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Muscular Dystrophy: अरुण सोनी के लिए शाप बनी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी, इलाज करवाने में असमर्थ परिवार ने लगाई मदद की गुहार

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Published : Jun 22, 2023, 6:48 PM IST

muscular dystrophy disease.
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रस्त अरुण सोनी के परिवार ने लगाई मदद की गुहार.

हमीरपुर जिले के बड़सर के घंगोट गांव का 14 वर्षीय अरुण सोनी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रस्त है. वह पूरी तरह से चलने फिरने में असमर्थ है. अरुण के इलाज के लिए लाखों रुपये का खर्चा आएगा. जिसके लिए परिवार ने हिमाचल प्रदेश सरकार और हिमाचल की समाजसेवी संस्थाओं से अरुण के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है. (Family Appealed for Treatment of Muscular Dystrophy suffer Arun Soni in Hamirpur)

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रस्त अरुण सोनी के परिवार ने लगाई मदद की गुहार.

हमीरपुर: जिला हमीरपुर के उपमंडल बड़सर की घंगोट कलां गांव का 14 वर्षीय अरुण सोनी पिछले चार साल से चलने फिरने में असमर्थ है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी ने अरुण को इस तरह जकड़ा है कि वह 4 कदम खुद से नहीं चल सकता है. यहां तक की बाथरूम तक पहुंचने के लिए अरुण को अपने भाई या अपनी मां का सहारा लेना पड़ता है.

इलाज के लिए खत्म हुई घर में जोड़े पैसे की पाई-पाई: अरुण सोनी के पिता प्रेम लाल ने बताया कि जब अरुण को यह बीमारी हुई थी, उस समय अरुण चल फिर सकता था, लेकिन अब इस बीमारी ने अरुण को चलने फिरने लायक नहीं छोड़ा है. चार सालों से परिवार अरुण के इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च कर चुका है. प्रेम लाल ने बताया कि वह परिवार का पालन पोषण करने लिए दुकान करते थे. दुकान की कमाई से घर बनाने के लिए पाई-पाई जोड़ी थी. अब अरुण के इलाज पर सारा खर्च हो गई है. घर की हालत भी खस्ता हो चुकी है. अब तो वो इलाज करवाने में भी असर्मथ होते जा रहे हैं.

परिवार ने लगाई मदद की गुहार: प्रेम लाल ने बताया कि अरुण का इलाज पीजीआई और सोलन से चल रहा है. जिस पर कुल 80 से 90 लाख रुपये खर्च होगा, लेकिन इतने पैसे उनके पास नहीं है कि अरुण का इलाज करवाया जा सके. प्रेम लाल ने बताया कि अरुण को हर माह 1 लाख रुपये का इंजेक्शन लगता है, जिसके सहारे अरुण जीवित है. अब इस इंजेक्शन को खरीदने में वह पूरी तरह से असमर्थ हो चुके हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार और हिमाचल प्रदेश की समाजसेवी संस्थाओं से अपने बेटे अरुण के इलाज के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. वहीं, इलाज के लिए अरुण सोनी और उसकी मां ने भी प्रदेश सरकार और समाजसेवी संस्थाओं से हाथ जोड़कर विनती की है, कि उनकी मदद की जाए.

क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी: ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक तरह का जेनेटिक डिसऑर्डर है, ये डिसऑर्डर शरीर की मांसपेशियों को बेहद कमजोर बना देता है. इसके कारण शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे खत्म होना शुरू हो जाती हैं. शरीर में डिस्ट्रोफिन नामक एक प्रोटीन मौजूद होता है, इस बिमारी से इस प्रोटीन में बदलाव होने लगता है, जिससे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी स्थिति उत्पन्न होती है. यह बीमारी आमतौर पर 2 से 3 साल के बच्चों में ज्यादा होती है. वहीं, लड़कों में इस बिमारी को बड़ी तादाद में देखा गया है, जबकि दुलर्भ मामलों में ही ये बीमारी लड़कियों को होती है. इस बिमारी का इलाज बेहद मंहगा है. सिर्फ एक इंजेक्शन की कीमत ही लाखों रुपये में होती है. इसकी दवाइयां ज्यादातर विदेशों से ही मंगवानी पड़ती हैं. आम लोगों के लिए इसका इलाज करवाना बेहद मुश्किल और मंहगा होता है.

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