सभी की भूमिका है. ये बुराई किसी एक के रोकने से नहीं रुकेगी. इसके लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है. युवाओं को खेलों की तरफ मोड़ने की जरूरत है. सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा का कहना है कि अभियान सतही न होकर प्रभावी होने चाहिए. महज नारों से नशा नहीं रुकता. मनोवैज्ञानिक मनोज कुमार का कहना है कि तेजी से भागते संसार में अभिभावकों के पास भी समय नहीं है और संयुक्त परिवार का चलन भी नहीं रहा है. ऐसे में युवा अकेलेपन का शिकार होकर नशे की दिशा में बढ़ जाते हैं. हिमाचल की स्थिति सचमुच चिंताजनक है. सभी को मिलकर नशे के खिलाफ युद्ध छेड़ना होगा.

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Last Updated :Oct 27, 2023, 9:12 AM IST
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