हिमाचल हाईकोर्ट ने सिविल जज सोलन से मांगा स्पष्टीकरण, गलत आदेश पारित करने का मामला

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Published : May 12, 2022, 9:46 PM IST

Himachal Pradesh High Court

न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करते समय गलत आदेश पारित करने पर हाईकोर्ट ने (High Court seeks clarification from Civil Judge Solan) सिविल जज सोलन से स्पष्टीकरण तलब किया है. क्या है पूरा मामला जानने के लिए पढे़ं पूरी खबर...

शिमला: न्यायिक शक्तियों (Judicial Powers) का प्रयोग करते समय गलत आदेश पारित करने पर हाईकोर्ट ने सिविल जज सोलन से स्पष्टीकरण तलब किया है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने सिविल जज सोलन की ओर से पारित आदेश पर (High Court seeks clarification from Civil Judge Solan) अफसोस जताते हुए कहा कि यदि मामले की पिछली सुनवाई को जज छुट्टी पर हो तो अगली सुनवाई में सिविल जज प्रार्थी की ओर से गवाही पेश किए जाने के मौके को कैसे बंद कर सकता है.

ये है मामला: मामले में प्रार्थी को सिविल जज ने गवाही पेश करने के लिए 9 दिसंबर 2021 की तारीख दी थी लेकिन उस दिन न्यायिक अधिकारी छुट्टी पर थे. मामले को 7 जनवरी 2022 के लिए सूचीबद्ध किया गया लेकिन उस (High Court seeks clarification from Civil Judge Solan) दिन सिविल जज ने प्रार्थी की ओर से गवाही पेश किए जाने के मौके को बंद करने के आदेश पारित किए. इस आदेश को प्रार्थी मुकेश वर्मा ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी है. अदालत ने सिविल जज सोलन की ओर से तर्कसंगत आदेश पारित न करने पर आगामी 25 मई के लिए स्पष्टीकरण तलब किया है.

नगर निगम शिमला के पुनःसीमांकन व चुनावों के लिए जारी रिजर्वेशन रोस्टर में गड़बड़ी मामला: प्रदेश हाईकोर्ट में नगर निगम शिमला के पुनःसीमांकन व चुनावों के लिए जारी रिजर्वेशन रोस्टर में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर दायर याचिका पर वीरवार को बहस हुई. न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ के समक्ष वीरवार को सुनवाई हुई, बाकी सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी. कोर्ट ने इस मामले पर नगर निगम शिमला के नाभा वार्ड की पार्षद सिमी नंदा द्वारा दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यथास्थिति बनाये रखने के आदेश पारित किए थे.

प्रार्थी ने नगर निगम शिमला के आगामी चुनाव के लिए बनाए पुनःसीमांकन (Re-demarcation of Municipal Corporation Shimla) व रिजर्वेशन रोस्टर को कोर्ट में चुनौती दी है. प्रार्थी ने याचिका में शहरी विकास विभाग सहित डीसी शिमला, चुनाव आयोग व एसडीएम शहरी व ग्रामीण शिमला को भी प्रतिवादी बनाया है. प्रार्थी का आरोप है कि चुनाव आयोग व शहरी विकास विभाग ने निगम वार्डों का पुनःसीमांकन कर 41 वार्ड बनाने व रिजर्वेशन रोस्टर तैयार करते समय निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पूर्णतया पालन नहीं किया और न ही हाईकोर्ट के इस संदर्भ में पारित निर्देशों का पालन किया है.

प्रार्थी के अनुसार कोर्ट ने सरकार व चुनाव आयोग को आदेश दिए थे कि लोकतांत्रिक चुनावों की प्रक्रिया आरम्भ करने से पहले तमाम औपचारिकताएं कम से कम 3 महीने पहले पूरी कर ली जानी चाहिए. जिससे सभी पीड़ित पक्ष समय पर अपनी आपत्तियां दर्ज करवा सके व जरूरत पड़ने पर समय रहते वे अदालत के समक्ष अपना पक्ष रख सके. उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग व शहरी विकास विभाग ने हाल ही में नगर निगम शिमला का पुनःसीमांकन कर कुल 41 वार्ड बनाने की अधिसूचना जारी की है और इन वार्डों में चुनाव से जुड़े रिजर्वेशन रोस्टर की अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. मामले पर सुनवाई 13 मई को भी जारी रहेगी.

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