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श्रम कानूनों को लेकर सोलन में सीटू और एआईटीयूसी का विरोध प्रदर्शन, की ये मांग

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Published : Mar 28, 2022, 1:48 PM IST

AITUC and CITU protest in Solan
सोलन में सीटू और एआईटीयूसी का विरोध प्रदर्शन

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 44 कानूनों को खत्म कर उनके स्थान पर 4 श्रम संहिताएं बनाए जाने को लेकर सोमवार को सोलन में सीटू और एआईटीयूसी ने मिलकर श्रम संहिताओं के खिलाफ धरना दिया और रैली भी (AITUC and CITU protest in Solan) निकाली. इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला और मजदूर विरोधी नीतियां बनाने का भी आरोप लगाया. वहीं उन्होंने बढ़ती महंगाई व बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सरकार से इन पर रोक लगाने की मांग भी की.

सोलन: जिला सोलन में सीटू और एआईटीयूसी ने मिलकर श्रम कानून बहाल करने और श्रम संहिताओं के खिलाफ रैली का आयोजन (AITUC and CITU protest in Solan) किया. जिसमे लगभग 400 लोगों ने भाग लिया. इस दौरान दोनों संगठनों के नेताओं द्वारा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला और मजदूर विरोधी नीतियां बनाने का भी आरोप लगाया.

ये बोले एटक प्रदेशाध्यक्ष: इस अवसर पर एटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आवाहन पर संयुक्त रूप से हिमाचल प्रदेश में मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन व हड़ताल कर रही (CITU AITUC rally in Solan) है. भारत के मजदूर वर्ग ने स्वतंत्रता के पहले व स्वतंत्रता के बाद अपने अनगिनत संघर्षों एवं बलिदानों के बाद अनेक अधिकार हासिल किए है. जिन्हें श्रम कानूनों के रूप में स्थापित किया गया है.

सोलन में सीटू और एआईटीयूसी का विरोध प्रदर्शन

रोजगार की सुरक्षा पूरी तरह समाप्त: जगदीश भारद्वाज ने कहा मोदी सरकार ने श्रम सुधारों के नाम पर 44 कानूनों को खत्म कर उनके स्थान पर 4 श्रम संहिताएं बनाई हैं और ये (लेबर कोड) श्रम संहिताएं पूरी तरह कॉर्पोरेट / नियोजकों/ कारखाना मालिकों के पक्ष में है. इन कानूनों से ट्रेड यूनियन का संकल्प ही समाप्त कर दिया (protest against Labour law) है. मजदूरों के काम के घण्टे बढ़ा दिए हैं. उन्होंने कहा कि रोजगार की सुरक्षा पूरी तरह समाप्त कर दी है. अधिकतर मजदूरों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया है. मजदूरों की स्थिति फिर से गुलामों जैसी हो जाएगी.

ये बोले सीटू जिलाध्यक्ष: सीटू के जिला अध्यक्ष मोहित वर्मा ने कहा कि संगठन राष्ट्रीय स्तर पर आज एकजुट होकर सरकार द्वारा मजदूरों के हक के 44 श्रम कानून खत्म करके 4 श्रम संहिताएं लागू कर रही है. जिससे मजदूरों के शोषण को बल मिला (CITU protest against Labour law) है. इसलिए सभी मजदूर संगठन एकजुट होकर सरकार से सभी श्रम कानूनाें को लागू करने की मांग कर रही है. बढ़ती महंगाई व बैंकों के निजीकरण के खिलाफ सरकार से इन पर रोक लगाने की मांग की गई है.

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