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जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की सिफारिश पर हुई ट्रांसफर हिमाचल हाई कोर्ट ने की रद्द

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Published : Nov 20, 2021, 8:06 PM IST

जल शक्ति मंत्री (Jal Shakti Minister) महेंद्र सिंह की सिफारिश पर बिजली बोर्ड के कर्मी के तबादला आदेश को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है. याचिका में प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि उसका तबादला बिना यात्रा भत्ता और जॉइनिंग टाइम के किया गया है जिससे यह प्रतीत होता है कि तबादला आदेश प्रार्थी के आग्रह पर किया गया है, जबकि उसने इस तरह का कोई भी आग्रह नहीं किया था.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने जल शक्ति मंत्री (Jal Shakti Minister) महेंद्र सिंह की सिफारिश पर बिजली बोर्ड के कर्मी के तबादला आदेश को रद्द कर दिया. बिजली बोर्ड के हमीरपुर सर्कल कार्यालय में कार्यरत ड्राफ्ट्समैन ज्ञान चंद का तबादला बोर्ड ने हमीरपुर से धर्मपुर (मंडी) (Hamirpur to Dharampur) कर दिया था.

न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकलपीठ ने प्रार्थी ज्ञान चंद द्वारा दायर याचिका निपटारा करते हुए व्यवस्था दी कि बिजली बोर्ड कर्मी का तबादला आदेश जारी करने की सिफारिश करना जल शक्ति मंत्री के क्षेत्र अधिकार में नहीं आता इसलिए इस सिफारिश के आधार पर किये गये तबादला आदेश गैर कानूनी हैं. बोर्ड अधिकारिओं ने इस सिफारिश पर कार्यवाही करने से पूर्व किसी भी तरह की प्रशासनिक कार्यवाही नहीं की और सीधे तौर पर विवादित आदेश पारित कर दिए.

ज्ञान चंद ने इन तबादला आदेशों को याचिका के माध्यम से प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष चुनोती दी थी. अदालत ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए बोर्ड द्वारा जारी किये गये इन आदेशों के अम्ल पर रोक लगा दी थी और याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था.

याचिका में प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि उसका तबादला बिना यात्रा भत्ता और जॉइनिंग टाइम के किया गया है जिससे यह प्रतीत होता है कि तबादला आदेश प्रार्थी के आग्रह पर किया गया है, जबकि उसने इस तरह का कोई भी आग्रह नहीं किया था. प्रार्थी ने अदालत के समक्ष पेश किए दस्तावेजों के साथ जल शक्ति मंत्री द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए सिफारिश पत्र और उस पर मुख्यमंत्री द्वारा बोर्ड को भेजे गए डीओ लैटर की प्रति भी रखी थी.

इस याचिका पर बोर्ड ने अपना पक्ष रखा और दलील दी कि प्रार्थी का तबादला सम्बंधित अथोरिटी की मंजूरी के बाद ही जारी किया गया था और प्रार्थी वर्तमान स्थल पर अपना टेन्योर भी पूरा कर चुका है इसलिए इस याचिका को ख़ारिज किया जाये. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और बोर्ड द्वारा पेश किये गये रिकॉर्ड के अवलोकन के पश्चात कहा कि बोर्ड द्वारा जारी किये गये आदेश कानूनन सही नहीं है इसलिए इन तबादला आदेशों को रद्द किया जाता है.

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