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किरण मौत मामले में संवेदनहीनता की पराकाष्ठा, परिजनों से मिलने नहीं पहुंचे सरकारी नुमाइंदे

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Published : Nov 26, 2022, 6:46 PM IST

हमीरपुर में तीन वर्षीय किरण को आवारा कुत्तों ने मौत की नींद सुला दिया. इस मामले में प्रशासनिक संवेदनहीनता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि एक भी प्रशासनिक अधिकारी किरण के परिजनों से मुलाकात करने नहीं पहुंचा है.

kiran death case
किरण की मौत केस

हमीरपुर: संवेदनहीनता की पराकाष्ठा क्या होती है, इसे हमीरपुर का प्रशासन बखूबी परिभाषित कर रहा है. लावारिस कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एक मासूम बच्ची की मौत के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी है. औपचारिक तौर पर अभी तक स्थानीय जिला प्रशासन और नगर परिषद तथा संबंधित विभाग की कोई बैठक इस विषय पर नहीं हुई है. नगर परिषद हमीरपुर के वार्ड नंबर 8 में लावारिस कुत्तों के झुंड ने 3 साल की मासूम किरण को नोच-नोच कर मौत के घाट उतार दिया, लेकिन चुनावी खुमारी में खोए अधिकारियों के लिए शायद यह काफी नहीं है.

एक अनुमान के मुताबिक हमीरपुर शहर में 250 के लगभग स्ट्रीट डॉग्स है. बच्चे की दर्दनाक मौत के बावजूद इस समस्या से निपटने के लिए घटना के 2 दिन बाद भी कोई रोड मैप प्रशासन और विभाग तय नहीं कर पाए हैं. समस्या के समाधान के लिए रोडमैप तैयार करना तो दूर स्थानीय प्रशासन ने अभी तक नगर परिषद के साथ इस विषय पर औपचारिक तौर पर संवाद तक नहीं किया है. मासूम बच्ची की मौत के बावजूद प्रशासनिक संवेदनहीनता को लेकर यहां पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. क्या एक गरीब इंसान एक बेटी के जान इतने सस्ती थी कि प्रशासन ने स्थानीय नुमाइंदों और संबंधित विभाग के अधिकारियों से संवाद करना भी जरूरी नहीं समझा?

किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की तरफ से संबंधित विभागों के अधिकारियों से औपचारिक तौर पर इस समस्या के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाने की जहमत नहीं की गई. प्रशासनिक अधिकारी इस विषय पर बोलने को तैयार नहीं है, जबकि संबंधित विभाग के अधिकारी फोन पर बातचीत कर समस्या के समाधान का रास्ता तलाशने की बात कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों की बैठक अथवा समस्या के समाधान के लिए कोई कदम उठाने के लिए एक मासूम बच्ची की मौत काफी नहीं है या फिर प्रशासन किसी और अनहोनी का इंतजार कर रहा है.

चुनावों के चलते मतदान के बाद आदर्श आचार संहिता प्रदेश में लागू है. चुनावों के वक्त गरीबों के दरवाजों पर भी नेताओं की खूब दस्तक हुई लेकिन अब गरीब परिवार की बेटी की मौत तक होने के बाद ना राजनीतिक दल के नेता और ना ही समाजसेवक और स्थानीय वार्ड के नुमाइंदे यहां पर दिख रहे हैं. नगर परिषद हमीरपुर के अध्यक्ष मनोज कुमार मिन्हास और राजस्व विभाग के अधिकारियों के अलावा कोई भी इस परिवार से मिलने नहीं पहुंचा है. अधिकारियों ने तो मुह मोड़ लिया है लेकिन इन प्रवासी लोगों के वोट पर नगर परिषद से लेकर विधानसभा तक पहुंचने वाले नेता यहां से गायब हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शहर की गंदगी को उठाने वाले यह प्रवासी परिवार महज वोट बैंक ही हैं.

हमीरपुर निवासी भाजपा नेता व पूर्व जिला परिषद सदस्य वीना कपिल ने लावारिस कुत्तों की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की थी, उन्होंने बाकायदा हमीरपुर शहर में कुत्तों के झुंड के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे फेसबुक पोस्ट के माध्यम से उन्होंने लिखा था कि आवारा कुत्तों के झुंड के कारण घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिरकार क्यों प्रशासन जिम्मेदार प्रतिनिधियों के सवालों पर भी नहीं जाग रहा है. सत्तारूढ़ दल भाजपा के साथ ही विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस दर्दनाक घटना के सामने आने के बाद हमीरपुर जिला के प्रशासनिक व्यवस्था पर और घटना के बाद अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.

पढ़ें- हमीरपुर: मासूम किरन की मौत पर भी नहीं पसीजे अधिकारी, न आर्थिक राहत, न परिजनों से मुलाकात

कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद हमीरपुर स्थानीय नगर परिषद के अध्यक्ष मनोज कुमार कार्यकारी अधिकारी अक्षित गुप्ता की माने तो उन्होंने इस विषय और समस्या के समाधान के लिए चर्चा की है. नगर परिषद हमीरपुर के कार्यकारी अधिकारी अक्षिता गुप्ता का कहना है कि लावारिस कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए पशुपालन विभाग के अधिकारियों से फोन पर बातचीत की गई है और जल्द ही कुत्तों की नसबंदी के लिए कार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रशासन से इस बाबत अभी तक कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही समस्या के समाधान के लिए कदम उठाए जाएंगे.

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